जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
कोविड-काल में कॉन्ट्रेक्ट पर नौकरी लगने के बाद हटाए गए कोविड स्वास्थ्य सहायकों (सीएचए) ने दोबारा नौकरी पर रखने की मांग करते हुए बड़ा आंदोलन शुरू कर दिया है।संविदा कैडर में नौकरी लगाने की मांग को लेकर इन सीएचए ने पिछले 53 दिनों से जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दे रखा है। सोमवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय जयपुर में जनसुनवाई के पहले दिन दौरान सीएचए प्रतिनिधि मंडल जब वहां पहुंचा तो उन्होंने वन मंत्री हेमाराम चौधरी और अल्पसंख्यक मामलात मंत्री साले मोहम्मद के सामने ही आत्महत्या करने की धमकी दे डाली।अल्पसंख्यक मामलात मंत्री शाले मोहम्मद और वन मंत्री हेमाराम चौधरी के समक्ष अपनी व्यथा सुनाने पहुंचे इन लोगों ने कहा कि सरकार पिछले डेढ़ महीने से हमारी बात नहीं सुन रही। हम लगातार शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे है। हम वहीं है जिनकी वजह से कोरोनाकाल के दौरान लाखों लोगों की जान बची थी और राजस्थान काेविड मैनेजमेंट में पूरे देश में नंबर वन स्टेट बना था। आज जब सरकार का काम निकल गया तो हमें भी बेरोजगार कर दिया। उन्होंने कहा कि हमे नियमित नहीं तो कम से कम संविद कैडर पर नौकरी पर लगाया जाए, ताकि हमारा परिवार का हम भरण-पोषण कर सके। इस दौरान वहां मौजूद सीएचए ने यहां तक कह दिया कि अगर सरकार हमारी सुनवाई नहीं करेगी तो हम यहीं आंदोलन करते-करते मर जाएंगे या सुसाइड कर लेंगे, लेकिन अब बिना नौकरी लिए वापस घर नहीं लौटेंगे।आपको बता दें, कि कोरोना काल के दौरान प्रदेशभर में 28 हजार सीएचए वर्कर्स की नियुक्ति की थी, जिन्हें कोरोना मरीजों के उपचार के साथ घर-घर जाकर दवाई पहुंचाने, सैंपल लेने की भी जिम्मेदारी दी गई थी। इस साल 31 मार्च को सीएचए वर्कर्स का कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद सरकार ने सभी को नौकरी से हटाने का आदेश जारी कर दिया। इस आदेश के बाद से प्रदेश में सभी सीएचए ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

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