जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

वसुंधरा राजे सरकार पर करप्शन के आरोपों की जांच की सचिन पायलट की मांग के मुद्दे ने कांग्रेस के बाद अब बीजेपी की सियासत भी गर्मा दी है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सचिन पायलट के करप्शन के आरोपों की जांच की मांग का समर्थन करते हुए सियासी चर्चाएं छेड़ दी हैं।

शेखावत ने कहा- मैं तो कहता हूं किसी के खिलाफ भी करप्शन का आरोप हो तो जांच होनी चाहिए। अगर किसी ने भी करप्शन किया तो जांच होनी चाहिए। पॉलिटिकल कारण से न तो जांच को रोका जाना चाहिए। न पॉलिटिकल कारण से जांच करनी चाहिए। निष्पक्ष रूप से जांच होनी चाहिए।

उन्होंने कहा- अगर गजेंद्र सिंह ने भ्रष्टाचार किया है, उसके खिलाफ भी जांच होनी चाहिए। अगर भारतीय जनता पार्टी के किसी नेता ने किया तो उसके खिलाफ भी जांच होनी चाहिए। कम से कम जनता में यह संदेश कभी नहीं जाना चाहिए कि दो या तीन-चार लोग मिलकर इस तरह से एक दूसरे को ढकने का प्रयास करें। यह लोकतंत्र की आत्मा की हत्या करने के प्रयास जैसा होगा।

बयानों के मायने- गजेंद्र सिंह का पायलट के आरोपों का समर्थन, बीजेपी में गुटबाजी बढ़ने का संकेत

गजेंद्र सिंह शेखावत ने उसी लाइन पर बयान दिया है जिस पर सचिन पायलट ने सरकार को आंदोलन का अल्टीमेटम दे रखा है। पायलट ने वसुंधरा सरकार के करप्शन पर कार्रवाई की मांग को लेकर पहले 11 अप्रैल को जयपुर में अनशन किया।

फिर 11 मई से पांच दिन तक अजमेर से जयपुर तक यात्रा निकाली। पायलट ने 15 मई को जयपुर में रैली करके जो तीन मांगें रखी थीं, उनमें एक मांग वसुंधरा सरकार के समय के करप्शन की जांच के लिए कमेटी बनाने की भी थी।

पायलट ने गहलोत के धौलपुर और कुचामन सिटी में दिए बयानों का हवाला कई बार दिया है। इसमें उन्होंने वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल को उनकी सरकार बचाने में सहयोग का जिक्र किया। पायलट ने इशारों में गहलोत-वसुंधरा की मिलीभगत के आरोप भी लगाए थे। अब गजेंद्र सिंह भी मिलीभगत के आरोप इशारों में लगा रहे हैं।

गजेंद्र सिंह बोले- गहलोत ने कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं का वजूद खत्म कर दिया

गहलोत के उनके प्रति तल्खी के कारण पर गजेंद्र सिंह ने कहा- पता नहीं उनके मन में क्या है, लेकिन दो-तीन विषय हैं। एक तो उनके बेटे की हार बहुत बड़ा कारण है। पश्चिमी राजस्थान में पहली बार किसी ने अशोक गहलोत के वजूद को चुनौती दी है।

कांग्रेस पार्टी में बहुत बड़े-बड़े नेता थे। नाथूराम मिर्धा, रामनिवास मिर्धा पुराने जमाने के नेता थे। परसराम मदेरणा, राम सिंह बिश्नोई, खेत सिंह राठौड़, पूनम चंद बिश्नोई जैसे कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गज नेता थे। इन सबका राजनीतिक वजूद समाप्त अगर किसी ने किया तो अशोक गहलोत ने किया।

पश्चिमी राजस्थान में बीजेपी का कोई मास लीडर नहीं था, जसवंत सिंह का जनता से उतना कनेक्ट नहीं था

शेखावत ने कहा- भारतीय जनता पार्टी का पश्चिम राजस्थान में कभी कोई बड़ा मास लीडर नहीं था। जसवंत सिंह जी हुआ करते थे। उनका जनता से उतना कनेक्ट नहीं था। उनको पहली बार लगता है कि किसी जनता के आदमी ने उठके सीधे मेरे अस्तित्व को चुनौती दी है। मेरे बेटे को चुनाव हरवा दिया है। उनकी तल्खी का यह कारण हो सकता है।

