राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने विधायकों की फोन टेपिंग कराते हैं। उन्हें नाकारा और निकम्मा तक कहते हैं। ऐसे में अगर मुख्यमंत्री के सबसे करीबी मंत्री शांति धारीवाल अपनी ही सरकार के मंत्री और विधायकों को लायक नहीं मानते हैं। तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। यह वही मंत्री हैं। जिन्होंने राजस्थान में बच्चियों और महिलाओं के साथ हो रहे दुराचार को लेकर कहा था कि यह मर्दों का प्रदेश है। इन जैसे मंत्रियों पर कुछ कहना भी मैं ठीक नहीं समझता।
जोशी ने कहा कि शांति धारीवाल सिर्फ कोटा के मंत्री नहीं है। बल्कि, पूरे राजस्थान के मंत्री हैं। उनके मंत्री रहते जयपुर में विकास नहीं हो रहा है। तो इसके लिए शांति धारीवाल ही जिम्मेदार है। अगर जयपुर में डेवलपमेंट नहीं हो रहा है। तो यह शांति धारीवाल का फेलियर है। हमारी सरकार के वक्त राजपाल सिंह शेखावत यूडीएच मंत्री थे। जिन पर आज तक कोई उंगली नहीं उठा सकता।
दरअसल, ओलंपिक दिवस के मौके पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी पद्म विभूषण से सम्मानित देवेंद्र झाझरिया के घर खिलाड़ियों से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान जोशी ने केंद्र सरकार की 9 साल की उपलब्धियों का बखान किया। वहीं खिलाड़ियों से भविष्य की नीतियों पर चर्चा भी की।
इस दौरान द्रोणाचार्य सम्मान से सम्मानित आरडी सिंह और सागरमल धायल, अर्जुन अवार्ड से सम्मानित संदीप सिंह मान और सुंदर सिंह गुर्जर, राजू लाल चौधरी, सुमित्रा शर्मा, जितेंद्र सिंह, ओम प्रकाश, उमा वर्मा, लवमित कटारिया, मनप्रीत कौर, रेणु, नितिन कृष्णा, पुण्य प्रताप, जीती जगजीत, राजेंद्र विश्नोई, सुमन ढाका, स्वाति ढूढवाल, रिचा गौड़, महावीर सैनी, राम सिंह, हिम्मत सिंह गुर्जर, दीपक भारद्वाज, ओम प्रकाश चौधरी, सर्वेश पारीक जैसे खिलाड़ियों के साथ ही जयपुर शहर सांसद राम चरण बोहरा, पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत, जयपुर शहर महामंत्री कृष्ण मोहन शर्मा मौजूद रहे।
दरअसल, यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने गुरुवार को उदयपुर में कहा था कि जयपुर बहुत बड़ा शहर है। लेकिन पिछड़ रहा है। प्रदेश में स्मार्ट सिटी में चार शहर कोटा, अजमेर, जयपुर और उदयपुर लिए गए हैं। सबसे ज्यादा पिछड़ा हुआ काम जयपुर का है। मैं वहीं का हूं, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सका। तीन-तीन मंत्री, छह-छह विधायक हैं। यही सबसे बड़ी प्रॉब्लम है। अगर न मंत्री होते, न विधायक होते तो काम समय पर पूरे हो जाते।
उन मंत्री-विधायकों के आपसी विवाद जो पैदा हो जाते हैं, इसलिए काम अटक जाते हैं। वो कहता है कि यह योजना लाओ, इसको बदलो, इसको करो, उसी में मामला उलझता जाता है। इसके बाद मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने नाराजगी जाहिर की थी।


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