वरिष्ठ RTI कार्यकर्त्ता व RTI जागृति संस्थान के अध्यक्ष प्रवीण मेहन का कहना है की उनके द्वारा सूचना के अधिकार के तहत हनुमानगढ़ के अलग-अलग विभागों मे कुछ सूचनाएँ मांगी गई थी लेकिन राज्य सूचना आयोग द्वारा एक के बाद एक लगातार पांच अपील खारिज कर दी,जबकि आज तक ऐसा नहीं जब-जब सूचना आयोग मे सूचनार्थ अपील की गई तब-तब आयोग मे सम्बंधित विभाग को सूचना उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। चुनाव का समय है सरकार नहीं चाहती कि भ्रष्टाचार उजागर हो और आज तक ऐसा नही हुआ की कोई भी विभाग सूचना देने को तैयार तक नही है और जब आयोग मे अपील की तो आयोग ने भी इनको ख़ारिज कर दिया है।
इन विभागों से मांगी थी सूचना
प्रवीण मेहन बताते है की उन्होंने वन विभाग द्वारा निशुल्क पांच औषधि पौधे के वितरण का ब्यौरा मांगा,जो इस आधार पर खारिज कर दी कि प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया जा सकता।सब रजिस्ट्रार सहकारिता विभाग से 2022में खेल अधिनियम के तहत की गई कार्रवाई की सूचना इस आधार पर खारिज कर दी कि सूचना पूर्व में उपलब्ध करवा दी गई है लेकिन मुझे आज तक इस बाबत कोई सूचना उपलब्ध ही नही करवाई गई है।महिला और बाल विकास विभाग से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर खर्च के बिलों की कापी इसलिए नहीं दी कि तथ्यों को खोज सूचना नहीं दी जा सकती है।लोक सूचना अधिकारी व हनुमानगढ़ जिला कलेक्टर से हनुमानगढ़ जिले में 2016 से 2022 तक हथियारों के जारी लाइसेंस की सूचना मांगी गई थी लेकिन खारिज का कारण बहुत ही अजीबोगरीब व चौकाने वाला मिला की सूचना खोज कर नहीं दी जा सकती जबकि प्रवीण मेहन कहते है की खोजने की कोई बात नहीं है विभाग के पास रिकॉर्ड उपलब्ध है।बता दे की हथियारों के लाइसेंसो को लेकर कुछ वर्ष पहले मामला काफ़ी गरमाया था कई अधिकारी भी इसमें फंसे थे जिसके बाद लाइसेंस देने ही बंद कर दिये थे लेकिन अब कुछ समय पूर्व फिर ये प्रक्रिया शुरू हुईं है।तो ये सूचना मांगी गई थी लेकिन जिस तरह से अपीलों को ख़ारिज कर दिया गया उससे तो यहीं लगता है की शासन-प्रशासन डरा हुआ है की चुनावों के समय मे कही कोई मामला उजागर नही हो जाये जिससे सरकार की किरकरी हो और अपीलों को ख़ारिज करने की मुख्य वजह ये की आयोग के मुख्य पदों पर राजनीतिक नियुक्तियां होती है जिसके चलते प्रशासन दबाव मे रहता है।जबकि कम से कम इन पदों पर वरिष्ठ रिटायर्ड जजों और आईपीएस और आईएएस इत्यादि की नियुक्ति होनी चाहिए ताकि पारदर्शिता बनी रहे व ऐसी स्थिति पैदा नही हो।
हम हाईकोर्ट जायेंगे
संस्था के नरेश मेहन कहते है की मामला जितना गंभीर सूचना आयोग उतना ही लापरवाह,इन मामलों मे रिट याचिका का प्रावधान है,हम हाईकोर्ट जाएंगे।
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