भरतपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

एनसीआर और ताज ट्रिपाेजियम क्षेत्र में हाेने के कारण भरतपुर का पहले से ही औद्याेगिक विकास रुका हुआ है। उसमें काेढ़ में खाज अधिकारियों की लापरवाही है। सरकार ने वर्ष 2019 में राजस्थान कृषि प्रसंस्करण कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन याेजना प्रारंभ की, जिसमें डेढ़ कराेड़ तक का अनुदान देने का प्रावधान है, लेकिन पिछले 4 साल में सिर्फ 8 यूनिटों काे ही अनुदान मिला है।

अधिकारी बजट की कमी का राेना राेते हैं। जबकि अन्य जिलाें में ऐसा नहीं है। इसलिए भरतपुर संभाग मुख्यालय हाेने के बाद भी 20 वें पायदान पर है। भुगतान के मामले में नागाैर प्रदेश में अव्वल है। फलस्वरूप अनुदान के लिए काराेबारी चक्कर काट रहे हैं।

आराेप है कि सिस्टम में दलाल सक्रिय है, जाे 10 प्रतिशत कमीशन मांगते हैं। इसलिए फाइलाें में कमी निकाली जाती है। पूर्ति कर चुकी यूनिटों काे भी अभी तक भुगतान नहीं मिला है। इसमें 21 यूनिट ऐसी हैं, अभी तक एक रुपया नहीं मिला है। ऐसे में अनुदान की उम्मीद में संस्थागत पूंजी लगा चुके कारोबारियों काे भारी परेशानी आ रही है।

कैसे होगा भरतपुर का विकास, चुनाव के बाद उठाएंगे मुद्दा

चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल कहते हैं कि यह सरकारी जुल्म है। नए काराेबार या विस्तार के लिए कई लाेगाें ने इधर-उधर से जुगाड़ कर पैसा लगाया और अब अफसर चक्कर लगवा रहे हैं। ऐसे में भरतपुर में औद्याेगिक विकास की कैसे कल्पना की जा सकती है। मामले काे चुनाव बाद मंत्री के समक्ष उठाएंगे।

अनुदान नहीं मिलने से पिछड़ रहा है कारोबार

भरतपुर की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है, लेकिन अनुदान नहीं मिलने के कारण एग्रीकल्चर बेस्ड इंडस्ट्रीज काे बढ़ावा नहीं मिल पा रहा। मसलन, भरतपुर में 45 यूनिटों ने 1962 लाख का आवेदन किया, जबकि श्री गंगानगर में 146 यूनिटों ने 4837 लाख रुपए तथा हनुमानगढ़ में 117 यूनिटों ने 3363 लाख रुपए का अनुदान मांगा। संभाग जाेधपुर और बीकानेर भी भरतपुर से आगे हैं। जाेधपुर में 352 और बीकानेर में 263 यूनिट नई लगी अथवा उन्होंने विस्तार के लिए अनुदान आवेदन किया।

आचार संहिता की वजह से नहीं हो रहा भुगतान

कृषि विपणन के उपनिदेशक इशाक हारुन का कहना है कि आचार संहिता लग गई है। इस कारण भुगतान नहीं हाे रहा है। किंतु सवाल यह है कि इससे पहले क्याें नहीं भुगतान हुआ। इस बारे में उप निदेशक खान ने बताया कि डाक्यूमेंट्स में कमी थी। जिसमें पूरा कराया गया है। इसके बाद भरतपुर की सभी मिलों को अब जल्द भुगतान कर दिया जाएगा।

फाइलों की सारी कमी पूरी की, फिर भी इंतजार खत्म नहीं

भरतपुर संभाग मुख्यालय है, लेकिन अफसराें की लापरवाही के कारण प्रोत्साहन याेजना में 20 वें पायदान पर अटक गया है। इस याेजना में 45 यूनिटों ने 19.62 कराेड़ अनुदान के लिए आवेदन किया, लेकिन 9 फाइलाें काे रिजेक्ट कर दिया गया। चार साल में केवल 8 यूनिटों काे ही सहायता राशि मिली है। इस याेजना में तीन किस्ताें में भुगतान हाेता है, किंतु 21 यूनिटों काे अभी तक कुछ नहीं मिला, जबकि 6 काे पहली ओर 2 काे दूसरी किस्त ही मिली है। इस संबंध में काराेबारी लखनलाल ने बताया कि उनकी 50 लाख की सब्सिडी और आशीष गाेयल ने बताया कि उनकी 15 लाख का अनुदान नहीं मिला है।