हैरिटेज चंबल रिवर फ्रंट पर 242 फीट की चंबल माता की मूर्ति बनकर तैयार हो चुकी है। अब उसकी फीनिशिंग कर स्ट्रक्चर खोलने का काम चल रहा है। सोमवार को पहली बार मूर्ति का चेहरा खोला गया। इसे 5600 पीस में तैयार किया गया है। जिसमें 5 से 6 महीने का वक्त लगा है। मूर्ति के कलश से निकलने वाली पानी की धार पर्यटकों को आकर्षित करेगी। करीब 190 फीट ऊंचाई से कलश में से पानी नीचे गिरेगा। इसके लिए हाई, हेड 75 एचपी के चार समरसेबल पंप इंस्टॉल किए गए हैं। मूर्ति के कलश से हर घंटे में 7 लाख 60 हजार लीटर पानी गिरेगा। जो वापस रिसाइकिल होकर कलश में जाएगा। हर रोज शाम को चंबल माता की आरती होगी। मूर्ति के नीचे 5 हाथियों की प्रतिमाएं स्वागत करती नजर आएंगीं।
नगर विकास न्यास (UIT) के इंजीनियर ललित मीणा ने बताया कि इस मूर्ति के 5600 पीस जयपुर में बने हैं। जिन्हें कोटा में असेंबल किया गया है। इस मूर्ति में 42 लेयर में काम हुआ है। यानी मूर्ति के हर हिस्से पैर, कमर,चेहरे को अलग अलग कास्टिंग के बाद असेंबल किया गया है। मूर्ति के जॉइंट और मजबूती के लिए एक हजार क्यूबिक मीटर कॉन्क्रीट का इस्तेमाल किया गया है।
नदी से 190 फीट ऊंचाई से पानी गिरेगा
इस मूर्ति का फाउंडेशन 104 फीट ऊंचा है। जबकि मूर्ति की लंबाई 138 फीट है। यानी नदी से मूर्ति 242 फीट की है। इस मूर्ति में 450 एमएम यानी करीब डेढ़ फीट चौड़े पाइप लगाए गए हैं। कलकत्ता से हाई हेड के (पावरफुल, 60 ऊंचाई तक पानी फेंकने वाले) पंप मंगवाए गए है। 242 फीट ऊंची मूर्ति के कलश वाली जगह (190 फीट) से चंबल में पानी गिरेगा। हर घंटे में करीब 7 लाख 60 हजार लीटर पानी नीचे गिरकर वापस रिसाइकिल होता रहेगा। ललित मीणा ने बताया कि जैसे ही प्रतिमा के आसपास लगे स्ट्रक्चर को हटाया जाएगा। उसके बाद पंपों की टेस्टिंग की जाएगी। चंबल माता की प्रतिमा पर आकर्षक लाइटिंग भी की जाएगी।
जल्द होगा उद्घाटन
रिवर फ्रंट उद्घाटन से पहले यूडीएच मंत्री रोज अधिकारियों से तैयारियों का फीडबैक ले रहे हैं। मंत्री के निर्देश पर अधिकारी भी सुबह शाम तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। नगर विकास न्यास ओएसडी आरडी मीना, सचिव राजेश जोशी अंतिम चरण के चल रहे कार्यों की समीक्षा कर मौके पर विशेष निर्देश दे रहे हैं।
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