जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 
आज से शुरू हुआ जयपुर हेरिटेज लेडीज़ सर्किल का वार्षिक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस जिसके लिए 30 देशों से जयपुर पहुंची 330 महिला प्रतिनिधि।
कांफ्रेंस की शुरुवात काफी पारंपरिक तरीके से इंडियन क्लासिक म्यूजिक के साथ। 
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राजस्थान कल्चरल एंबेसडर 
तृप्ति पांडे मौजूद रही जिन्होंने डेलीगेट्स का स्वागत करते हुए उन्हे राजस्थान की परंपरा का नज़ारा दिया।
लेडीज सर्किल इंडिया चेरिटेबल एक ऐसा संघटन है जिसका मोटो है "शिक्षा द्वारा आज़ादी"।
डेलीगेट्स ने अपने अपने झंडो के साथ पारंपरिक परिधान में किया  परेड
इस कॉन्फ्रेंस में देश की संस्कृति और सभ्यता का नज़ारा डेलीगेट्स को दिया जायेगा। सभी डेलीगेट्स ने कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन आपके अपने देश का झंडा लिए और पारंपरिक परिधान में परेड किया।
8000 क्लासरूम और 9 मिलियन बच्चो को दिया सहारा
अब तक लेडीज़ सर्किल इंडिया कर चुका है 8000 क्लासरूम्स का निर्माण और 9 मिलियन बच्चो को सहारा दे चुके है।
कांफ्रेंस में वाइस प्रेसिडेंट स्वाति जोहर, ट्रेजरर अनिका मित्तल, सर्किल चेयरपर्सन सारिका सर्राफ मौजूद रहे।
ऑर्गनाइजिंग कमिटी में स्वेता गोलछा,वंदिता विजयवर्गीय,अनिका मित्तल,स्वाति जोहर, ऋतु माहेश्वरी,पूजा बंसल, अदिति जिंदल, नेहा जैन, सारिका गुप्ता, ट्विंकल पोरवाल, सारिका सर्राफ और आकांक्षा गर्ग हैं।
लेडीज़ सर्किल इंडिया, जयपुर चैप्टर: जयपुर हेरिटेज लेडीज़ सर्किल द्वारा वार्षिक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस 26 अगस्त तक चलेगी।
कार्यक्रम की सचिव वंदिता विजयवर्गीय और आयोजन समिति सदस्य पूजा बंसल ने आज बताया कि इसमें यूरोप,स्वीडन, मोरोक्को, यूएसए जैसे 30 देशों की 330 महिला प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया है और ये भारत के लिए गर्व की बात है। 
कॉन्फ्रेंस में देश की संस्कृति और सभ्यता का नज़ारा डेलीगेट्स को प्रस्तुत किया जाएगा। ये कॉन्फ्रेंस बिड़ला सभागार में हो रहा है।
सर्किल कन्वेनर, स्वेता गोलछा ने  बताया कि  यहां आने वाले मेहमानों को पहले आगरा - दिल्ली में भारत की सभ्यता संस्कृति से रूबरू कराया गया तथा जयपुर में भी उन्हें राजस्थानी संस्कृति से रूबरू कराया गया।
वाइस प्रेसिडेंट,टेंजेंट क्लब, नलिनी प्रसाद ने अपने विचार कॉन्फ्रेंस में साझा किए।
लेडीज़ सर्किल इंडिया चेरिटेबल  एक ऐसा संगठन है जिसका मोटो  "शिक्षा द्वारा आज़ादी", इसमें सभी महिलाएं है और सब मिल कर बच्चों की शिक्षा और उसमे जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का समर्थन देने का काम करती है। अब तक ये संस्था आठ हजार क्लासरूम बना चुकी है और नौ मिलियन वंचित बच्चों को सहारा दे चुकी है।