जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

मॉडल स्कूलों के शिक्षकों को लेकर शिक्षा विभाग और समग्र शिक्षा अभियान में तालमेल नहीं है। एक तरफ शिक्षा विभाग ने यहां डेपुटेशन पर कार्यरत शिक्षकों को फिर से हिंदी माध्यम में जाने की छूट प्रदान की थी। वहीं दूसरी तरफ समग्र शिक्षा अभियान ने आदेश जारी कर दिया कि जिन शिक्षकों को 4 वर्ष या इससे अधिक समय हो गया।

उनका पद खाली माना जाए। इस प्रकार के दो अलग-अलग आदेशों के चलते शिक्षक परेशान है। नए आदेश से इन स्कूलों में कार्यरत 931 शिक्षकों पर रिलीव होने का संकट खड़ा हो गया है। बीच सत्र इस प्रकार रिलीव करने का शिक्षक संगठनों ने विरोध किया है।

मामले के अनुसार शिक्षा विभाग ने अप्रैल में आदेश निकाला था कि मॉडल स्कूल तथा महात्मा गांधी विद्यालय से जो शिक्षक फिर से हिंदी माध्यम विद्यालय में जाना चाहते हैं, वह अपने आवेदन प्रस्तुत कर दें। ताकि उनके रिक्त पदों पर शिक्षकों का चयन किया जा सके। विभाग ने इन खाली पदों को भरने के लिए प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी थी। इस बीच 17 अगस्त को अचानक समग्र शिक्षा अभियान ने 4 साल या इससे अधिक समय से कार्यरत शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति समाप्त करते हुए इन पदों को खाली मानने का आदेश जारी कर दिया।

मॉडल स्कूलों में 4 साल से अधिक समय से कार्यरत शिक्षकों की संख्या 931 है। इससे ना केवल शिक्षकों के बीच असमंजस की स्थिति बन गई है। बल्कि विद्यार्थियों की पढ़ाई पर भी संकट खड़ा हो गया है। बीच सत्र अगर इन शिक्षकों को रिलीव कर दिया गया और नए शिक्षक आने में देरी हुई तो विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित होना तय है। नियमानुसार मॉडल स्कूलों के शिक्षकों को 5 साल की अवधि पूरी करने पर इच्छित स्कूल में पोस्टिंग दी जाती है, लेकिन अचानक 4 साल से अधिक का आदेश जारी करना शिक्षकों की समझ से परे हैं।

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के प्रदेश महामंत्री विपिन प्रकाश शर्मा ने कहा कि इस तरह का आदेश गलत है। इसकी सीएम से शिकायत की जाएगी। बीच सत्र एक साथ इतने शिक्षकों को हटाया गया तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष शशिभूषण शर्मा ने कहा कि शिक्षा विभाग और समग्र शिक्षा के तालमेल की खामी के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित होने की स्थिति बनी है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।