जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री रमेश चन्द मीना ने राजस्थान के 13 जिलों के लिए जीवन रेखा बनने वाली पूर्वी राजस्थान कैनाल के लिए प्रदेश के सभी केन्द्रीय मंत्रियों एवं सांसदों को मिलकर प्रयास करने का आह्वान किया है। उन्होने कहा कि ऐसा होगा तो केन्द्र-राज्य की 90 एवं 10 प्रतिशत राशि के अनुपात में केन्द्र से पैसा मिल सकेगा। उन्होंने इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने का प्रयास करने का भी अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि इस्टर्न कैनाल का मुद्दा मुख्यमंत्री भी विभिन्न मंचों पर उठा चुके हैं और केन्द्र सरकार को इस सम्बन्ध में पत्र भी लिख चुके हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि अंतिम छोर पर बैठे गरीब व्यक्ति, किसान की स्थिति और उनके जीवन में सुखद बदलाव आए। इसी लक्ष्य के साथ बजट 2022-23 में कई घोषणाएं की गई हैं। मीना मंगलवार को राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान, प्रतापनगर में हुए गरीब कल्याण सम्मेलन में मंच से सम्बोधित कर रहे थे। बता दें, कि हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग की गई है। इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलने का मुख्य लाभ यह होगा कि परियोजना को पूर्ण करने हेतु 90% राशि केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। ERCP की अनुमानित लागत लगभग 40,000 करोड़ रुपए है।

क्यों है महत्वपूर्ण?
आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 342.52 लाख हेक्टेयर है जो संपूर्ण देश के भौगोलिक क्षेत्र का 10.4% है और क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का सबसे बड़ा राज्य है। देश में उपलब्ध कुल सतही जल की 1.16% और भूजल की 1.72% मात्रा यहां पाई जाती है। राज्य जल निकायों में केवल चंबल नदी के बेसिन में अधिशेष जल की उपलब्धता है परंतु इसके जल का सीधे तौर पर उपयोग नहीं किया जा सकता है क्योंकि कोटा बैराज के आस-पास का क्षेत्र मगरमच्छ अभयारण्य के रूप में संरक्षित है। ERCP का उद्देश्य मोड़दार संरचनाओं की सहायता से अंतर-बेसिन जल अंतरण चैनलों को जोड़ने तथा मुख्य फीडर चैनलों को जल आपूर्ति हेतु वाटर चैनलों का एक नेटवर्क तैयार करना है जो राज्य की 41.13% आबादी के साथ राजस्थान के 23.67% क्षेत्र को कवर करेगा। ERCP का उद्देश्य दक्षिणी राजस्थान में बहने वाली चंबल नदी और उसकी सहायक नदियों (कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध) में वर्षा ऋतु के दौरान उपलब्ध अधिशेष जल का उपयोग राज्य के उन दक्षिण-पूर्वी ज़िलों में करना है जहाँ पीने के पानी और सिंचाई हेतु जल का अभाव है। ERCP को वर्ष 2051 तक पूरा किये जाने की योजना है जिसमें दक्षिणी एवं दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में मानव तथा पशुधन हेतु पीने के पानी तथा औद्योगिक गतिविधियों हेतु पानी की आवश्यकताओं को पूरा किया जाना है। इसमें राजस्थान के 13 ज़िलों में पीने का पानी और 26 विभिन्न बड़ी एवं मध्यम परियोजनाओं के माध्यम से 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।

इन जिलों को मिलेगा जीवनदान।
इस योजना से सीधे तौर पर 13 ज़िलों को फायदा मिलेगा। इनमें झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर शामिल हैं। इसको लेकर स्थानीय स्तर पर कई आंदोलन भी चलाए जा रहे हैं।