जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

प्रदेश की कला और कलाकारों के उत्थान के लिए काम कर रही राजस्थान ललित कला अकादमी में अब नया विवाद शुरू हो गया है। राजस्थान सरकार की ओर से बनाए गए मेम्बर ने चेयरमैन की कार्यशैली और नियमविरुद्ध कार्यों का विरोध करते हुए अपना इस्तीफा सरकार को भेज दिया है। मदन मीना ने कहा कि हालही में अकादमी की ओर से आठ कलाकारों को कलाविद् पुरस्कार देने की घोषणा हुई थी और इस घोषणा में प्रदेश के कई वरिष्ठ कलाकारों को दरकिनार करते हुए कई ऐसे लोगों काे इसमें शामिल किया गया, जिनका अकादमिक व कलात्मक दृष्टि से योगदान बेहद कम है। जबकि अकादमी की गवर्निंग काउंसिल की मीटिंग 15 कलाकारों के नाम पर चर्चा हुई थी, लेकिन चेयरमैन ने अपने ही स्तर पर आठ नाम घोषित कर लिया। गाैरतलब है कि हाल ही में कलाविद् पुरस्कार पाने वाले कलाकारों की नामों की घोषणा करते हुए अकादमी के चेयरमैन लक्ष्मण व्यास ने कहा था कि इन सभी नामों का चयन काउंसिल मीटिंग में किया गया था।

मदन मीना ने बताया कि राज्यसरकार ने पांच सदस्यों को अकादमी के मेम्बर के रूप में मनोनित किया था और इसके बाद अन्य मेम्बर्स का गठन इन मेम्बर्स की ओर से किया जाना था, लेकिन चेयरमैन ने यहां भी अपने स्तर पर ही पॉलिटिकल एंगल से सदस्यों का गठन कर लिया। इनमें कुछ ऐसे भी नाम है, जिनका कला से दूर दूर तक वास्ता नहीं है। इसमें तीन सदस्य प्रशासनिक स्तर के होते है, उनकाे भी इसमें शामिल नहीं किया गया। यहां तक की अब तक जो मीटिंग हुई है, उनके मिनिट्स भी मीटिंग के बाद बदल दिए जाते है। जिन बातों पर मीटिंग में सहमति बनती है, उन्हें बाद में अपने स्तर पर बदल दिया जाता है। यह हम सभी सदस्यों का अपमान जैसा है, जिनकी उपस्थिति और सुझाव किसी के लिए महत्वपूर्ण नहीं है।

वरिष्ठ कलाकारों से पूछा गया अवॉर्ड लेने के लिए आप फ्री है क्या

मदन मीना ने बताया कि सरकार अवॉर्ड देने का निर्णय करती है, न कि कलाकारों से पूछती है कि क्या यह अवॉर्ड आप लेना चाहते है। कलाविद सम्मान में भी ऐसा ही सुनने में आया है कि चेयरमैन के कुछ चहेतों ने वरिष्ठ कलाकारों से फोन कर पूछा है कि क्या आप कलाविद सम्मान लेने के लिए 30 तारीक का फ्री है क्या। इस तरह से प्रदेश के वरिष्ठ कलाकारों का भी अपमान अकादमी की ओर से किया जा रहा है। 2013 में आखिरी बार अकादमी के काउंसिल मीटिंग हुई थी और उसमें कलाविद् पुरस्कार को एक लाख रुपए करने का प्रस्ताव पारित हुआ था। इस तरफ इस बार की मीटिंग में ध्यान भी नहीं दिया गया। एक कलाकार को मिलने वाला अवॉर्ड रेवडी के रूप में आठ कलाकारों में बांट दिया।

