चित्तौड़गढ़ - गोपाल चतुर्वेदी।
चित्तौड़गढ़ नगर परिषद की ओर से विभिन्न वार्डों में बने उद्यानों में कार्यरत ठेका कर्मियों को नगर परिषद सभापति और ठेकेदार के बीच चल रही है आपसी खींचतान के चलते पिछले 5 महीनों से भुगतान नहीं मिलने से आहत 50 से अधिक उद्यान ठेका कर्मियों ने नगर परिषद सभापति के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली,  वहीं उन्होंने उनके बकाया भुगतान को दिलाने की मांग भी की
जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ नगर परिषद के 60 वार्डों में करीब 80 उद्यान संचालित किए जा रहे हैं जिनके रखरखाव के लिए नगर परिषद की ओर से दो ठेकेदारों को सफाई और रखरखाव करने का ठेका दे रखा है, जिसमें से एक ठेका सत्ताधारी पार्टी के  नजदीकी व्यक्ति की ठेका कंपनी को दिया हुआ है जिसका भुगतान समय पर हो रहा है जबकि दूसरा ठेका उदयपुर की यूनीक गार्डन सॉल्यूशन कंपनी को दिया हुआ है जिसमें से उदयपुर की ठेका कंपनी को विगत 7 महीनों से नगर परिषद की ओर से ₹1 का भी भुगतान नहीं किया गया है और इसी के चलते इसकी अधीनस्थ ठेका कर्मियों को विगत 5 महीनों से भुगतान नहीं मिला है, इसी से आहत होकर करीब 50 से अधिक महिला ठेका कर्मी आज नगर परिषद पहुंचे और नगर परिषद सभापति के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली।
एक महिला ठेका कर्मी ने बताया कि नगर परिषद और ठेकेदार के बीच की लड़ाई में हम सब का भुगतान रुका हुआ है,  उन्होंने बताया कि उन्हें ₹100 प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान  किया जा रहा है लेकिन वह भी समय से नहीं मिल रहा है जिसके कारण उनके परिवार को चलाने में भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है वहीं उन्होंने बताया कि भुगतान के लिए कई बार नगर परिषद सभापति संदीप शर्मा,  आयुक्त रविंद्र सिंह और जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल के पास जाकर भी गुहार लगाई है लेकिन अभी तक उन्हें उनके द्वारा किया जाए काम का भुगतान नहीं मिला है, वहीं उन्होंने नगर परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी उनका शोषण करने जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें तो लाखों रुपए प्रतिमाह मोटी तनखा मिलती है और उन्हें ₹100 प्रतिदिन के हिसाब से मिल रहा भुगतान भी समय पर नहीं दिया जा रहा है आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है
वहीं अपनी प्रतिक्रिया में ठेकेदार सचिन दुबे ने बताया कि 7 महीने पहले नियमानुसार टेंडर के जरिए उन्होंने यह ठेका लिया था जब नगर परिषद की ओर से इसमें काफी नाराजगी भी देखी गई थी और इसी का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है उसके फल स्वरुप विगत 7 महीने से उन्हें ₹1 का भुगतान भी नहीं किया गया है पूरा भुगतान नगर परिषद में अटका पड़ा है फिर भी उन्होंने कुछ महीनों तक ठेका कर्मियों को भुगतान किया है लेकिन अब जबकि नगर परिषद की ओर से उन्हें भुगतान नहीं किया जा रहा है तो कर्मचारियों को भुगतान कैसे किया जाए।
गौरतलब है कि विगत कई वर्षों से नगर परिषद में भाजपा और कांग्रेस के बोर्ड बने हैं जिस में सत्ताधारी पार्टी के साथ ठेकेदार तो बदलते हैं लेकिन ठेका कर्मियों की किस्मत नहीं बदलती और आज भी उन्हें प्रतिदिन ₹80 से ₹100 का भुगतान किया जा रहा है जबकि सरकार के नियमों के अनुसार ₹264 न्यूनतम वेतन तय किया हुआ है लाखों रुपए प्रतिमाह के उद्यान रखरखाव के इस पूरे ठेके में सिर्फ सभापति और पार्टी के करीबी लोग ही ठेका लेकर मौज कर रहे हैं और ठेका कर्मियों का शोषण भी कर रहे हैं अब देखना यह है कि पिछले 5 महीनों से नगर परिषद और ठेकेदार के बीच की लड़ाई में रुका ठेका कर्मियों का भुगतान उन्हें कब मिलता है यह तो वक्त ही बताएगा।