जयपुर/जोधपुर/कोटा/झालावाड़ ब्यूरो रिपोर्ट। 

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजयादशमी (दशहरा) पर्व मंगलवार को प्रदेशभर में मनाया गया। कोटा के दशहरा मैदान में रिमोट का बटन दबाते ही 75 फीट का रावण का पुतला एक मिनट में जलकर भस्म हो गया। इसके साथ ही कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का भी दहन किया गया।

जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में प्रदेश का सबसे ऊंचा 121 फीट का रावण का पुतला जलाया गया। वहीं, आदर्श नगर में 105 फीट के रावण के पुतले का दहन किया गया। जोधपुर में 62 फीट का रावण का पुतला जलाया गया। अग्नि बाण लगते ही दशानन की आंखों से अंगारे बरसने लगे।


जयपुर : विद्याधर नगर में 121 फीट के रावण का दहन

जयपुर के विद्याधर नगर में प्रदेश का सबसे ऊंचा 121 फीट का रावण का पुतला जलाया गया। यहां कुंभकर्ण का पुतला 111 फीट और मेघनाद का पुतला 105 फीट का था। विद्याधर नगर स्टेडियम में रावण दहन देखने बड़ी संख्या में लोग जुटे थे। विद्याधर नगर स्टेडियम विकास समिति की ओर से कार्यक्रम हुआ।

जयपुर के पूर्व राजपरिवार सदस्य सवाई पद्मनाभ सिंह ने अयोध्या से आई राम ज्योत से अग्नि ले रावण के पुतले पर अग्निबाण चलाया। पूरा स्टेडियम जय श्रीराम और धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो के नारों से गूंज उठा। समिति ने रावण दहन के लिए शिवाकाशी से 11 लाख रुपए के पटाखे मंगवाए थे। दहन के साथ ही जोरदार आतिशबाजी की गई। यहां भजनों पर लोग थिरक उठे।


वहीं, आदर्श नगर में रात 7:45 बजे 105 फीट के रावण और 90 फीट के कुंभकर्ण के पुतले का दहन किया गया। रावण और कुंभकर्ण के पुतलों की आंखों से शोले और मुंह से आग के गोले निकलते दिखे। बीच-बीच में धूमकेतु जैसा नजारा भी दिखा। पुतलों को आकर्षक एलईडी लाइट से सजाया गया था। यहां इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल सिस्टम से दहन किया गया।

कोटा : 75 फीट ऊंचे 3डी रावण का दहन

कोटा के दशहरा मेला में रावण का 3डी पुतला जलाया गया। दशहरा मैदान में रावण का 75 फीट, कुंभकर्ण और मेघनाद के 50-50 फीट के पुतले जलाए गए। कोटा का मशहूर दशहरा मेला देखने के लिए बड़ी तादाद में लोग जुटे। रावण के पुतले को रंग-बिरंगी लाइट से सजाया गया था। रिमोट से अग्नि बाण चलाकर दहन किया गया।


इस बार रावण का पुतला रथ में सवार होकर युद्ध के लिए ललकारता दिखा। अलग से बनाए गए रथ को पुतले के साथ जोड़ा गया था। रावण की छाती पर कवच और भाला लगाया गया था। पुतले के 16 फीट के हिस्से में 3डी इफेक्ट डाला गया था। रावण ने गर्दन घुमाई, तलवार चलाई और पलकें-होंठ हिलाए तो लोगों का हुजूम जय श्री राम के नारे लगाने लगा।

कोटा का दशहरा मेला देशभर में मशहूर है। मंगलवार को बड़ी संख्या में लोग दशहरा मेला देखने पहुंचे।
कोटा का दशहरा मेला देशभर में मशहूर है। मंगलवार को बड़ी संख्या में लोग दशहरा मेला देखने पहुंचे।

आतिशबाजी के लिए पुतलों में ग्रीन पटाखे इस्तेमाल किए गए थे। आतिशबाजी को इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से जोड़ा गया था। रिमोट का बटन दबाते ही भव्य आतिशबाजी हुई। रावण के मुंह से चिंगारी और नाक-कान से धुआं निकलता दिखा। सिर पर लगाया गया ताज चकरी की तरह घूमा। आतिशबाजी के लिए रावण के पुतले के कान की बालियों, कमर पेटी और पेट में अलग से बारूद भरा गया था।