एक लाख रुपए करना चाहिए पुरस्कार राशि

वरिष्ठ कलाकार नाथूलाल वर्मा ने बताया कि हमें एक युवा कलाकार ने फोन किया था और पूछा था कि फलां-फलां तारीख पर फ्री हो क्या, मैंने पूछा क्या हुआ, उस दिन फ्री हूं। फिर उसने कहा कि हम आपको कलाविद अवॉर्ड देने के लिए सोच रहे है। मैंने कहा कि आप कौन हाेते है, सोचने के लिए अकादमी के सदस्य मीटिंग में नाम तय करते है। मैंने उन्हें कहा कि पिछली मीटिंग में एक लाख रुपए पुरस्कार स्वरुप देने का निर्णय पारित हुआ था, क्या उसी अनुरुप अवॉर्ड दिया जाएगा। तब उन्होंने बताया कि हम आठ कलाकारों को यह अवॉर्ड देने वाले है और सभी को 50 हजार रुपए ही दिए जाएंगे। मैंने उन्हें कुछ जवाब नहीं दिया। यह हम जैसे कलाकारों का भी अपमान जैसा है, जिन्होंने इतने साल इस प्रदेश की कला को आगे बढाने का काम किया और अब इस तरह से अवॉर्ड के लिए पूछ कर अपमानित किया जा रहा है। वरिष्ठ कलाकार डॉ विद्यासागर उपाध्याय ने कहा कि ऐसे ही लोगों का मेरे पास भी फोन आया था, लेकिन मैंने साफ कह दिया था कि एक लाख रुपए पुरस्कार राशि ही कलाकारों को देनी चाहिए। यह प्रदेश का सबसे बडा फैलो है, इसका महत्व समझा जाना चाहिए। जिस तरह से हमें पूछा जा रहा है, यह नियमों के विपरीत है। कमेटी डिसाइड करेगी कि किसे देना है, तो फिर पूछकर क्यों अपमानित किया जा रहा है। वरिष्ठ चित्रकार आरबी गाैतम ने कहा कि जिस तरह से भेड-बकरियों की तरह यह सम्मान दिया जा रहा है, वह हास्यपद है। जिन कलाकारों ने देश-विदेश में अपनी कला के दम पर प्रदेश का नाम रोशन किया है, उन्हें दरकिनार करना सही नहीं है। वरिष्ठ चित्रकार जगमोहन माथोडिया ने कहा कि कलाविद् के लिए एक लाख रुपए की पुरस्कार राशि पहले की मीटिंग में तय हो गई थी, इस बार इसी आधार पर सम्मान दिए जाने चाहिए थे। दूसरे राज्यों में जो सबसे अवॉर्ड है, उनकी राशि कम से कम एक लाख रुपए है। कला चर्चा ग्रुप में वरिष्ठ कलाकार रघुनाथ शर्मा ने कहा कि जिस तरह से एक मेम्बर का इस्तीफा दिया गया है, वह अकादमी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने जैसा है। कलाकारों के चयन के निर्णय पर अकादमी अध्यक्ष और उनकी कार्यकारणी से बडी चुक हुई है। चयनित आठ नामों में तीन नाम ऐसे है, जिनकी तुलना में उम्र और कलानुभव के हिसाब से अधिक वरिष्ठ कलाकार उपेक्षित महसूस कर रहे है। राज्य के सर्वोच्च कला सम्मान की गरीमा को बनाए रखने के लिए सरकार को प्रयास करने चाहिए।

युवा कलाकार और अकादमी के मेम्बर लाखन सिंह जाट ने कहा कि कलाविद् सम्मान जिन कलाकारों को दिया जा रहा है, वे सभी पूरी तरह डिर्जव करते है। अवॉर्ड देने से पहले अनुमति लेनी होती है, ऐसे में हमने इन कलाकारों से पहले पूछा था। इनके लिए राशि बडी है या अवॉर्ड, यह समझ नही आता। भवानी शंकर शर्मा जब चेयरमैन थे, तब इन कलाकारों की ही गेंग काम पर लगी हुई थी, तब क्यों नहीं एक लाख रुपए का पुरस्कार दिया गया।