जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

प्रदेश सरकार 19 में से 15 नवगठित जिलों की विधिवत अधिसूचना 15 जुलाई तक जारी कर सकती है। यानी राजस्थान के नक्शे में 15 नए जिले जुड़कर 15 जुलाई तक अस्तित्व में आ जाएंगे। ये नवगठित जिले कौनसे संभाग में काम करेंगे, यह भी फाइनल कर लिया गया है। अब जिलों के सीमांकन का काम बचा है, जिसे जून तक पूरा करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं।

जिन IAS अफसरों को नवगठित जिलों में विशेषाधिकारी लगाया गया है, उन्हें ही वहां का पहला कलेक्टर बनाया जाएगा। 4 जिले ऐसे हैं जहां IAS कपल कलेक्टर बन सकते हैं। इसी तर्ज पर वहां पुलिस अधीक्षकों (एसपी) की नियुक्तियां भी सरकार जल्द ही करेगी। इसके लिए आईपीएस अफसरों के तबादलों के ऑर्डर संभवत: इसी महीने में जारी हो सकते हैं। लेकिन नए जिलों की अधिसूचना तभी जारी होगी जब विशेषाधिकारी, सौंपे गए 3 काम पूरे कर लेंगे। 

3 महत्वपूर्ण कार्य : जिनके बाद होगी जिलों की स्थापना की अधिसूचना जारी

प्रशासनिक दृष्टि से किसी भी शहर के जिला मुख्यालय बनने के लिए कई काम जरूरी होते हैं। अभी ब्यावर, डीडवाणा, कोटपूतली, सलूंबर आदि आबादी के लिहाज से राजस्थान में पहले से स्थापित जिलों से भी बड़े हैं, लेकिन बिना अधिसूचना और प्रशासनिक व्यवस्था के वे जिला नहीं बल्कि उपखंड मुख्यालय ही हैं।

पहला काम : कलेक्ट्रेट और एसपी ऑफिस सिलेक्ट करना

किसी भी जिला मुख्यालय के सबसे बड़े सरकारी कार्यालय और पहचान वहां के कलेक्ट्रेट और एसपी ऑफिस हुआ करते हैं। ऐसे में सबसे पहले अस्थाई रूप से कलेक्ट्रेट और एसपी ऑफिस चिन्हित करने हैं, लेकिन साथ ही स्थाई रूप से बनाए जाने वाले कलेक्ट्रेट और एसपी ऑफिस के लिए जमीन तय करनी है कि उन्हें कहां बनाया जाएगा। इन सबके लिए एक विस्तृत प्रोजेक्ट बनेगा जिसे वित्तीय स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को भेजा जाएगा।

केकड़ी के विशेषाधिकारी खजान सिंह (आईएएस) ने बताया कि यहां कलेक्टर व एसपी के दफ्तर को छोड़कर शेष सभी विभागों के कार्यालय कार्यरत हैं।

हमने कुछ जगहें देखी हैं, जहां कलेक्टर और एसपी का दफ्तर फिलहाल अस्थाई रूप से शुरू कर दिए जाएंगे। विभिन्न विभागों के मौजूदा अफसरों को जिला स्तर के हिसाब से ही काम करने के निर्देश दे दिए गए हैं।

दूसरा काम : प्रमुख 7 विभागों का अपग्रेडेशन तुरंत किया जाएगा

जिले में बिजली, जलदाय, पीडब्ल्यूडी, चिकित्सा, शिक्षा, न्यायालय व पुलिस लाइन को सबसे पहले जिला स्तर का बनाया जाएगा। उदाहरण के तौर पर जलदाय और पीडब्ल्यूडी जैसे विभागों में उपखंड स्तर पर कार्यकारी अभियंता (एक्सईएस) का दफ्तर ही सबसे बड़ा होता है, लेकिन अब वो सुपरिडेंट इंजीनियर (एसई) का दफ्तर बनेगा।

इसी तरह से शिक्षा व चिकित्सा में ब्लॉक स्तर का अधिकारी कार्यालय होता है, जिसे जिला स्तर का करना होगा। फिलहाल सरकार जो मौजूदा अफसर वहां काम कर रहे हैं, उन्हें ही अस्थाई तौर पर प्रमोट करेगी। बाद में धीरे-धीरे अन्य विभागों जैसे रोडवेज डिपो, आबकारी, नगरीय विकास, परिवहन, कृषि, महाविद्यालय आदि को अपग्रेड किया जाएगा।

प्रदेश के सबसे बड़े नवगठित ब्यावर जिले के विशेषाधिकारी (आईएएस) रोहिताश्व सिंह ने भास्कर को बताया कि ब्यावर को जिला बनाने की तैयारियां शुरू कर गई हैं। राज्य सरकार ने जो निर्देश दिए हैं, उनकी पालना की जा रही है। जल्द ही एक सुविकसित जिला मुख्यालय के रूप में ब्यावर राजस्थान के मानचित्र पर दिखाई देगा।

तीसरा काम : जिलों के सीमांकन की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजनी है

