ग्रामीण विकास राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा की बर्खास्तगी के बाद कांग्रेस में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस हाईकमान ने चुनावी साल में अनुशासन को लेकर सख्ती बरतने के आदेश दिए हैं। गुढ़ा को सरकार के खिलाफ बयानबाजी करने के कुछ ही घंटे बाद बर्खास्त करने के पीछे हाईकमान के आदेश को ही कारण माना जा रहा है। उधर, गुढ़ा के अगले सियासी कदम को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं। सीएम ने इस पूरे मामले को पार्टी का अंदरूनी मामला बताकर कमेंट करने से इनकार कर दिया।
गुढ़ा के चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ने की संभावना है। इसे लेकर संकेत भी दे चुके हैं। अब उनके अगले सियासी कदम को लेकर समर्थकों से चर्चा है। गुढ़ा बसपा छोड़कर कांग्रेस में आए कुछ साथी विधायकों से भी संपर्क में हैं। गुढ़ा की रणनीति बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए कुछ विधायकों को साथ लेने की है। वे बर्खास्तगी के बाद भी सरकार पर लगातार हमलावर हैं।
गुढ़ा चाहेंगे कांग्रेस उन्हें निकाले
सियासी रणनीति के तहत गुढ़ा चाहते हैं कि कांग्रेस उन्हें निकाले। इससे वे सियासी सहानुभूति ले सकेंगे। वे अपनी बर्खास्तगी को महिला सम्मान से जोड़कर पेश कर रहे हैं। सोमवार को विधानसभा में खुलासा करने की घोषणा करके उन्होंने साफ कर दिया है कि वे चुप नहीं बैठेंगे। ऐसे हालात में कांग्रेस उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
दिव्या मदेरणा के बयान को लेकर भी रिपोर्ट मांगी थी
सरकार के खिलाफ बयानबाजी पर एक्शन के बाद कांग्रेस में हलचल है। कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से शनिवार सुबह विधायक दिव्या मदेरणा ने मुलाकात की है। मदेरणा की इस मुलाकात को उनकी बयानबाजी से ही जोड़कर देखा जा रहा है। दिव्या मदेरणा ने कहा था कि मैं सुरक्षित नहीं हूं। कानून-व्यवस्था खराब है। गुढ़ा की लाइन पर ही दिव्या ने बयान दिया था। बताया जाता है कि रंधावा ने दिव्या से बयान को लेकर जवाब-तलब किया है। इसको लेकर रंधावा ने प्रदेश कांग्रेस से रिपोर्ट भी मांगी थी।
गुढ़ा की बर्खास्तगी हाईकमान से सलाह लेकर
राजेंद्र गुढ़ा पिछले करीब एक साल से पार्टी लाइन से अलग जाकर कई बार बयान दे चुके थे। पार्टी में एक्शन लेने के लिए शुक्रवार को सबसे बड़ा आधार तय हो गया था। गुढ़ा ने मणिपुर मामले की जगह राजस्थान सरकार को अपने गिरेबां में झांकने की सलाह देकर विवाद बढ़ा दिया। गुढ़ा के विधानसभा में दिए बयान को बीजेपी ने आधार बनाकर मणिपुर के काउंटर में पेश करना शुरू कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने तत्काल दिल्ली रिपोर्ट भेजी। हाईकमान से बात की। साथ ही गहलोत ने भी हाईकमान से सलाह ली है। इसके बाद ग्रीन सिग्नल मिलते ही गुढ़ा के विधानसभा में दिए बयान के कुछ ही देर बाद उन्हें बर्खास्त करने की फाइल राजभवन भिजवा दी गई।
गुढ़ा की बर्खास्तगी के सियासी मायने
विधानसभा में दिए बयान के कुछ ही घंटों के बाद गुढ़ा की बर्खास्तगी के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। सियासी जानकारों के मुताबिक, गुढ़ा की बर्खास्तगी को चुनावी साल में अनुशासन का मैसेज देने से जोड़कर देखा जा रहा है। लंबे समय से बयानबाजी के कारण कांग्रेस लीडरशिप की कमजोरी का मैसेज जा रहा था। अब मंत्री को बर्खास्त करके बाकी नेताओं को यह मैसेज देने का प्रयास किया है कि अब कार्रवाई हो सकती है। पिछले दिनों कांग्रेस की बैठक में प्रदेश प्रभारी रंधावा ने नेताओं को दो टूक कहा था- सरकार या नेता के खिलाफ बयानबाजी की तो बड़ा एक्शन होगा।
