हनुमानगढ़ ब्यूरो रिपोर्ट।  

भाखड़ा प्रणाली में 1200 क्यूसेक सिंचाई पानी देने की मांग कर रहे भाखड़ा क्षेत्र के किसानों ने सोमवार को जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता कार्यालय में महापड़ाव डाला। ग्रामीण किसान-मजदूर समिति के बैनर तले हजारों की संख्या में किसान मुख्य अभियंता कार्यालय के बाहर पड़ाव स्थल पर जुटे। महापड़ाव स्थल पर दोपहर तक सभा चली। दोपहर बाद को किसानों ने प्रदर्शन करते हुए कार्यालय का घेराव किया। कानून व्यवस्था को लेकर सिंचाई विभाग कार्यालय में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। आंदोलनकारी किसानों ने चेतावनी दी कि हर हाल में भाखड़ा नहर में 1200 क्यूसेक पानी चलाया जाए। मांग के अनुसार सिंचाई के लिए पानी नहीं चलाया गया तो ईंट से ईंट बजा देंगे। महापड़ाव स्थल पर हुई सभा में पूर्व मंत्री गुरजंट सिंह बराड़, संगरिया विधायक गुरदीप सिंह शाहपीनी, भाजपा जिला उपाध्यक्ष गुलाब सिंवर, डॉ. विजेन्द्र सिंह सिद्धू भी पहुंचे।

सभा में पूर्व मंत्री गुरजंट सिंह बराड़ ने कहा कि सिंचाई पानी देने की मांग भाखड़ा का किसान कर रहा है। किसान पार्टीबाजी में उलझकर लड़ाई नहीं लडऩा चाहता। यहां एकत्रित किसान आम किसान है। यह किसान भाजपा-कांग्रेस या अन्य पार्टी का नहीं। उसकी फसल को सिंचाई पानी की आवश्यकता है। इंदिरा गांधी नहर में भी वर्तमान में बंदी चल रही है। किसानों की मांग है कि एक बार चलाकर उन्हें आठ-आठ दिन सिंचाई पानी दिया जाए, ताकि किसान नरमा की बिजाई कर सके। सिंचाई विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती है कि वे सिंचाई पानी देने के लिए कोई रास्ता निकालें। पानी के बगैर किसान यहां से नहीं जाएगा। रणजीत सिंह ने कहा कि किसान पिछले साल मुख्य अभियंता के साथ हुए समझौते को लागू करवाने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं। किसान पानी लेकर ही यहां से जाएगा। उन्होंने कहा कि किसान एक सप्ताह से सिंचाई विभाग कार्यालय के सामने पड़ाव डालकर बैठे हैं, लेकिन विभाग के अधिकारी हठधर्मिता अपनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि विभाग स्तर पर 8 मई से 850 क्यूसेक शेयर मंजूर करवाया गया है लेकिन इससे किसान सहमत नहीं है। इसके अलावा विभागीय अधिकारियों पर उन्हें विश्वास नहीं है। क्योंकि पहले अधिकारियों ने 25 अप्रैल, फिर एक मई को पानी चलाने की बात कही थी, लेकिन नहीं दिया। अब उन्हें अधिकारियों पर विश्वास नहीं है कि वे 8 मई को 850 क्यूसेक पानी देंगे।

प्रशासनिक अधिकारियों को बीच में बैठाकर मुख्य अभियंता से वार्ता की जाएगी। उन्होंने कहा कि पंजाब से पानी लाना सिंचाई विभाग के अधिकारियों के हाथ में है। पानी लाने का पंजाब रास्ता है क्योंकि बीबीएमबी की बैठक में मुख्य अभियंता राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं। पानी का शेयर निर्धारित करवाना मुख्य अभियंता के हाथ में है। वे चाहते तो एक मई से भी 850 क्यूसेक शेयर मंजूर करवा सकते थे। रणजीत सिंह ने कहा कि इलाके का किसान पहले पटवारी के पास जाता है। गिरदावरी लेकर आता है। फिर ई-मित्र पर जाता है। वहां ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाता है। उसके बाद सरकारी खरीद एजेंसियां उस किसान को मैसेज भेजती हैं। किसान तब अपनी फसल मंडी में लेकर जाता है। वहां उसे बारदाना आवंटित होता है। यहां से कट्टे भरकर फसल वेयर हाउस जाती है। वेयर हाउस वालों को पसंद नहीं आने पर वे वापस भेजे देते हैं, लेकिन पंजाब में जो व्यवस्था है उसके तहत किसान अपनी कृषि जिंस लेकर मंडी जाता है। वहां उसे बारदाना मिल जाता है। कृषि जिंस बेचकर उसी दिन किसान वापस घर आ जाता है, लेकिन राजस्थान का किसान अनावश्यक प्रक्रिया में फंसकर परेशान होकर निजी हाथों में अपनी उपज बेचने को मजबूर हो जाता है। रणजीत सिंह ने कहा कि इस बार आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में है। वह यहां से पानी लिए बिना नहीं हिलेगा।

गुरवीर सिंह बराड़ ने कहा कि नहरबंदी के कारण लगातार तीन साल से भाखड़ा क्षेत्र में नरमा की बिजाई नहीं हो पा रही है। जब तक सिंचाई पानी दिया जाएगा तब तक बिजाई का समय निकल जाएगा। किसानों की हालत बदतर होती जा रही है। किसानों की सामूहिक मांग है कि 1200 क्यूसेक पानी दिया जाए। सभी संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले एकत्रित होकर आए हैं। किसान पानी लेकर ही जाएगा। इस मौके पर रायसिंह जाखड़, रेशमसिंह, अमित सहू आदि मौजूद रहे। मौके पर डीएसपी रमेश माचरा, जंक्शन थाना प्रभारी नरेश गेरा, टाउन थाना प्रभारी दिनेश सारण, महिला थाना प्रभारी मोनिका बिश्नोई और सदर थाना प्रभारी लखवीर सिंह गिल के नेतृत्व में पुलिस टीम तैनात रही।