जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

बैंकों का कर्ज नहीं चुका पाने के कारण चार साल में राजस्थान के 19 हजार से ज्यादा किसानों की जमीनें कुर्क की गई हैं। ये विपक्षी पार्टी या किसी नेता का आरोप नहीं है। विधानसभा में खुद सरकार ने ये बात स्वीकार की है। विधानसभा की ओर से एक दिन पहले विधायक नरपत सिंह राजवी को दिए गए एक सवाल के जवाब में यह खुलासा हुआ है कि राजस्व विभाग और राजस्व मंडल के आंकड़ों के अनुसार 19 हजार 422 किसानों की जमीनें कुर्क की गई हैं।

ये जवाब चौंकाने वाला इसलिए है कि क्योंकि राजस्थान में किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए 51 छोड़ी-बड़ी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इकलौता राज्य है जहां पिछले दो साल से अलग कृषि बजट पेश किया जा रहा है। किसान आयोग, राज्य बीज निगम, राजस्थान कृषि विपणन बोर्ड जैसी संस्थाएं भी संचालित हैं। इनमें सरकार ने अपने नेताओं को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर चैयरमेन बना रखा है। इन सबके बावजूद कर्ज ना चुका पाने के कारण किसानों की जमीनें कुर्क हो रही हैं।


मामले में कृषि मंत्री लालचंद कटारिया से बात की तो उनका कहना था कि किसानों को ग्रामीण सहकारिता समितियों (जीएसएस) के माध्यम से फसलों के लिए कर्ज दिया जाता है।हमारे विभाग से किसानों से संबंधित आंकड़े मांगे जाते हैं, तो हम देते हैं। विधानसभा से जो जवाब मिला है, उसे मैंने अभी तक देखा नहीं है। जल्द ही इस विषय में सीएम गहलोत से बात करेंगे। इधर, विधायक राजवी अब इस जानकारी को अपनी पार्टी भाजपा के प्रदेश व राष्ट्रीय स्तरीय नेतृत्व को भेजने की तैयारी कर रहे हैं। भाजपा इसे अब प्रदेश भर में राजनीतिक मुद्दा बनाएगी।

विधानसभा में सरकार ने झूठ बोला था, आंकड़ों ने पोल खोल दी : राजवी

विद्याधर नगर से विधायक और पूर्व चिकित्सा मंत्री नरपत सिंह राजवी ने बताया कि वर्ष 2018 के चुनावों में कांग्रेस ने वादा किया था सरकार बनने के बाद 10 दिनों में किसानों का सम्पूर्ण कर्ज माफ कर देंगे। जबकि हकीकत यह है कि जो किसान कर्जा नहीं चुका सके उनकी खेती की जमीनों को सरकार ने कुर्क करने की कार्रवाई की है। 19,422 किसानों से उनकी जिन्दगी का आधार उनकी जमीन को छीन लिया गया है। खुद सरकार के आंकड़ों ने ही सरकार की पोल खोल दी है। अब भी वक्त है, सरकार उन किसानों की जमीनों का मुआवजा देकर इस पाप का प्रायश्चित कर सकती है। साथ ही सरकार को तुरंत कार्रवाई कर उन किसानों की जमीनों को बचाना चाहिए, जिन्हें कुर्की का नोटिस मिल चुका है। बैंकों से बातचीत कर कोई रास्ता निकालना चाहिए। जहां तक संभव हो सरकार को किसानों का कर्जा चुकाना ही चाहिए, वरना राजस्थान में लाखों परिवारों के सामने जीवन का संकट खड़ा हो जाएगा।

सीएम गहलोत का दावा: प्रदेश में 22 लाख किसानों के कर्ज माफ किए गए

सीएम गहलोत ने 24 दिसंबर-2022 को भरतपुर में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 120 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित सभा में कहा था कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने बीते चार साल में 22 लाख किसानों के कर्ज माफ किए गए हैं। राजस्थान में किसानों के खातों में सरकार की तरफ से हर माह एक हजार रुपए जमा भी कराए जाते हैं। सीएम गहलोत कई बार केन्द्र सरकार से मांग कर चुके हैं वो पहल कर के सम्पूर्ण देश में एक साथ किसानों का कर्जा माफ करे। इस विषय में सीएम गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गत दिनों एक पत्र भी लिखा है।

पूनिया ने सीएम को पत्र लिखा था

24 जनवरी-2022 को तत्कालीन भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और वर्तमान उप नेता प्रतिपक्ष (विधानसभा) डॉ. सतीश पूनिया ने सीएम गहलोत को एक पत्र लिखकर मांग की थी कि प्रदेश के समस्त किसानों के बैंक कर्जे माफ किए जाएं। पूनिया ने उस पत्र में एक लाख 35 हजार किसानों के सामने बैंकों का कर्जा ना चुका पाने पर जमीनें कुर्क होने का खतरा मंडराने की चेतावनी भी दी थी। तब तक विभिन्न बैंकों ने 9000 किसानों की जमीनों को कुर्क करवाने के लिए सरकारी-विधिक कार्रवाई शुरू भी कर दी थी। पूनिया ने लिखा था कि प्रदेश सरकार को अपना वादा निभाना चाहिए।बेवजह गेंद को केन्द्र सरकार के पाले में नहीं फेंकना चाहिए।

राहुल गांधी ने किया था कर्जे माफ करने का वादा

कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने 26 नवंबर-2018 को पोकरण (जैसलमेर) में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हुई एक सभा में यह वादा किया था कि अगर कांग्रेस की राजस्थान में सरकार बनेगी तो 10 दिनों के भीतर किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। पोकरण के बाद यह वादा राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में हुई विभिन्न सभाओं में भी किया था। दिसंबर-2018 में तीनों राज्यों में कांग्रेस की जीत हुई थी।

केवल सहकारिता बैंकों के कर्जे हुए माफ

प्रदेश में जो भी कर्जमाफी हुई, केवल सहकारिता बैंकों की हुई। इसके एवज में राज्य सरकार द्वारा अब तक 14000-16000 करोड़ रुपए तक का भार वहन किया गया है। किसान कर्ज केवल सहकारिता बैंकों से नहीं बल्कि नेशनल, कमर्शियल, नेशनलाइज्ड रूरल बैंकों आदि से भी लेते हैं।खेती-किसानी के नाम पर जो कर्जा लिया जाता है, अच्छी फसल होने पर वापस चुका दिया जाता है, लेकिन कई बार फसल नहीं हो पाने पर गिरवी रखी जमीन पर खतरा मंडराने लगता है। छोटे किसानों (5-10 बीघा जमीन वाले) को ज्यादा परेशानी होती है और जमीन कुर्क करने की कार्रवाई शुरू हो जाती है।

अलवर, जयपुर व हनुमानगढ़ में सबसे ज्यादा मामले

राजस्व विभाग और राजस्व मंडल के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश भर में 19 हजार 422 किसानों की जमीनें कर्ज नहीं चुका पाने के चलते कुर्क की गई हैं। इनमें सर्वाधिक मामले अलवर, जयपुर और हनुमानगढ़ जिलों के हैं जहां क्रमश: 4421, 2945 और 1906 किसानों की जमीनें कुर्क की गईं।