जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों में इस बार उम्मीदवार चुनाव-प्रचार और चाय-नाश्ते पर पहले से ज्यादा पैसा खर्च कर सकेंगे। निर्वाचन आयोग ने इस बार उम्मीदवारों के लिए चुनाव खर्च की सीमा को 43 फीसदी तक बढ़ाकर 40 लाख रुपए अधिकतम कर दिया है। यानी इस बार एक उम्मीदवार पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार 12 लाख रुपए ज्यादा खर्च कर सकेगा।
इसके साथ ही चुनाव में ड्यूटी देने वाले कर्मचारियों की वोटिंग प्रक्रिया में भी थोड़ा बदलाव किया है। पोलिंग पार्टियों को अपना वोट अब फैसिलिटेशन सेंटर पर ही डाल सकेंगे। यानी उन्हें डाक के जरिए मतपत्र भेजने का जो विकल्प दिया जाता था वह इस बार बंद कर दिया।
28 लाख रुपए थी पिछले चुनाव में खर्च की सीमा
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में एक उम्मीदवार को चुनाव प्रचार-प्रसार और कार्यकर्ताओं के चाय-नाश्ते के लिए 28 लाख रुपए तक खर्च करने की लिमिट निर्धारित थी। इस बार ये खर्च की सीमा 12 लाख रुपए बढ़ाकर अधिकतम 40 लाख रुपए कर दी है। बढ़ती महंगाई और राजनीतिक पार्टियों की मांग के बाद चुनाव आयोग ने ये फैसला किया है।
डाक के जरिए मतपत्र भेजना का विकल्प किया बंद
चुनाव आयोग ने इस बार पोलिंग पार्टियों (जिन राज्य कर्मचारियों की चुनाव में ड्यूटी लगती है) उनके वोटिंग सिस्टम में बदलाव किया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया कि नए संशोधन के अनुसार विधानसभा चुनाव में ड्यूटी पर तैनात रहने वाले 4 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को अपना वोट अब फैसिलिटेशन सेंटर पर करना होगा। इससे पहले तक इन कर्मचारियों को डाक मतपत्र (पोस्टल बैलेट) सुविधा भी दी जाती थी। डाक मतपत्र के दुरुपयोग की आशंकाओं को देखते हुए ये बड़ा कदम उठाया हैं। अब चुनाव में ड्यूटी करने वाले वोटर्स को अपनी ड्यूटी पर जाने से पहले तय जगहों पर बैलेट पेपर पर वोट डालकर जाना होगा।
अब दो दिन पहले नहीं रवाना होगी पोलिंग पार्टियां
इस बार विधानसभा चुनाव में किसी भी विधानसभा क्षेत्र में पोलिंग पार्टियों को दो दिन पहले रवाना नहीं किया जाएगा। साल 2018 में 23 विधानसभा क्षेत्र के पोलिंग बूथ ऐसे थे जिनको दो दिन पहले रवाना किया था। दूर-दराज के एरिया में होने के कारण पोलिंग पार्टियों को पहले रवाना किया जाता था। लेकिन इस बार सभी विधानसभाओं में एक दिन पहले ही पोलिंग पार्टियां रवाना होगी।
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