कोटा - हंसपाल यादव 
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दो दिवसीय कोटा दौरे पर आए थे, लेकिन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की व्यवस्थाओं के चलते मुख्यमंत्री गहलोत को भी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। हालात ऐसे हो गए कि मुख्यमंत्री की जनसभा में लोग ही नहीं पहुंचे। अधिकांश कुर्सियां खाली नजर आई और मुख्यमंत्री को बिना संबोधित किए बैरंग ही लौटना पड़ा। एन वक्त पर आखिरकार जनसभा को ही रद्द करना पड़ा। ऐसी भयंकर किरकिरी मुख्यमंत्री गहलोत की कोटा में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के चलते ही हुई हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऐसा मान रहे कि मंत्री धारीवाल ने इस कार्यक्रम को अपना निजी कार्यक्रम बना लिया था, कार्यक्रम में कई पूर्व विधायकों, जिलाध्यक्षों और नेताओं की अनदेखी से मुख्यमंत्री गहलोत की जनसभा में स्वंय गहलोत भी ऐसा हश्र देखकर हैरान रह गए। इसलिए जनसभा को कोई सुनने वाला ही नहीं था, इसलिए रद्द करना पड़ा।
बुधवार को सुबह सीएम गहलोत ने सिटी पार्क का निरीक्षण किया। इसके बाद महाराव उम्मेद सिंह स्टेडियम में शाम 6 बजे जनसभा का आयोजन किया गया था। जनसभा में करीब 25000 लोगों के लिए कुर्सियां लगाई गई थी। मुख्यमंत्री 8.30 बजे कार्यक्रम में पहुंच गए। इस दौरान सांस्कृतिक संध्या चल रही थी। कार्यक्रम में पर्याप्त लोगों की भीड़ नहीं थी। अधिकांश कुर्सियां खाली थी। इसके चलते मुख्यमंत्री ने संबोधन नहीं किया और वह करीब 1 घंटे कार्यक्रम में रुकने के बाद वापस सर्किट हाउस लौट गए। इस दौरान चर्चाओं का बाजार गर्म है कि यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल पर जमकर मुख्यमंत्री गहलोत नाराज हुए है। जबकि संबोधन पहले से तय था, इस संबंध में सीएम के मिनट टू मिनट कार्यक्रम में भी जिक्र किया गया था। इस दौरान सीएम के साथ ही मंत्री शकुंतला रावत, बीडी कल्ला, प्रताप सिंह खाचरियावास सहित अन्य अतिथि भी उठकर चले गए। 
बड़े-बड़े दावे करने वाले मंत्री की सभा में नहीं पहुंचे कार्यकर्ता
इस दौरान कोटा शहर में सभी ने देखा कि कोटा में बड़े-बड़े दावे करने वाले मंत्री धारीवाल की सभा में ना तो कार्यकर्ता पूरे पहुंचे न आम जनता। इस दौरान पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा भी हैरान रह गए कि जयपुर के सचिवालय में बड़े-बड़े दावे करने वाले मंत्री धारीवाल का जमीनी स्तर पर कोई होल्ड नहीं है।
कोटा में हुए विकास को सीएम-डोटासरा ने सराहा
हालांकि, एक बाद यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के पक्ष में रही। कोटा में हुए चहुमुंखी विकास को मुख्यमंत्री गहलोत और प्रदेशभर के मंत्रियों ने कोटा के विकास को सराहा था।