मेरे खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करके 15 दिन में वापस ले लिया

गजेंद्र सिंह ने कहा- मेरे खिलाफ दर्ज किए गए केस सत्ता और एजेंसियों के दुरुपयोग का सबसे बेहतरीन उदाहरण है। ऑडियो वायरल होने के मामले में चार मुकदमे दर्ज किए गए थे। दो मुकदमे एसीबी में दर्ज किए गए। 2 मुकदमें एसओजी में दर्ज किए गए थे।

इनमें से राष्ट्रद्रोह के मुकदमे भी दर्ज किए गए थे। 15 दिन तक मीडिया में हल्ला मचाने के बाद उनको पता नहीं कहां से यह ज्ञान हुआ, राष्ट्रद्रोह का मुकदमा वापस ले लिया गया। एक केंद्रीय मंत्री के खिलाफ इस तरह से आरोप लगा देना। बाद में मुकदमा वापस ले लेना। आप किसी को राष्ट्रद्रोही कह कर के 15 दिन तक बदनाम कर दो। फिर मुकदमा वापस ले लो। ऐसा क्या हो गया था?

मुझसे वॉयस सैंपल के लिए तीन साल किसी ने संपर्क नहीं किया

गजेंद्र सिंह ने कहा- वॉयस सैंपल को लेकर मुख्यमंत्री तीन साल से बयान दे रहे हैं। 2020 में जो मुकदमा दर्ज हुआ था, तब से तीन साल हो गए। तीन साल में मुझे वॉयस सैंपल के लिए किसी एजेंसी ने कोई समन नहीं भेजा, न मुझसे संपर्क किया। किसी भी व्यक्ति का वॉयस सैंपल लेने के लिए कोर्ट में जाने की जरूरत पड़ती है।

जब ये 2020 में कोर्ट गए तो कोर्ट ने साफ कहा कि अभियोजन पक्ष दूसरे उद्देश्यों के लिए इसका प्रयोग करना चाहता है। मना कर दिया। डेढ़ साल तक ये सोते रहे।

फिर एजेंसियों पर मुख्यमंत्री का जवाब आता है तो दोबारा हायर कोर्ट में अपील करते हैं। फिर अपील खारिज हो जाती है। हाईकोर्ट कहता है सैंपल नहीं दिया जा सकता। फिर भी यह कहते हैं कि वॉयस सैंपल दीजिए।

संजीवनी से मेरे परिवार का कोई संबंध नहीं, मालिक से जान-पहचान जरूर है

संजीवनी घोटाले में नाम आने पर गजेंद्र सिंह ने कहा- मेरे परिवार में से किसी भी व्यक्ति का संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी से कोई संबंध नहीं है। मेरे परिवार को कोई भी मेंबर उस सोसायटी में सदस्य नहीं है। मैं संजीवनी के मालिक को जरूर जानता हूं, लेकिन जान-पहचान अपराध नहीं है।

अब संजीवनी ने कोई फ्रॉड किया, उसके खातों की ऑडिट करने का काम तो राज्य सरकार का था। सरकार की भी तो कोई जिम्मेदारी बनती है। आप उनके खातों को हर साल सर्टिफाइड कर रहे थे। उस वक्त गड़बड़ी क्यों नहीं पकड़ी?

संजीवनी के मालिक की तारीफ वाले वीडियो पर गजेंद्र सिंह ने कहा- संजीवनी के मालिक और उनके फादर को मैं जानता हूं। किसी व्यक्ति को जानना अपराध नहीं होता। वे कई तरह के बिजनेस करते थे। उनके स्कूल के प्रोग्राम में गया था।

अब वे जो कुछ काम कर रहे हैं, वे चाहे स्कूल चला रहे हों या 10 तरह के दूसरे बिजनेस करते थे। तब मैंने कहा था कि परफेक्शन के साथ काम करते हैं। अब पॉलिटिकल लीडर के तौर पर कार्यक्रम में जाऊंगा तो तारीफ ही करूंगा।