जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
देश की अग्रणी साहित्य संस्था कलमकार मंच की ओर से मानसरोवर के अरावली मार्ग स्थित सामुदायिक केंद्र में आयोजित एक दिवसीय साहित्य महोत्सव में जहां चन्दालाल कालबेलिया समूह ने राजस्थानी लोक संगीत और भवई एवं चरी नृत्य की रंगारंग प्रस्तुतियां देकर मौजूद साहित्यप्रेमियों की प्रशंसा बटोरी, वहीं 50 से अधिक रचनाकारों ने काव्य सरिता के सत्र में अपने रचना पाठ के माध्यम से सभागार में उपस्थित श्रोताओं की दाद बटोरी। वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार दिवंगत ईशमधु तलवार को समर्पित इस समारोह में कलमकार मंच के राष्ट्रीय संयोजक निशांत मिश्रा ने उद्घाटन संबोधन में कहा कि कोरोना काल में घरों में कैद हुआ साहित्य अब बाहर आ रहा है। इस दौरान लिखा हुआ साहित्य जन-जन तक पहुंचे इसी उद्देश्य को लेकर यह आयोजन किया गया है। उन्होंने कलमकार साहित्य यात्रा के तहत आगामी माह उदयपुर में होने वाले दो दिवसीय और नवम्बर में जैसलमेर में होने वाले दो दिवसीय साहित्यिक आयोजन की जानकारी भी दी।
 वर्तमान समय में व्यंग्य लेखन की प्रासंगिकता।
इस स़त्र में कलमकार मंच के संक्षरक एवं कार्यक्रम संयोजक फारुख आफरीदी ने ईशमधु तलवार के व्यंग्य संग्रह ’इशारों इशारों में’ का जिक्र करते हुए कहा कि पत्रकारिता में व्यंग्यकृति लिखना सच में बहुत महत्वपूर्ण है। व्यंग्य के माध्यम से हम वो बात आसानी से पाठकों तक पहुंचा सकते हैं, जो हम एक खबर के माध्यम से अखबार में रहते हुए नहीं पहुंचा पाते। समाज में फैले पाखंड पर कटाक्ष एक व्यंग्यकार ही कर सकता हैं। उन्होंने कहा कि हर व्यंगयकार एक छोटा कबीर है जिसकी समाज को बेहद जरूरत है। सत्र में वरिष्ठ व्यंग्यकार राजेन्द्र वर्मा, राजेन्द्र मोहन शर्मा, कैलाश गौतम ने भी विचार व्यक्त किए। सत्र का संचालन डॉ. अजय अनुरागी ने किया।
कहानी में कहन
इस सत्र में वरिष्ठ रचनाकार डॉ. हरीराम मीणा ने कहा कि आदिवासी समाज में आज भी पुरूष और महिलाओं में सभ्य समाज के मुकाबले अधिक जागरुकता है। सत्र में प्रबोध गोविल, मनीषा कुलश्रेष्ठ, तसनीम खान ने कहानी में कहन पर बात की और साहित्यप्रेमियों के सवालों के जवाब दिए। सत्र का संचालन डॉ. ऊषा दशोरा ने किया।
कहानी पूरी फिल्मी है
सत्र में फिल्म निर्माता निर्देशक गजेन्द्र एस. श्रोत्रिय, वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक विनोद भारद्वाज, फिल्म निर्देशक निशांत भारद्वाज, किस्सागोई फेम लेखिका उमा, हनुरोज, अभिनेता श्रवण सागर ने फिल्मों पर अपनी बात रखी। सत्र का संचालन डॉ. राकेश कुमार ने किया।
काव्य विमर्श
जानी मानी कवियत्री अजंता देव ने कहा की मौलिक हमेशा साहित्यकारों की नजर होती है उसका विषयों को देखने का दृष्टिकोण मौलिक होता है। विषय और शब्द वही पुराने होते हैं। पृथ्वी पर कोई विषय मौलिक नहीं है पर हर रचना मौलिक है। सत्र में वरिष्ठ कवि कृष्ण कल्पित, नंद भारद्वाज, लोकेश कुमार सिंह ‘साहिल’, कैलाश मनहर ने भी अपने विचार रखे।संचालन युवा कवि राम नारायण मीणा ‘हलधर’ ने किया।
काव्य सरिता
मंचासीन साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित साहित्यकार मीठेश निर्मोही, प्रभात, ज्ञानचंद बागड़ी, सुनील प्रसाद शर्मा (एसीपी, रामगंज), और दशरथ सोलंकी, के अलावा स्मिता शुक्ला, भागचंद गुर्जर, लक्ष्मण सिंह, डॉ. स्नेहा पारीक, प्रेमलता, टीना शर्मा, जीनस कंवर, नरेन्द्र लाटा, अरूण ठाकर, पूनम भाटिया, गोविंद भारद्वाज, कविता माथुर, सुनीता बिश्नोलिया, नीलम शर्मा ’सपना’, मीनू कंवर, रजनी मिश्रा, नैहनू मीणा, प्रशंसा श्रीवास्तव, रेनू शर्मा ’शब्द मुखर’, डॉ. मंजूलता भट्ट, रत्ना शर्मा, शैलेश सोनी ’चिरंजीवी’, रूद्राक्षी झारोटिया, सुशीला शर्मा, ए.एफ. नज़र, ज्योत्सना सक्सेना, डॉ. विमलेश पारीक, शिवराज पाल सिंह, डॉ. शिवराज शर्मा, कमलेश शर्मा, शालिनी श्रीवास्तव, नरेन्द्र सिंह चारण, प्रज्ञा श्रीवास्तव, प्रकाश प्रियम, प्रशंसा श्रीवास्तव, श्रद्धा आढ़ा, डॉ. संतोष चारण, सुजीत गौड़, दीपा सैनी, चित्रा भारद्वाज, डॉ. निशा अग्रवाल, चन्द्रशेखर पारीक, तारावती सैनी सहित अनेक रचनाकारों ने रचना पाठ किया। सत्र का संचालन पूनम भाटिया ने किया। समारोह के अंत में राष्ट्रीयस्तर पर आयोजित कलमकार पुरस्कार 2019-20 और 2020-21 के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। इनमें वर्ष 19-20 के लिए कहानी श्रेणी में प्रथम नितिन यादव, द्वितीय मीनाक्षी दुबे, तृतीय सारिका भूषण, नरेन्द्र कुमार लाटा, अर्चना अनुपम ’चिलमन’ और लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव। इसी श्रेणी में वर्ष 20-21 के लिए प्रथम महेश कुमार, द्वितीय संगीता सेठी, तृतीय राम करन, अनिता राठौर ’मंजरी’ और अनघा जोगलेकर को पुरस्कृत किया गया। इसी प्रकार कविता, गीत एवं गज़ल श्रेणी में वर्ष 19-20 के लिए प्रथम ए.एफ. ऩज़र, द्वितीय मोहन पुरी और तृतीय नूतन गुप्ता, कविता नागर, मुन्नी शर्मा एवं वर्ष 20-21 के लिए प्रथम नैहनू राम मीणा, द्वितीय रामनारायण मीणा ’हलधर’, तृतीय सौरभ वाचस्पति, देवेश पथसारिया, साधना जोशी ’प्रधान’ एवं प्रकाश प्रियम को पुरस्कृत किया गया।वर्ष 19-20 के बंकट बिहारी ’पागल्य सम्मान से पंखुरी सिन्हा और वर्ष 20-21 के लिए दशरथ कुमार सोलंकी को सम्मानित किया गया। समारोह का संचालन तसनीम खान और उमा ने किया।