श्रीगंगानगर - राकेश शर्मा
वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार विनोद भारद्वाज ने कहा है कि लेखक भले ही कोई कितना बड़ा हो, व्यक्ति के रूप में उसकी कमजोरियां उसमें विद्यमान रहती ही हैं। मिर्जा गालिब भी उससे अछूते नहीं हो सकते।
वे रविवार को यहां महाराजा अग्रसेन विद्या मंदिर में सृजन सेवा संस्थान के मासिक कार्यक्रम "लेखक से मिलिए" में बोल रहे थे। उन्होंने मिर्जा गालिब की जीवनी पर आधारित अपने उपन्यास "गली क़ासिम जान" की चर्चा करते हुए कहा कि इस उपन्यास में उन्होंने गालिब का महिमामंडन करने या उसे कोई अवतारी पुरुष अथवा महान बताने की कोशिश नहीं की है। गालिब भी एक व्यक्ति थे। भूख उन्हें भी लगती थी। जरूरतें उनकी भी थी और डर उन्हें भी लगता था।
भारद्वाज ने कहा कि गालिब की समझ कलकत्ता जाने के बाद ज्यादा परिपक्व हुई। इसके बाद उनकी रचनाओं में जो रवानी दिखाई देती है, वह उससे पहले नहीं थी। उन्होंने बताया कि वे गालिब के जीवन में दो शहरों-कलकत्ता और बनारस का महत्वपूर्ण योगदान मानते हैं और विशेष रूप से यहां की साझा संस्कृति का प्रभाव उन पर ज्यादा था।
कार्यक्रम में भारद्वाज ने अपनी कुछ कविताएं भी सुनाईं, जो श्रोताओं पर गहरा प्रभाव डालने वाली थीं। भारद्वाज ने जगजीत सिंह को भी याद किया और उनकी याद को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए कोई संग्रहालय आदि बनाने की जरूरत बताई। जब उन्हें बताया गया कि कुछ दिन पहले ही संग्रहालय की नींव रखी जा चुकी है, तो उन्होंने खुशी जताई। कार्यक्रम में अरुण शहैरिया ताइर, कृष्णकुमार आशु, ऋतुसिंह और अरुण उर्मेश ने कुछ सवाल भी किए। इनका भारद्वाज ने बड़ी सहजता से जवाब दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय कला मंदिर के अध्यक्ष वीरेंद्र बैद ने कहा कि साहित्य की जो अलख यहां सृजन ने जला रखी है, वह सराहनीय है। उन्होंने गालिब की जीवनी का जिक्र करते हुए कहा कि भारद्वाज जी ने बहुत बड़ा काम किया है। लेखक यूं ही कलम नहीं घसीटता, उसे एक रचना के लिए कितना भटकना पड़ता है, इसका अहसास गली कासिम जान को पढ़कर लगाया जा सकता है।
विशिष्ट अतिथि टांटिया विश्वविद्यालय में विधि संकाय के अधिष्ठाता डॉ. सौरभ गर्ग ने कहा कि वट्सएप और फेसबुक के युग में युवा पीढ़ी को साहित्य और संस्कृति के संस्कार देने की जरूरत है। साहित्य सेवी ये काम कर रहे हैं, यह खुशी की बात है।इस मौके पर कवि विनोद भारद्वाज को "सृजन साहित्य सम्मान" प्रदान किया गया। उन्हें बैद, डॉ. गर्ग, अध्यक्ष डॉ. अरुण शहैरिया ताइर व डॉ. संदेश त्यागी ने शाल व सम्मान प्रतीक भेंट करके सम्मानित किया। इससे पहले सचिव कृष्णकुमार आशु ने कवि भारद्वाज का परिचय दिया। संचालन डॉ. संदेश त्यागी ने किया।
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