अलवर ब्यूरो रिपोर्ट।
अलवर UIT के पूर्व डिप्टी सक्रेट्री बीएल मीणा को एसीडी कोर्ट ने 3 साल की कैद और 25 हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया है। पूर्व उप सचिव मीना ने साल 2000 में पद का दुरुपयोग कर अलवर शहर में मनमर्जी से 78 प्लॉट के पट्टे जारी कर दिए।
अवॉर्डशुदा सरकारी जमीन में 25 पट्टे दे दिए। सरकारी नियम से लीज, नियमन राशि तक पूरी नहीं ली। प्रिंटिंग चार्जेज और साइट प्लान का शुल्क नहीं लिया। सरकार को 46 लाख रुपए का नुकसान हुआ था। जिसकी शिकायत पर एसीडी में मुकदमा 2004 में दर्ज हुआ। अब 18 साल बाद में सजा सुनाई गई है।
एसीडी के विशिष्ठ लोक अभियोजक अशोक भारद्वाज ने बताया कि पूर्व उप सचिव बीएल मीणा ने साल 2000 में अलवर शहर में करीब 78 पट्टे जारी करने में मनमर्जी की थी। सरकार के नियमों की परवाह नहीं की। तय शुल्क तक नहीं लिए गए।
47 पट्टों में नियमन राशि निधारित जोन से करीब 6 लाख 68 हजार 866 रुपए कम जमा की। अवाप्तशुदा भूमि पर 25 पट्टे जारी कर दिए। जो यूआईटी की विभिन्न आवासीय योजनाओं में अवॉर्डशुदा थे। यह एक तरह से सरकारी भूमि होती है। जिनकी नियमन राशि तीन गुना 32 लाख 90 हजार 278 रुपए नहीं ली गई।
इसके अलावा 6 पट्टे स्टीप ऑफ लैंड के जारी कर दिए। जिनकी नियमन राशि रिजर्व प्राइज की 2 गुना 6 लाख 43 हजार 405 रुपए नहीं ली गई। इसके अलावा किसी भी पत्रावली में 90 बी नहीं की गई। न पट्टा जारी करने की प्रक्रिया को अमल में लाया गया। संबंधित शाखाओं से रिपोर्ट नहीं ली गई।
पद का दुरुपयोग कर सरकार को 46 लाख 2 हजार 550 रुपए की राजस्व हानि की गई।
2004 में रिपोर्ट, 2009 में चालान
यह फर्जीवाड़ा 2000 में किया गया। जिसकी रिपोर्ट एसीडी में 2004 में दर्ज कराई गई। इसके बाद जांच हुई। साल 2009 में उप सचिव के खिलाफ चालान पेश किया गया। उसके बाद कोर्ट में ट्रायल चला। अब उप सचिव को 3 साल की सजा व 25 हजार रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई गई है।
यूआईटी के प्राधिकृत अधिकारी का जिम्मा
बीएल मीणा के पास 2000 में भूमि प्राधिकृत अधिकारी का जिम्मा था। जिनके पास स्वतंत्र रूप से पट्टे जारी करने का अधिकार भी नहीं था। इसके बावजूद उन्होंने पट्टे जारी कर दिए। ये सब पट्टे अलवर शहर की सीमाओं में दिए गए हैं।
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