जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान प्रदेश में 2 साल के बाद साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सत्ता और संगठन अब एक्टिव मोड में हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी कम करने और उनको सरकार में अहमियत देने के लिए सत्ता और संगठन की तरफ से हर संभव कोशिश की जा रही है।कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के लिए जहां पहले प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मंत्री दरबार कार्यक्रम शुरू किया गया। 26 से 28 दिसंबर तक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया तो वहीं अब सरकार में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सुझावों पर अमल किया जाए इसे लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का तीन दिवसीय खुला अधिवेशन भी अगले माह प्रस्तावित है। खुले अधिवेशन में कांग्रेस कार्यकर्ता सरकार की कमियां गिनाने के साथ-साथ सरकार को सुझाव भी देंगे की सरकार सरकार को किन-किन योजनाओं में किस प्रकार से काम करना चाहिए जिससे आम जनता को फायदा मिले। जानकारी के मुताबिक प्रदेश कांग्रेस की ओर से 16 से 18 जनवरी तक जयपुर में खुला अधिवेशन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें एआईसीसी मेंबर और पीसीसी मेंबर को आमंत्रित किया जाएगा। तीन दिवसीय इस खुले अधिवेशन में एआईसीसी और पीसीसी मेंबर सरकार के कामकाज को लेकर अपने अपने सुझाव रखेंगे। इस अधिवेशन में प्रदेश प्रभारी अजय माकन, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा मौजूद रहेंगे। खुले अधिवेशन में एआईसीसी मेंबर सरकार के 3 साल के कामकाज, योजनाएं और उपलब्धियों पर चर्चा करेंगे और कहीं अगर सरकार के कामकाज में खामी नजर आती है तो उसे भी खुले मंच पर रखेंगे। 3 दिन चलने वाले खुले अधिवेशन में एआईसीसी-पीसीसी मेंबर्स की तरफ से आने वाले सुझाव का एक प्रस्ताव तैयार किया जाएगा और अधिवेशन के अंतिम दिन प्रस्ताव को सामूहिक रूप से पारित किया जाएगा और फिर उसे सरकार को सौंपा जाएगा। प्रस्ताव के मुताबिक ही फिर आगे सरकार अपना कामकाज और लक्ष्य तय करेगी। सूत्रों की माने तो खुला अधिवेशन होने की वजह यह भी है कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं को लगना चाहिए कि सरकार उनके सुझावों के मुताबिक काम कर रही है। ऐसे में कार्यकर्ताओं को भी लगेगा कि सरकार में उनकी भागीदारी है। वैसे भी जनता के बीच में कांग्रेसी कार्यकर्ता जाते हैं। जनता सरकार के कामकाज से खुश है या नाराज है या फिर कौन सी ऐसी योजना है जिसका लाभ जनता को नहीं मिल पा रहा।इसका वास्तविक फीडबैक कांग्रेस कार्यकर्ता ही दे सकता है। यही वजह है कि सरकार के 3 साल बीतने के बाद भले ही सरकारी मशीनरी सरकार की वाहवाही करने में जुटी हो लेकिन वास्तविक स्थिति का आंकलन कांग्रेस कार्यकर्ताओं से बेहतर कोई नहीं बता सकता।