कोटा में पलकें झपकाता, सिर हिलाता और तलवार चलाता रावण का पुतला लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया।
कोटा में पलकें झपकाता, सिर हिलाता और तलवार चलाता रावण का पुतला लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया।

कोटा : लोगों ने रावण को पैरों से कुचला
कोटा के नांता स्थित जेठी समाज के बड़े अखाड़े में मिट्टी का रावण बनाने की परंपरा है। मंगलवार को मिट्टी के रावण को समाज के लोगों ने पैरों से कुचल कर विजयादशमी पर्व मनाया। इसके बाद उसी मिट्टी में कुश्ती हुई।

यहां मिट्‌टी का रावण बनाने का काम अखाड़े में स्थित लिम्बजा माता के मंदिर में श्राद्ध पक्ष से शुरू हो जाता है। अमावस्या तक इसे पूरा कर लिया जाता है। रावण के सिर और मुंह पर ज्वारे उगाए जाते हैं। नवरात्र स्थापना के दिन पूजा-अर्चना कर मंदिर का मुख्य द्वार बंद कर दिया जाता है। नवमी के दिन मंदिर का यह दरवाजा खुलता है।

कोटा के नांता में लिम्बजा माता मंदिर में मिट्‌टी का रावण बनाया। इसके बाद इसे पैरों से रौंदा गया।
कोटा के नांता में लिम्बजा माता मंदिर में मिट्‌टी का रावण बनाया। इसके बाद इसे पैरों से रौंदा गया।

झालरापाटन : 183 साल से अडिग खड़ा है रावण
झालावाड़ जिले के झालरापाटन में मेला मैदान में रावण अपने परिवारजन के साथ 183 साल से अडिग खड़ा है। 1840 में झालावाड़ के राजा झाला मदन सिंह ने पत्थर और मिट्टी से रावण के कुनबे का निर्माण करवाया था। तब से अब तक रावण का कुनबा जैसा था, वैसा ही खड़ा है। हर साल इसे रंग-रोगन कर नया कर दिया जाता है।

जोधपुर : 62 फीट के रावण के पुतले का दहन
जोधपुर के रावण का चबूतरा मैदान में 62 फीट के पुतले का दहन किया गया। जोधपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य गज सिंह ने शाम 6:02 बजे अग्नि बाण चलाया। अग्नि बाण लगने पर दशानन की आंखों से अंगारे बरसने लगे। इस दौरान सीएम अशोक गहलोत भी मौजूद रहे। आचार संहिता के कारण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अग्नि बाण नहीं चलाया। पिछले साल सीएम ने रॉकेट जलाकर रावण के पुतले का दहन किया था।

जोधपुर नगर निगम उत्तर और दक्षिण की ओर से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। दशहरा महोत्सव के लिए शाम 4 बजे से लोग रावण का चबूतरा ग्राउंड पर आना शुरू हो गए थे। इस दौरान विदेशी पर्यटक भी मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और जोधपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य गज सिंह दशहरा मेला में मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और जोधपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य गज सिंह दशहरा मेला में मौजूद रहे।
जोधपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य गज सिंह ने अग्नि बाण चलाकर रावण दहन किया। आचार संहिता के कारण सीएम अशोक गहलोत ने दहन नहीं किया।
जोधपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य गज सिंह ने अग्नि बाण चलाकर रावण दहन किया। आचार संहिता के कारण सीएम अशोक गहलोत ने दहन नहीं किया।
जोधपुर में रावण दहन करने निकला भगवान राम का रथ। शहर की गलियों से होते हुए रावण का चबूतरा की तरफ बढ़ते हुए रथ।
जोधपुर में रावण दहन करने निकला भगवान राम का रथ। शहर की गलियों से होते हुए रावण का चबूतरा की तरफ बढ़ते हुए रथ।

रावण के पुतले बनाने वाले कारीगर मेहराज अंसारी ने बताया- रावण के पुतले को धोती, जोधपुरी अचकन और जूतियां पहनाई गई। इसके साथ ही मेघनाद, कुंभकर्ण, शूर्पणखा और ताड़का के पुतले भी बनाए गए।