जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

जयपुर ब्लास्ट के दोषियों की रिहाई के बाद भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्च खोल दिया है। शनिवार को जयपुर सीरीयल बम ब्लास्ट की पंद्रहवी बरसी पर बीजेपी कार्यकर्ता जयपुर के 250 वार्ड में कांग्रेस के खिलाफ धरना प्रदर्श कर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। इस दौरान जयपुर ब्लास्ट इंसाफ मांगे राजस्थान के नाम से सोशल मीडिया पर भी कांग्रेस सरकार के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा।

बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि प्रदेश की जयपुर बम धमाकों के दौरान देश में पांच बड़े बम धमाके हुए थे। इनमें समझौता एक्सप्रेस ,मालेगांव बम ब्लास्ट, हैदराबाद मक्का मस्जिद ब्लास्ट, अजमेर दरगाह ब्लास्ट और जयपुर बम ब्लास्ट हुआ था। लेकिन इनमें से जयपुर बम ब्लास्ट के अलावा चारों मामलों में जांच एनआईए को सौंपी गई।

जबकि जयपुर ब्लास्ट मामले में इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों को बचाने के लिए गहलोत सरकार ने एसआईटी का गठन कर उसे जांच सौंप दी। जिससे बम कांड से जुडे तथ्य सही से नहीं जुटाए गए। यहीं कारण रहा कि कांग्रेस सरकार की लापरवाही के चलते सभी आरोपी उच्च न्यायालय से बरी हो गए। ऐसे में अब बीजेपी जयपुर की जनता के साथ मिल कांग्रेस के खिलाफ अभियान की शुरुवात करने जा रही है। जिसके तहत 13 मई को शहर के 250 वार्ड में धरना प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जयपुर ब्लास्ट की पैरवी को लेकर न्यायालय में 48 पेशियां हुई थी। लेकिन सरकार की ओर से किसी भी तारीख पर मजबूत पैरवी के लिए वकील नहीं भेजे गए। वहीं दूसरी और जब बात अफजल गुरू को बचाने की आती है। तो कांग्रेस रात 12 बजे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाती है।

कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी आतंकियों के मामले में आगे आकर पैरवी करते हैं। जबकि जयपुर ब्लास्ट जैसे मामले में कांग्रेसी नेताओं की जुबान तक नहीं खुलती है। बल्कि कांग्रेस के नेता भगवा आतंकवाद जैसे नारे लगाते है।

चतुर्वेदी ने कहा कि सभी दोषियों को बरी हुए एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत गया है। लेकिन कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अब तक कोई एसएलपी दायर नहीं की। जबकि बीजेपी ने दो पीड़ित परिवारों के साथ जाकर एसएलपी दायर की है। ताकि जयपुर ब्लास्ट के दोषियों को जल्द से जल्द और सख्त सजा मिल सके।

बता दें राजस्थान में साल 2008 के दौरान जयपुर में सीरियल ब्लास्ट हुए थे। जिसमें 71 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि 185 लोग घायल हुए थे। इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार की कमजोर पैरवी करने के बाद फरवरी में सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। जिसके बाद राजस्थान बीजेपी ने इसे कांग्रेस सरकार की लापरवाही करार दिया था।

इसके बाद पीड़ित परिवारों के साथ मिल बीजेपी ने जहां जयपुर में विरोध मार्च निकला था। वहीं जयपुर ब्लास्ट मामले के आरोपियों पीड़ित परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। जबकि इस मामले में कांग्रेस सरकार ने पैरवी कर रहे वकील को हटाकर सुप्रीम-कोर्ट में फिर से याचिका दायर करने की बात कही थी।