जिले के सीमांकन का काम अभी शेष है। यह काम राज्य सरकार व राजस्व विभाग के स्तर पर चल रहा है। अब चूंकि जिले में विशेषाधिकारियों ने कार्य संभाल लिया है, तो वे भी नवगठित जिलों में कौन-कौन सी ग्राम पंचायतें, तहसीलें व उपखंड मुख्यालय शामिल हो सकते हैं, उनकी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजेंगे। इससे हर जिले की सीमा तय हो सकेगी। 30 जून तक सभी नवगठित जिलों के सीमाकन का काम पूरा किया जाना तय है।

खैरथल में लगाए गए विशेषाधिकारी ओमप्रकाश बैरवा का कहना है कि ने क्षेत्र को आर्थिक रूप से तेजी से विकसित किया जाएगा, ताकि दोनों राजधानियों से नजदीकी का लाभ क्षेत्र को मिल सके। इसके लिए सीमांकन की रिपोर्ट आते ही काम शुरू कर देंगे।

दो मुख्यालय वाले जिलों में कहां होगी कलेक्ट्रेट और कहां खुलेगा एसपी ऑफिस?

नागौर में से डीडवाना और कुचामन को एक साथ जिला बनाने की घोषणा सरकार ने की है। इसी तरह बहरोड़ और कोटपूतली को भी एक साथ एक ही जिला बनाया जाएगा। अब संकट यह है कि दो-दो क्षेत्रों में एसपी ऑफिस और कलेक्ट्रेट का काम कैसे बांटा जाएगा।

दोनों जगहों पर विशेषाधिकारी आईएएस अफसर सीताराम जाट और शुभम चौधरी ने दौरा कर लिया है। बातचीत में अधिकारियों ने बताया कि इन जिलों में एक शहर में कलेक्ट्रेट और दूसरे प्रमुख शहर में एसपी ऑफिस बनाया जाएगा।

डीडवाना और कुचामन के बीच 48 किलोमीटर और बहरोड़ व कोटपूतली के बीच करीब 25 किलोमीटर की दूरी है। ऐसे में प्रशासनिक सुविधा के हिसाब से यह ज्यादा बेहतर रहेगा।

जयपुर और जोधपुर पर अभी फैसला नहीं

प्रदेश में पहली बार एक साथ 19 नए जिले बनाने की घोषणा हुई है। इससे पहले एक, 2 या अधिकतम तीन जिले ही एक साथ बनाए गए थे। अब नवगठित 19 में से 15 का काम शुरू हो चुका, लेकिन 4 जिलों (जयपुर उत्तर, जयपुर दक्षिण, जोधपुर पूर्व व जोधपुर पश्चिम) के बारे में सरकार ने अभी कोई फैसला नहीं किया है।

सभी नए जिलों के संभाग मुख्यालय हुए तय

राज्य सरकार ने सभी नवगठित जिलों के संभाग मुख्यालय भी तय कर दिए हैं कि कौन सा जिला किस संभाग में शामिल होगा। राजस्व मंत्री रामलाल जाट चूंकि इस विभाग के मंत्री हैं, तो उन्होंने गत दिनों सीएम अशोक गहलोत से मिलकर उनके गृह निर्वाचन क्षेत्र भीलवाड़ा को संभाग मुख्यालय बनाने की मांग की थी।

इसी बीच अलवर के सांसद रहे पूर्व केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह ने भी हाल ही सीएम गहलोत के अलवर आने पर अलवर को संभाग मुख्यालय बनाने की बात कही थी, जिसके जवाब में सीएम गहलोत ने मौके पर ही कहा था कि प्रदेश में 10 संभाग मुख्यालय बन चुके हैं अब अगर कोई और संभाग मुख्यालय बनेगा तो अलवर पहले नंबर पर होगा।

कोटपूतली-बहरोड़ का फिलहाल जयपुर संभाग तय है लेकिन अगर अलवर संभाग मुख्यालय बना तो कोटपूतली बहरोड़ अलवर में शामिल किए जाएंगे। वहीं शाहपुरा भी अजमेर संभाग में आएगा लेकिन भीलवाड़ा को संभाग बनाने की घोषणा होती है तो शाहपुरा भीलवाड़ा संभाग का हिस्सा बनेगा।

नवगठित जिलों में लगे विशेषाधिकारी बनेंगे वहां के कलेक्टर

प्रदेश के 15 नवगठित जिलों में विशेषाधिकारी (OSD) IAS अफसरों को ही लगाया गया है। जिन अफसरों को विशेषाधिकारी की जिम्मेदारी सौंपी है, अधिसूचना जारी होने के बाद वे ही वहां के पहले कलेक्टर बनेंगे।

4 जिलों में IAS पति-पत्नी संभालेंगे कलेक्टर का जिम्मा

करौली-गंगापुर सिटी में अंकित कुमार सिंह और अंजली राजोरिया : करौली के जिला कलेक्टर हैं अंकित कुमार सिंह। उनकी पत्नी आईएएस अफसर अंजली राजोरिया अभी तक उदयपुर में सहायक संभागीय आयुक्त के पद पर थीं। उनका तबादला अब बतौर विशेषाधिकारी गंगापुर सिटी कर दिया गया है। राजोरिया ने कार्यभार संभाल लिया है। अब वे भी वहां कलेक्टर की भूमिका में नजर आएंगी।

