जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

रिश्वत में अस्मत मांगने के मामलें में बर्खास्त चल रहे आऱपीएस कैलाश बोहरा ने अपनी बर्खास्तगी आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी हैं। हाई कोर्ट में दायर याचिका में बोहरा ने कहा है कि बर्खास्तगी आदेश से पहले उन्हें पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। ऐसे में उन्हें पुन: बहाल किया जाए। बोहरा की याचिका पर जस्टिस सुदेश बंसल की अदालत ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया हैं। गौरतलब है कि आरपीएस कैलाश बोहरा को सरकार ने 2 अप्रेल 2021 को बर्खास्त किया था।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने बताया कि याचिकाकर्ता पर कार्रवाई से पहले ना तो उन्हें कोई नोटिस दिया गया। ना ही अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया। वहीं बर्खास्तगी आदेश से पहले मामले की जांच तक नहीं की गई। वहीं जांच नहीं करने के जो कारण विभाग द्वारा बताए गए, वह विधि विरूद्ध हैं।

रिश्वत में अस्मत मांगने का है आऱोप
बर्खास्त आऱपीएस कैलाश बोहरा पर रिश्वत में अस्मत मांगने का आरोप हैं। दरअसल साल 2021 में जयपुर के जवाहर सर्किल थाने में 30 वर्षीय एक युवती ने एक युवक के खिलाफ शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने, गर्भपात करवाने सहित तीन मुकदमे दर्ज करवाए थे। इसकी जांच उस समय महिला अत्याचार अनुसंधान सेल में बतौर एसीपी तैनात कैलाश बोहरा को दी गई थी। पीड़िता का आरोप है कि बोहरा ने कार्रवाई के लिए 50 हजार रुपए रिश्वत ली। इसके बाद अस्मत भी मांगी। जिसकी शिकायत पीड़िता ने एसीबी में की थी।

14 मार्च को युवती ने बोहरा को डीसीपी पूर्व कार्यालय में स्थित अपने ऑफिस में बुलाया। वहां कमरा बंद कर छेड़छाड़ करनी शुरू कर दी। तभी एसीबी की टीम ने एसीपी कैलाश बोहरा को ट्रैप कर लिया। जिसके बाद सरकार ने 2 अप्रेल 2021 को कैलाश बोहरा को बर्खास्त कर दिया था। एसीबी कोर्ट में मामलें का ट्रायल चल रहा हैं।