जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
प्रदेश में ईडी की कार्रवाई को लेकर नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई बार सार्वजनिक मंचों से यह आरोप लगाया है कि मानेसर गए विधायकों को बड़ी धनराशि दी गई थी। उन्होंने अपने विधायकों से भी कहा था कि जो धनराशि खर्च हो गई है। वो वे दे देंगे अथवा एआईसीसी से दिलवा देंगे। लेकिन शेष पैसा जहां से आया उन्हें लौटा दे। राठौड़ ने कहा कि अब मैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कहना चाहूंगा कि राजस्थान में ईडी आई हुई है। उनके पास सोर्स है कि कालाधन कहां से आया। तो वो ईडी को काले धन का सोर्स बता दें। वे बिना मतलब ही
ईडी की कार्रवाई की चिंता कर रहे है। उन्हें तो आगे बढ़कर ईडी को सबूत सौंपने चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने आज प्रदेश भाजपा कार्यालय में जिला परिषद सदस्यों की बैठक ली। बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ईडी की कार्रवाई को लेकर जिस तरह से कांग्रेस विरोध व प्रदर्शन करने की बात कह रही है। यह पूरी तरह से गलत है। देश के संविधान में केन्द्र व राज्य की किसी भी एजेंसी के काम में बाधा डालना पूरी तरह से संघवाद का कमजोर करने की तरह है।
अब होगा दूध का दूध, पानी का पानी
पेपरलीक को लेकर ईडी की कार्रवाई पर नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि रीट के मामलें में डीपी जारौली ने उस समय कहा था कि मुझे बलि का बकरा बनाया जा रहा है। इसके तार तो कहीं ओर जुड़े हुए है। रीट परीक्षा के सुपरविज़न की जिम्मेदारी राजीव गांधी सर्किल से जुड़े लोगों को दी गई। जिसका उन्हें कोई अधिकार नहीं था। जिस बाबूलाल कटारा को सरकार ने नामजद किया। उसने स्वीकार किया है कि वो डेढ़ करोड़ रुपए देकर आरपीएससी सदस्य बना। ऐसे में अब इस मामलें में ईडी आ गई है तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। इसलिए कांग्रेस इस मामलें में बौखलाई हुई है।
सरकार का किसान विरोधी चेहरा आया सामने
नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि सरकार का अब किसान विरोधी चेहरा सबके सामने आ गया है। सरकार डेब्ट एक्ट लाकर किसानों की नीलामी रोक नहीं पाएगी। अब 19 हज़ार किसानों की कुर्की की बात सामने आ रही है। वहीं प्रदेश में 6 लाख किसान ऐसे है, जिनका नेशनलाइज़ औऱ शेड्यूल बैंक की फूटी कौड़ी भी माफ नहीं हुई। वहीं 1लाख 13 हज़ार किसान ऐसे है, जिनके खाते एनपीए हो चुके है। इनकी जमीनें भी अब नीलाम होगी। लेकिन सरकार ने इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया।
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