फलोदी-दूदू में जसमीत सिंह व अर्तिका शुक्ला : इसी तरह वर्ष 2016 बैच के दो आईएएस अफसर जसमीत सिंह व अर्तिका शुक्ला दोनों पति-पत्नी हैं। जसमीत सिंह को फलोदी (जोधपुर) और अर्तिका शुक्ला को दूदू (जयपुर) में विशेषाधिकारी लगाया गया है। दोनों जल्द ही जिलों के कलेक्टर बनेंगे। आम तौर पर अगर पति पत्नी दोनों आईएएस या आईपीएस होते हैं, तो राज्य सरकार उन्हें आस-पास ही नियुक्ति देती है, लेकिन फिलहाल नई जिम्मेदारी के दोनों पद करीब 300 किलोमीटर दूर हैं।

दो विशेषाधिकारी पूर्व में रह चुके हैं कलेक्टर

प्रमोटी आईएएस अफसर राजेन्द्र विजय को बालोतरा में विशेषाधिकारी लगाया गया है, वे पूर्व में बारां के कलेक्टर रह चुके हैं। वहीं बहरोड़-कोटपूतली की विशेषाधिकारी शुभम चौधरी डूंगरपुर में कलेक्टर रह चुकी हैं। ब्यूरोक्रेसी में इसे लेकर चर्चाएं हैं, कि जो अफसर पूर्व में कलेक्टर रह चुके हैं उनके लिए विशेषाधिकारी अपेक्षाकृत छोटा पद है।

2016 बैच तक के IAS भी बनेंगे कलेक्टर

अभी तक राजस्थान में 33 जिले थे, तो वर्ष 2014 तक के ही कुछ अफसरों को कलेक्टर बनने का अवसर मिला था। वर्ष 2015 के 9 अफसरों में से केवल टीना डाबी को ही (जैसलमेर) में कलेक्टर बनाया गया।

अब 15 जिले और बनाए जा रहे हैं और उनके विशेषाधिकारियों को ही कलेक्टर बनाना तय माना जा रहा है। ऐसे में वर्ष 2016 बैच की IAS अर्तिका शुक्ला (दूदू) और अंजली राजोरिया (गंगापुर सिटी) को भी कलेक्टर बनने का अवसर मिलना तय है। उधर 2013 बैच (पहली बार) के प्रमोटी आईएएस पुखराज सेन और अरुण कुमार पुरोहित को भी कलेक्टर बना दिया गया है।

प्रमोटी और डायरेक्ट IPS दोनों बनेंगे नए जिलों के पुलिस अधीक्षक

15 नवगठित जिलों के विशेषाधिकारी (आईएएस) लगाने में राज्य सरकार ने 5 प्रमोटी आईएएस अफसरों और 10 डायरेक्ट आईएएस अफसरों को प्राथमिकता दी है। यही फार्मूला जिलों में पुलिस अधीक्षक लगाते वक्त भी अपनाया जाएगा। जिसमें 5 प्रमोटी आईपीएस और 10 डायरेक्ट आईपीएस का नवगठित जिलों एसपी का कार्यभार सौंपा जा सकता है।

नवगठित जिलों में अफसरों का स्वागत शुरू

सभी नवगठित जिलों में कार्यभार संभालने वाले अफसरों का वहां मंत्रियों-विधायकों व अन्य जन प्रतिनिधियों व सामाजिक संगठनों से स्वयं स्वागत किया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों को उम्मीद है कि जिला बनने से क्षेत्र का तेजी से विकास संभव होगा। स्थानीय लोगों को भी नए रोजगार के साधन व अवसर मिल सकेंगे।

बहरोड़-कोटपूतली में तो गृह राज्य मंत्री राजेन्द्र यादव खुद विशेषाधिकारी शुभम चौधरी (आईएएस-पूर्व डूंगरपुर जिला कलेक्टर) को कुर्सी पर बैठाकर आए। ऐसे ही खैरथल में विशेषाधिकारी ओमप्रकाश बैरवा (आईएएस) स्थानीय विधायक दीपचंद खैरिया ने स्वागत किया। अब इन जिलों में सभी करोड़ों रुपयों की लागत से (राज्य सरकार ने पहले चरण में 2000 करोड़ रुपए खर्च करने का बजट तय किया है) नए सरकारी भवन बनेंगे।

किराए के दफ्तरों, वाहनों, कार्मिकों की जरूरत पड़ेगी जिससे लाखों की संख्या में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित होंगे। रियल एस्टेट में अब अचानक उपखंड मुख्यालयों से जिला मुख्यालय बनने वाले शहरों में जमीनों, मकानों, दुकानों, शोरूम्स, फ्लैट्स आदि के भाव बढ़ेंगे। नई कॉलोनियां भी विकसित होंगी।