बयानबाजी पर सख्ती का दे दिया था संदेश
पिछले दिनों दिल्ली में राजस्थान कांग्रेस की चुनावी बैठक में राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनावी साल में अनुशासन पर जोर देने को कहा था। राहुल-खड़गे ने राजस्थान के नेताओं को आपसी बयानबाजी और सरकार के खिलाफ बयानबाजी को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं करने को कहा था।
सहानुभूति कार्ड के रूप में भुनाएंगे गुढ़ा
गुढ़ा मंत्री पद से बर्खास्तगी को अब सियासी शहादत बताकर सहानुभूति कार्ड के रूप में भुनाने का प्रयास करेंगे। गुढ़ा महिला अत्याचार पर दिए बयान को महिलाओं के सम्मान से जोड़कर सियासी रूप से भुना सकते हैं। महिला अत्याचारों पर सच बोलने की सजा के तौर पर प्रचारित करेंगे। इसकी शुरुआत भी उन्होंने कर दी है।
गुढ़ा के तेवर बरकरार
बर्खास्तगी के बाद भी राजेंद्र गुढ़ा के तल्ख तेवर बरकरार है। गुढ़ा ने कहा- राजस्थान तो हिंदुस्तान में महिला दुष्कर्म में नंबर वन हो गया। हम जनता को क्या मुंह दिखाएंगे। जनता ने हमें चुनकर भेजा था। मैंने इतना ही तो कहा था कि राजस्थान महिला अपराधों में नंबर वन हो गया। मैं शेखावाटी की जमीन के राव शेखा का वंशज हूं। रलावता (शेखावाटी का एक गांव) में तीन पीढियां एक साथ महिला के सम्मान के लिए कट गई थीं। वह डीएनए मेरे अंदर है। विधायक दिव्या मदेरणा ने भी तो कहा- मैं सुरक्षित नहीं हूं। हम महिला अपराधों में एक नंबर पर आ गए हैं। यह डूब कर मर जाने वाली बात है।
मुझ में पायलट जितना धैर्य नहीं है
गुढ़ा ने कहा- गहलोत को दो बार मुख्यमंत्री बनाया। मैं बसपा के विधायक दल का नेता था। उम्मीद थी कि सरकार अच्छे फैसले लेगी। इस उम्मीद के साथ उनका साथ दिया था। मेरी नजर में सचिन पायलट गद्दार नहीं है। निकम्मे भी नहीं हैं। 21 सीटों से आपको 100 सीटों तक ले आए। निकम्मे कैसे हो सकते हैं? नकारा भी नहीं हो सकते। पूरे हिंदुस्तान में कांग्रेस पार्टी के लिए प्रचार किया और यहां आप उनको क्या-क्या बोल रहे हो? मेरे अंदर सचिन पायलट जितना धैर्य नहीं है। सचिन पायलट में सहन करने की शक्ति ज्यादा है। मुझमें नहीं है। कहीं भी महिला, युवा, नौजवानों के साथ अत्याचार होगा तो मेरी जान लगा दूंगा।
रंधावा बोले- गुढ़ा को हिदायत दी थी, अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं होगी
गुढ़ा मामले में कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा- मैंने राजेंद्र गुढ़ा को हिदायत दी थी। एक बार से ज्यादा मामलों में ऐसा हो चुका था। मैंने उन्हें सख्त लहजे में चेताया था। उन्होंने भी कहा था कि आइंदा ऐसा नहीं होगा। कल मणिपुर को लेकर हमारे विधायक बोल रहे थे। तब हमारे मंत्री ने कहा- मणिपुर को छोड़िए राजस्थान की बात कीजिए। इस तरह की उनकी भाषा थी। प्रतिपक्ष के नेता उसी समय इस पर रिएक्ट करते हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मंत्री परिषद का सदस्य खड़ा होकर स्टेटमेंट देता है। तो वह सरकार की भावना के साथ नहीं है। पहले भी दो–चार बार ऐसी बातें हो चुकी थीं।
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