जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 
निद्रा रोग व इसके विकारों पर रविवार  28  मई  को नव गठित “स्लीप एजुकेशन एंड रिसर्च सोसाइटी”की ओर से जयपुर में एक संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है । इस सोसाइटी की सचिव और संगोष्ठी की संयोजिका डॉ शिवानी स्वामी ने बताया कि यह कार्यक्रम टोंक रोड स्थित एक  होटल में किया जा रहा है जिसमें देश और राज्य के प्रमुख निंद्रा रोग विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं । स्लीप एजुकेशन एंड रिसर्च सोसाइटी एवम् संगोष्ठी के अध्यक्ष और डॉ रजनीश शर्मा ने बताया इस संगोष्ठी में निन्द्रा रोगों पर रिसर्च प्रस्तुत की जाएगी एवम् व्याख्यान होंगे, जिन से निन्द्रा रोगों के निदान और उपचार के बारे में चिकित्सक लाभान्वित होंगे । 
वर्तमान जीवन दौड़भाग एवं कार्य में आपाधापी तथा तनाव से भरा है । एसे में दस में से पाँच लोग जो मानसिक रोग तथा श्वसन रोग विशेषज्ञों के पास बीमारी तथा विकार ले कर आते हैं वे अनिद्रा की बीमारी से पीड़ित होते हैं। अनिद्रा रोग हमारे शरीर के संपूर्ण अंगों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है । जिस दिन किसी को नींद कम आती है उस दिन सुबह उसकी सोचने की शक्ति तथा काम करने की तत्परता कम हो जाती है। इस प्रकार के रोग एक महामारी का रूप ले चुके है । अनिद्रा का एक प्रकार जिसे ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया कहा जाता है, यह एक ऐसी बीमारी है जिससे खर्राटे भी उत्पन्न होते हैं और खर्राटों के साथ साँस की रुकावट की वजह से शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है जिससे धीरे धीरे शरीर में और कई विकार उत्पन्न होते हैं. जयपुर की साँस रोग तथा निद्रा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शिवानी स्वामी, ने इस पर चर्चा करते हुए बताया कि आधुनिक तरीक़ों से इसका उपचार संभव है. इसका समय रहते इलाज तथा उपचार अन्य बीमारियों की तरह ही आवश्यक है । भारत के विभिन्न शहरों से आए निद्रा रोग विशेषज्ञ जो इस संगोष्ठी में अपने विचार साझा करेंगे उनमें डॉक्टर मनचंदा,डॉक्टर राजा धर, प्रमोद दाघीच,गौरव छाबड़ा, डॉ केवल कृष्ण डंग एवं डॉ नवीन किशोरीया हैं । इन सभी चिकित्सकों ने इस आयोजन की आवश्यकता और महत्व को रेखांकित करते और बताया कि जल्द ही एसे आयोजन राज्य के अन्य महत्वपूर्ण शहरों जैसे अजमेर, कोटा और उदयपुर में प्रस्तावित हैं । जयपुर के वरिष्ठ निंद्रा रोग विशेषज्ञ और कार्यक्रम के प्रमुख संयोजक डॉक्टर रजनीश शर्मा ने बताया कि यह संगोष्ठी राज्य के चिकित्सकों और रोगियों के लिए बहुत उपयोगी होगी व इस प्रकार के रोगों के उपचार की नई जानकारी को आम चिकित्सक तक पहुँचायेगी।