जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

एक तरफ प्रदेश में संतों, पुजारियों और पंडितों की हत्या का सिलसिला लगातार जारी है तो दूसरी तरफ राजधानी जयपुर में ही कमिश्नरेट ऐसे ही एक मामले में हाथ पर हाथ धरे बैठी है। ग्राम पंचायत पचार सरपंच पति भू माफिया रामकरण कुड़ी ने ना केवल स्वामी सौरभ राघवेंद्र आचार्य महाराज पर जानलेवा हमला किया बल्कि कालवाड़ पुलिस के साथ मिलीभगत कर महाराज की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की। आश्चर्य की बात है कि घटना के 20 दिन बीत जाने पर भी कालवाड़ पुलिस की कोई कार्रवाई नहीं की है।

बता दें कि स्वामी सौरभ राघवेंद्र आचार्य महाराज 12 तारीख को अपने खेत की निजी खातेदारी जमीन खसरा संख्या 1419,1420 पर बने भोमिया जी के मंदिर में शिवालय का निर्माण करवाया था एवं जिसकी प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 12 एवं 13 तारीख का था लेकिन भू माफिया सरपंच पति रामकरण कुड़ी ने कालवाड़ थाने की मिलीभगत से महाराज की जमीन पर कब्जा करने की नीयत से वह डेढ़ सौ आदमियों को ले जाकर स्वामी सौरभ राघवेंद्र आचार्य महाराज पर जानलेवा हमला करने की कोशिश की जिसमें महाराज बाल बाल बचे।

भूमिया सरपंच पति रामकरण कुड़ी अपनी ऊंची रासुकात की वजह से कालवाड़ थाने थाना अधिकारी से सत्संग की परमिशन लेते हुए दबंगई दिखाते हुए मंदिर परिसर में रात्रि को सत्संग करने की आड़ में जमकर तोड़फोड़ की और शिवालय को तोड़ दिया। भंडार घर में रखे हुए पूरे समाज को ताला तोड़कर डकैती डालते हुए पूरे सामान चोरी करके ले गया  घटना के 20 दिन बीत जाने के बाद भी कालवाड़ पुलिस की तरफ से कोई जांच तक शुरू नहीं की गई। सरपंच पुत्र प्रदीप कुड़ी ने तीन चार रोज पहले रात को 11:30 बजे महाराज श्री को जान से मारने की धमकी तक दे दी जिसकी सूचना कालवाड़ थाने को दे दी गई पर उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।

घटना के पश्चात सरपंच पति एवं भूमिया रामकरण कुड़ी तथा संजय झालानी के माध्यम से स्वामी सौरभ राघवेंद्र आचार्य महाराज के बारे में अपमान व आपत्तिजनक टिप्पणी करने का वीडियो पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया के माध्यम से दुश प्रचारित तरीके से वायरल हो रहा है। जिससे मठ मंदिरों के पुजारियों एवं संत समाज में रोष व्याप्त है। इस विषय पर अखिल राजस्थान पुजारी महासंघ के समस्त पदाधिकारी कलेक्टर को मिलकर ज्ञापन भी दिया था लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इस संपूर्ण मामले पर पिछले 20 दिन से स्वामी सौरभ राघवेंद्र आचार्य महाराज ने कालवाड़ थाने में 3 बार एफआईआर भी  दर्ज करा रखी है। लेकिन इन एफआईआर पर कालवाड़ थाना अधिकारी धर्मपाल सिंह के द्वारा इस मामले की अभी तक जांच भी शुरू नही की गई है। जबकि जयपुर कमिश्नर के समस्त थाना अधिकारियों को सख्त आदेश है कि जमीन के प्रकरणों में एस एच ओ की भूमिका अगर संदिग्ध पाई जाती है तो तुरंत प्रभाव से एस एच ओ को निलंबित किया जाएगा।