जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली 241 याचिकाओं पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा है कि इस एक्ट के तहत ईडी की ओर से किसी आरोपी की गिरफ्तारी गलत नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि यह फैसला निराशाजनक और चिंताजनक। सीएम गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा कि PMLA और ED के अधिकारों पर उच्चतम न्यायालय का फैसला निराशाजनक और चिंताजनक है। देश में पिछले कुछ वर्षों से जो तानाशाही का माहौल बना हुआ है, इस फैसले के बाद केन्द्र सरकार की ओर से ED का राजनीतिक इस्तेमाल और अधिक करने की संभावना बढ़ जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा।
जांच प्रक्रिया में जरूरत पड़ने पर ईडी किसी की गिरफ्तारी कर सकती है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) गिरफ्तारी के समय इसके आधार का खुलासा करता है, तो ये पर्याप्त है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) को एफआईआर के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है और ईसीआईआर प्रवर्तन निदेशालय का एक आंतरिक दस्तावेज है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आरोपी को ईसीआईआर देना अनिवार्य नहीं है और गिरफ्तारी के दौरान कारणों का खुलासा करना ही काफी है। बता दें, कि कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम, एनसीपी नेता अनिल देशमुख और अन्य की तरफ से आई करीब 242 अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। सभी याचिकाओं में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच ने यह फैसला सुनाया।