मणिपुर को लेकर आज पूरे देश में कितनी ही भ्रांतियां फैली हुई हैं जिनमें राजनीति से प्रेरित धार्मिक और जातिगत दुर्भावनाओं की भरमार हैं। हमारे देश के एक वर्ग की मानसिकता मनोवैज्ञानिक पहेली जैसी है। उदाहरण के तौर पर आजकल फैले एक विचित्र और बेमानी विवाद को देखा जा सकता है। सैकड़ों साल पहले जन्मे मिहिर भोज की जाति को लेकर दो जातियों के लोग आमने सामने हैं। ऐसे बेतुके विवाद का भी भला कोई समाधान निकल सकता है? माना कि दो चार महीनों में विवाद शांत हो जायेगा परन्तु धरती में विघटन और वैमनश्य का बीजारोपण तो हो गया जिसकी फसल किसी न किसी दिन जंगली घास की तरह हर तरफ फैल जाएगी। ऐसा ही कुछ मणिपुर में हो रहा है जिसे प्रोपेगंडा के आडंबर में ढका जा रहा है परंतु विष का बीजारोपण वहां भी हो चला है।

इसी मणिपुर में विश्व का सबसे बड़ा महिलाओं द्वारा संचालित बाजार है जिसे इमा केइथल यानि माताओं का बाजार कहा जाता है। यह बाजार दो भागों में विभक्त होता है। एक हिस्से में फल, सब्जियां और घर का अन्य सामान मिलता है जबकि दूसरे हिस्से में हैंडलूम और अन्य पहनने बिछाने की वस्तुएं उपलब्ध होती हैं। हजारों की संख्या में महिलाएं ये दुकानें चलाती हैं और मणिपुर की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

आज के अशांत मणिपुर में इंफाल शांति म्यूजियम भी है जो राजधानी से 18 किलोमीटर दूर स्थित लाल पहाड़ी पर बना हुआ है। यह म्यूजियम द्वतीय विश्वयुद्ध में मारे गए ब्रिटिश, भारतीय और जापानी सभी सैनिकों की याद में बनाया गया है। इसके अलावा सिर्फ जापानी सैनिकों की याद में इंडिया पीस मेमोरियल भी इसी पहाड़ी पर स्थित है। इन दोनों के अलावा इंफाल वार सेमेंट्री में 1600 अंग्रेज सैनिकों की कब्र हैं और इसके पास ही इंफाल इंडियन वार सिमेंट्री में 828 मुस्लिम सिपाहियों की कब्रें भी हैं। इन सबके अलावा 868 हिंदू और सिख सैनिकों की याद में भी एक मेमोरियल स्तंभ निर्मित है। यह सब इंगित करता है कि मणिपुर पर द्वतीय विश्वयुद्ध का जोरदार असर पड़ा था।

1891 तक सत्ता के केंद्र रहे राजपरिवार का शानदार कांगला किला भी यहां का एक पर्यटन आकर्षण है। इसी महल के पास विष्णु उपासक मणिपुरी हिंदू लोगों की आस्था का प्रतीक गोविंददेव जी मंदिर है। यह जानना रोचक होगा कि आधुनिक पोलो की प्रेरणा मणिपुरी खेल सगोल कंगजेई से मिली थी। यहां की मार्जिंग पहाड़ी पर पोलो खेलते घुड़सवार की विशाल मूर्ति बहुत ही आकर्षक लगती है। मणिपुर ने अभी तक 19 विश्व स्तर के ओलंपियन खिलाड़ी दिए हैं। इन खिलाड़ियों के सम्मान हेतु यहां मणिपुर ओलंपियन पार्क बनाया गया है। इंफाल से कोई 10  किलोमीटर दूर ऑर्किड पार्क भी है जिसमें विश्व के दुर्लभ किस्म के ऑर्किड नजर आते हैं जिनके फूलों की खुशबू और रंगों की निराली छटा मनमोहक होती है।

इसके अलावा मणिपुर की सजी संवरी पहाड़ियां और मन को आल्हादित करने वाली हरी और फूलों से भरी घाटियां हर तरफ फैली हुई हैं। मोरे नामक कस्बा दक्षिणपूर्व एशिया के लिए भारत का द्वार है जो म्यान्मार की सीमा पर स्थित है। इस जगह दोनों तरफ के व्यापारी परस्पर विभिन्न वस्तुओं की खरीददारी करते नजर आते हैं। मणिपुर भारत की संपदा है। इसकी समस्याओं का समाधान प्रोपेगंडा से नहीं हो सकता। विभिन्नताओं से भरे भारत में निरंतर संवाद और संपर्क से ही एकजुटता स्थापित की जा सकती है। सिर्फ एक पक्ष की ही भावनाओं को थोपा नहीं जा सकता है। मणिपुर एक रमणीक राज्य है। हमें इसके सौंदर्य को बचा कर रखना है वरना दानव और मानव एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं यह बात यहां पर अक्सर नजर आती रहेगी।