जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट केस में आरोपियों को बरी करने के खिलाफ दायर याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। हाईकोर्ट के आरोपियों को बरी करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। जयपुर में सीरियल बम ब्लास्ट में जान गंवाने वालों के पीड़ित परिवार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक से इनकार कर दिया है, जिसमें आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही हाईकोर्ट के आदेश की समीक्षा करने के लिए भी रजामंदी दे दी है। यह याचिका राजेश्वरी देवी और अभिनव तिवाड़ी ने लगाई थी।

राजेश्वरी देवी के पति और अभिनव के पिता की हुई थी मौत

बता दें कि 13 मई 2008 को जयपुर में सीरियल ब्लास्ट हुए थे। राजेश्वरी देवी के पति ताराचंद सैनी सांगानेरी गेट हनुमान मंदिर पर हुए बम ब्लास्ट में मारे गए थे। चांदपोल हनुमान मंदिर के पास हुए बम ब्लास्ट में अभिनव तिवाड़ी के पिता मुकेश तिवाड़ी की जान चली गई थी। इसमें 71 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 185 घायल हुए थे। 2019 में जिला कोर्ट ने मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान, सरवर आजमी और मोहम्मद सलमान को हत्या, राजद्रोह और विस्फोटक अधिनियम के तहत फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद सभी आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगी थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की डिविजनल बेंच ने मामले की सुनवाई की।

पहले जानिए क्या थी एटीएस की थ्योरी, जिसे जयपुर हाईकोर्ट ने गलत माना?

1. एटीएस को 13 सितंबर 2008 को पहला डिस्क्लोजर स्टेटमेंट मिला, लेकिन जयपुर ब्लास्ट 13 मई 2008 को हो गया था। इस चार महीने के अंदर एटीएस ने क्या कार्रवाई की। क्योंकि इस चार महीने में एटीएस ने विस्फोट में इस्तेमाल की गई साइकिलों को खरीदने के सभी बिल बुक बरामद कर ली थी तो एटीएस काे अगले ही दिन किसने बताया था कि यहां से साइकिल खरीदी गई हैं।

2. कोर्ट ने कहा कि साइकिल खरीदने की जो बिल बुक पेश की गई है, उन पर जो साइकिल नंबर हैं, वे सीज की गई साइकिलों के नंबर से मैच नहीं करते हैं। यह थ्योरी भी गलत मानी गई है।

3. कोर्ट ने एटीएस की उस थ्योरी को भी गलत माना कि आरोपी 13 मई को दिल्ली से बस से हिंदू नाम से आए हैं, क्योंकि उसका कोई टिकट पेश नहीं किया गया। साइकिल खरीदने वालों के नाम अलग हैं, टिकट लेने वालों के नाम अलग है। कोर्ट ने यह भी कहा कि साइकिल के बिलों पर एटीएस अफसरों द्वारा छेड़छाड़ की गई है।

4. एटीएस ने बताया है कि 13 मई को आरोपी दिल्ली से जयपुर आए। फिर एक होटल में खाना खाया और किशनपाेल बाजार से साइकिलें खरीदीं, बम इंप्लॉन्ट किए और साढ़े चार-पांच बजे शताब्दी एक्सप्रेस से वापस चले गए, यह सब एक ही दिन में कैसे मुमकिन हो सकता है?

5. एटीएस ने कहा था कि आरोपियों ने बम में इस्तेमाल करने वाले छर्रे दिल्ली की जामा मस्जिद के पास से खरीदे, लेकिन पुलिस ने जो छर्रे पेश किए और बम में इस्तेमाल छर्रे एफएसएल की रिपोर्ट में मैच नहीं किए।(बरी किए गए आरोपियों के वकील सैयद सदत अली के मुताबिक)

पुलिस ने 13 लोगों को बनाया था आरोपी

इस मामले में कुल 13 लोगों को पुलिस ने आरोपी बनाया था। 3 आरोपी अब तक फरार है, जबकि 3 हैदराबाद और दिल्ली की जेल में बंद है। बाकी बचे दो गुनहगार दिल्ली में बाटला हाउस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। चार आरोपी जयपुर जेल में बंद थे, जिन्हें निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी।

सजा सुनाते वक्त कोर्ट ने कहा था- विस्फोट के पीछे जेहादी मानसिकता

निचली अदालत में सजा सुनाते वक्त कोर्ट ने कहा था- विस्फोट के पीछे जेहादी मानसिकता थी। यह मानसिकता यहीं नहीं थमी। इसके बाद अहमदाबाद और दिल्ली में भी विस्फोट किए गए। कोर्ट ने मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान, सरवर आजमी और मोहम्मद सलमान को हत्या, राजद्रोह और विस्फोटक अधिनियम के तहत दोषी पाया था।