जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।   

राजस्थान में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के निर्देश पर अब शहरों में सरकारी भूमि पर बसी कच्ची बस्तियों के 3 लाख से अधिक घरों का फिर से सर्वे होगा। पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में 31 दिसंबर, 2021 तक बसी कच्ची बस्तियों के नियमन के फैसले के बाद धारीवाल ने अफसरों को नियमन प्रक्रिया शुरू करने को कहा है। जल्द करीब 1943 कच्ची बस्तियों का सर्वे होगा और 12 लाख से अधिक आबादी के घर-घर का फिर से नाप-जोख होगा।

कच्ची बस्ती उसे माना जाएगा जो 2004 में सर्वेशुदा बस्तियों से अलग बसी हैं। यूडीएच और स्वायत्त शासन विभाग ने कैबिनेट फैसले के मिनट्स जारी होने के बाद आदेश जारी किए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि नई कच्ची बस्तियों का पट्टा पति व पत्नी के संयुक्त नाम से जारी किया जाएगा। पट्टे पर दोनों की फोटो भी लगाए जाएगी। अब तक फीडबैक यह आया था कि सरकारी पट्टा मिलते ही औने पौने दामों में शराब और नशे के चक्कर में पुरुष मालिक मकान बेच देते थे या गिरवी रख देते थे। अब अकेला पुरुष नहीं बेच पाएगा। इस आदेश से नई कच्ची बस्तियों का भी नियमन किया जा सकेगा। सरकार ने आवासीय के लिए 110 वर्गगज तक के कब्जे और व्यावसायिक उपयोग के लिए 15 वर्गगज तक के क्षेत्रफल के भूखंडों नियमन तय किया है। 110 से 200 वर्गगज तक का भी नियमन होगा, लेकिन सरकारी भूमि के नियमन की दर से पैसा देना होगा।

ये हैं कच्ची बस्ती नियमन की नई दरें
निकाय का प्रकार 1 से 50 वर्गगज तक इससे अधिक पर
नगर निगम क्षेत्र 40 रु. प्रति वर्गगज 80 रु. प्रति वर्गगज
नगर परिषद क्षेत्र 30 रु. प्रति वर्गगज 60 रु. प्रति वर्गगज
नगरपालिका क्षेत्र 20 रु. प्रति वर्गगज 40 रु. प्रति वर्गगज
बीपीएल परिवार उपरोक्त सभी दरें आधी हो जाएंगी

2004, 2008, 2015, 2020 व 2023 का सर्वे
शहरी निकाय क्षेत्रों में 1995 के बाद कच्ची बस्तियों की बाढ़ आई। 1990 से पहले बहुत कम कच्ची बस्तियां थी। उनका लगभग नियमन हो चुका या अवैध घोषित कर बेदखल की जा चुकी हैं। क्षेत्रीय विधायक भी वोट बैंक के लिए कच्ची बस्तियों के साथ खड़े हुए तो बस्तियां करीब 2000 पहुंच गई। अब भी 1943 कच्ची बस्तियां नियमन की राह देख रही हैं। सरकारों ने अब तक 2004, 2008, 2015, 2020 में सर्वे कराए।