जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट 
प्रतिष्ठित शिक्षाविद डॉ. हरिराम स्वामी की पुस्तक ‘‘यादों का गुलिस्तां‘‘ का आरएएस क्लब में लोकार्पण किया गया। जोधपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. पी.सी. त्रिवेदी, राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश कैलाश चंद्र शर्मा, जेएनयू के शोध सलाहकार प्रो. जे.के. टंडन, राजस्थान हैरीटेज अथॉरिटी के सीईओ टीकम अनजाना और वरिष्ठ साहित्यकार फारूक आफरीदी ने पुस्तक का लोकार्पण किया। राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (रि.) कैलाश चन्द्र शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति डॉ. पीसी त्रिवेदी ने कहा कि डॉ. स्वामी की पुस्तक आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है। प्रो. त्रिवेदी ने कहा कि जीवनी एक प्रकार से समय और समाज का अमूल्य दस्तावेज होता है। यह एक रचनात्मक लेखन है जिसमें परिवार, मित्रों और समाज के संग बीते खट्टे-मीठे अनुभव होते हैं। लेकिन समाज में खुशियां बांटने वाला लेखन ही सार्थक होता है। लेखक का दायित्व है कि वह समाज को नई दिशा दे, उत्साह का संचार करे और प्रगति की ओर अग्रसर करे। जीवन की अनुभूतियों को संजोकर नई पीढ़ी को सौंपना भी विरासत को समृद्ध करने जैसा है। आत्मकथा में हम अभावों से जूझते समाज को विकसित और आधुनिक होते समय की धड़कन महसूस कर सकते हैं।
आत्मकथा में गांधीजी जैसी सत्यनिष्ठा ही सार्थक है: आफरीदी
वरिष्ठ साहित्यकार फारूक आफरीदी ने कहा कि जीवनी तभी सार्थक और मूल्यवान होती है जब हम गांधी जी के सत्य के प्रयोग की भांति सत्यनिष्ठा से जीवन के अनुभवों को रेखांकित करते हैं। स्मरण सच्चाई पर आधारित हों और आत्म प्रशंसा से मुक्त हों। डॉ. स्वामी इस दिशा में खरे जीवनीकार के रूप में हमारे सामने आते हैं। एक मध्यम परिवार से निकलकर जीवन में ऊंचाइयां हासिल करना निश्चय ही एक बड़ी उपलब्धि है। 
यादों का गुलिस्तां के लेखक डॉ. हरिराम स्वामी ने कहा कि वे साधारण परिवार से आते हैं जिनमें संघर्ष एक नियति है। जीवन का खुरदरापन अनुभव से मनुष्य को सशक्त बनाता है। उन्होंने बताया कि जीवन के एक पड़ाव पर बाबा आम्टे की भांति शैया पर जीवन जीने की स्थिति आ गई, लेकिन मित्रों की सहृदयता और लेखन की जिजीविषा ने उन्हें मजबूती दी जिसकी परिणति जीवनी पुस्तक के रूप में हुई। जीवनी कथा में समय, समाज, राजनीति, मित्र, परिवार सभी को ईमानदारी से सामने रखने का प्रयास किया गया है। 
राजस्थान हैरीटेज अथाॅरिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी टीकम बोहरा ‘अनजाना‘ ने कहा कि जीवनी में जीवन के गहरे एहसास होते हैं। इसमें जीवन के संघर्ष नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक सिद्ध होते हंै। इस प्रकार का लेखन पारिवारिक विरासत में बहुमूल्य योगदान करते हैं।राजस्थान कर बोर्ड के सदस्य ओपी सहारण, राजस्व मंडल के पूर्व सदस्य ताराचंद सहारण और आईसीएसएसआर के कंसलटेंट डॉ. सोमदेव ने पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत की। किरण स्वामी ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।