जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राज्य सरकार का दावा है कि बीते साढ़े चार साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार में लिप्त कार्मिकों के खिलाफ सर्वाधिक कार्रवाई की गई है। आंकड़े इसकी गवाही भी दे रहे हैं कि वर्ष 2022 में रिकॉर्ड 103 ट्रैप व 4 आय से अधिक संपत्ति के मामले दर्ज किए गए। इससे पिछले साल 2021 में भी ये आंकड़े 110 तक पहुंचे।
लेकिन इसका दूसरा पक्ष भी है कि इनमें ज्यादातर आरोपियों के खिलाफ कोई ऐसी कार्रवाई को एसीबी अंजाम तक नहीं पहुंचा पाई, जिससे भ्रष्टाचार के खिलाफ बाकी कार्मिकों को कोई मैसेज या सबक मिले। कारण एसीबी के पास अब तक 500 से ज्यादा केस ऐसे हैं, जिनमें उसे रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाने के बावजूद उन अधिकारियों के खिलाफ उनके विभागों से अभियोजन स्वीकृति ही नहीं मिल रही। यह तो हुई एसीबी द्वारा रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़े गए मामलों की बात।
इनके अलावा प्रदेश में बीते दो साल में एसीबी को 556 परिवाद और ऐसे मिले जिनमें परिवादी ने सबूतों सहित बताया कि लोकसेवकों ने पद का दुरुपयोग किया है। एसीबी के अधिकारियों को भी लगा कि इसमें भ्रष्टाचार की बू आ रही है और विस्तृत जांच जरूरी है। एसीबी ने इन मामलों को सरकार को भेजा, लेकिन इनमें से 514 परिवाद अब तक ऐसे हैं, जिनमें भी संबंधित विभागाध्यक्ष जांच करने की अनुशंसा ही नहीं कर रहे।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम संशोधन 2018 की धारा 17ए के तहत ऐसे अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए एसीबी को उनके विभागाध्यक्षों की स्वीकृति चाहिए। धारा 17ए की आड़ और विभागों के मुखिया की मेहरबानी से ऐसे लोकसेवक जांच के दायरे से भी बाहर हैं। इनमें कई बड़े मामले हैं, जो प्रदेशभर में चर्चा में भी रहे। एसीबी इनमें कोई कार्रवाई तो दूर जांच तक शुरू नहीं कर सकती।
इन दो केस से समझिए- एसीबी की लाचारी, ऐसे कई मामले
केस : 1 - सरिस्का के निकट 8 हजार करोड़ की 2 हजार बीघा से ज्यादा जमीन आवंटन, एसीबी को मंजूरी का इंतजार
राजगढ़, अलवर के तत्कालीन एसडीएम केशव मीणा ने मार्च 2022 में करीब 2 हजार बीघा से ज्यादा जमीन का आवंटन कर दिया। लगभग 800 लोगों को जमीन आवंटित की गई। विभिन्न प्रशासनिक स्तरों पर हुई जांच में इसमें नदी-नाले व ऐसी जमीन भी थी जो नियमानुसार आवंटित नहीं की जा सकती थी। जिन लोगों को आवंटन किया गया उनकी पात्रता पर भी सवाल था। सरिस्का के आसपास बेशकीमती यह जमीन 8 हजार करोड़ से ज्यादा की बताई जा रही है।
आरोप थे कि इसमें जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत व बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ। मामले की शिकायत सरकार तक पहुंची। एक अन्य मामले में सरकार ने एसडीएम को हटा भी दिया। लेकिन तीन माह बाद सरकार ने उन्हें थानागाजी एसडीएम लगा दिया। तत्कालीन कलेक्टर जितेंद्र सोनी ने इन जांचों के आधार पर ये आवंटन निरस्त कर दिए। मामला एसीबी तक पहुंचा। एसीबी ने माना कि इसमें विस्तृत जांच जरूरी है। सामाजिक कार्यकर्ता श्रीकांत सैदावत के अनुसार एसीबी ने परिवाद को 17 ए की अनुशंसा के लिए भेजा। रिमाइंडर भी भेजा, लेकिन मंजूरी नहीं मिल रही।
केस : 2 - विधायक कोटे से खेल सामग्री में भ्रष्टाचार के आरोप
मामला बहरोड़ विधानसभा क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में विधायक कोष से खेल सामग्री पहुंचाने का है। इस मामले में भी आरोप थे कि घटिया बैट सप्लाई कर एक-एक की कीमत 15 हजार 600 रुपए तक बताई गई। कांग्रेस के ही पीसीसी सचिव संजय यादव इस मामले को एसीबी तक ले गए। उनके अनुसार वे डीजीपी से भी मिले। उनका कहना है कि मामले को 17 ए की अनुशंसा के लिए भेजा हुआ है।
रिटायर तक हो गए अधिकारी
अलवर कलेक्टर रहे नन्नूमल पहाड़िया को 23 अप्रैल 2022 को एसीबी ने 5 लाख रु. की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। एसीबी ने 2 माह बाद जून में अभियोजन स्वीकृति का प्रस्ताव भेजा, जो उनके रिटायरमेंट के बाद भी अब तक पेंडिंग है। आईएएस नीरज के पवन, निर्मला मीणा, आईपीएस मनीष अग्रवाल, आरएएस पिंकी मीणा, पुष्कर मित्तल, आरपीएस आस मोहम्मद सहित कई अधिकारियों की अभियोजन स्वीकृति नहीं मिली।
पद के दुरुपयोग के मामलों में जांच के लिए 17 ए के तहत अनुशंसा जरूरी: एसीबी
रिश्वत लेने, गबन व आय से अधिक संपत्ति के मामलों में तो 17 ए की अनुशंसा जरूरी नहीं होती। एसीबी प्रदेश में ऐसे मामलों में लगातार कार्रवाई कर रही है। किसी लोकसेवक के आदेश या अवार्ड से पद के दुरुपयोग या किसी को लाभ पहुंचाने के मामलों में 17 ए की अनुशंसा जरूरी है। इन पर संबंधित विभागाध्यक्षों की मंजूरी के बाद कार्रवाई अमल में लाई जाती है। -हेमंत प्रियदर्शी, महानिदेशक, एसीबी
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