स्पीकर से उलझने के बाद भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी को एक दिन के लिए सदन से निकाला, सभी भाजपा विधायकों का सदन से बहिष्कार बिना भाजपा विधायकों के चल रही है विधानसभा की कार्यवाही 

विधानसभा में आज शून्यकाल शुरु होते ही भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी स्पीकर सीपी जोशी से उलझ गए। नाराज स्पीकर ने देवनानी को सदन से एक दिन के लिए निकालने का प्रस्ताव लाने को कहा। संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने देवनानी को एक दिन सदन से बाहर निकालने का प्रस्ताव रखा जिसे पारित कर दिया गया। इससे नाराज सभी भाजपा विधायक सदन का बहिष्कर कर चले गए। अब बिना भाजपा विधायकों के ही सदन चल रहा है। 

शून्यकाल शुरु होते ही भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी बिना अनुमति ही बोलने लग गए, स्पीकर सीपी जोशी ने खड़े होकर उन्हें टोका। देवनानी ने  स्पीकर के खड़े होने के बावजूद भी बोलना बंद नहीं किया और स्पीकर से ही उलढ गए। इस पर स्पीकर ने कड़ा रुख अपनाते हुए देवनानी के आचरण को विधानसभा स्पीकर के आदेशों की अवहेलना बताया, स्पीकर ने संसदीय कार्यमंत्री से देवनानी को एक दिन के लिए सदन से बाहर निकालने का प्रस्ताव लाने को कहा। इसी बीच नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि यह सही है कि विधाायक देवनानी को बैठ जाना चा​हिए था, लेकिन इतनी छोटी सी घटना के लिए विधायक केा सदन से निकालना सही नहीं होगा। अगर ऐसा हुआ तो हम सब सदन से जाएंगे। 

नेता प्रतिपक्ष के बोलने के बाद स्पीकर ने कहा, आपकी तरफ से विधायक के आचरण पर कोई खेद नहीं जताया गया है। कम से कम विधायक के आचरण पर आपको तो खेद जताना चाहिए था। इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि विधायक वासुदेव देवनानी का आचरण संसदीय परंपराओं के अनुकूल नहीं है। नेता प्रतिपक्ष अध्यक्ष पर दबाव बनाना चाहते हैं। 

देवनानी ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है, जो हरकत की है उसके लिए उन्हें एक दिन के लिए सदन से निकाला जाए और तभी प्रवेश दिया जाए जब वे अपने आचरण के लिए माफी मांगे। इसके बाद धारीवाल ने देवनानी को एक दिन के लिए  से बाहर निकालने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव पर स्पीकर ने सदन की राय ली जिसे ध्वनिमत से मंजूरी मिल गई। देवनानी केा बाहर निकालने का प्रस्ताव सदन से पारित होते ही भाजपा के सभी विधायक सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करके चले गए। 

एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर हमले के मामले में बोलना चाहते थे देवनानी भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी राजस्थान यूनिवर्सिटी के बाहर धरना देर रहे एबीवीपी छात्रों पर हमले का मामला विधानसभा में उठाना चाहते थे। इस पर स्थगन प्रस्ताव के जरिए बोलने का मौका नहीं मिलने से नाराज देवनानी स्पीकर से उलझ गए और विवाद बढ़ने पर उन्हें सदन से एक दिन के लिए निकाल दिया गया। 

देवनानी को सदन से बाहर निकालने के पीछे क्या आधार बनाया,जानिए विधानसभा स्पीकर के अधिकार विधानसभा में विधायकों के मुद्दा उठाने के लिए नियम तय हैं। विधानसभा की प्रक्रिया व कार्य संचालन नियमों के मुताबिक कोई विधायक स्पीकर की अनुमति के बिना सदन में नहीं बोल सकता। विधानसभा स्पीकर अगर अपनी सीट पर खड़े हों तो सब विधायकों को बैठना होता है। 

शून्यकाल में स्थगन प्रस्ताव, नियम 295 और ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए मुद्दा उठा सकते हैं। स्पीकर इस बारे में शून्यकाल शुरु होने से पहले खड़े होकर व्यवस्था देते हैं, बोलने का क्रम तय करते हैं।  कोई विधायक अगर स्पीकर की अनुमति के बिना खड़े होकर बोले तो पहले उसे टोका जाता है, फिर भी नहीं माने तो नाम लेकर पुकारा जाता है। 

इस चेतावनी का असर नहीं होता है तो स्पीकर सीधे मार्शल बुलाकर विधायक को सदन से बाहर करवा सकते हैं। एक विकल्प संसदीय कार्यमंत्री से कहकर संबंधित विधायक को बाहर निकालने का प्रस्ताव पारित करवाकर सदन से बाहर करने का होता है। आज देवनानी को भी इसी प्रावधान के तहत बाहर निकाला गया।