बूंदी ब्यूरो रिपोर्ट।  

एक तरफ सरकार महंगाई राहत शिविर लगाकर लोगों को राहत देने का प्रयास करने जा रही है, दूसरी तरफ जिला अस्पताल में 18 अप्रैल से फ्री सिटी स्कैन बंद हो चुका है। अस्पताल में ही मरीजों से एक सिटी स्कैन के 1100 रुपए लिए जा रहे हैं। अस्पताल के डॉक्टर 25 से 30 रोगियों को प्रतिदिन सिटी स्कैन लिखते हैं।

रोगी सीटी स्कैन की पर्ची लेकर एक्सरे वाले स्टाफ से रजिस्ट्रेशन नंबर लगवा कर सिटी स्कैन सेंटर पर आता है तो यहां उससे आधार कार्ड, जन आधार की कॉपी ली जा रही है, लेकिन जैसे ही पैसे से सिटी स्कैन होने की बात कही जाती है तो रोगी व तीमारदार परेशानी में पड़ जाते हैं।

हालांकि उन्हें बाहर लगे नोटिस दिखाया जाता है। कुछ रोगियों के साथ आने वाले तीमारदार तो उलझने की कोशिश भी करते हैं, लेकिन वहां मौजूद कर्मचारी उन्हें भुगतान नहीं होने के कारण फ्री सिटी स्कैन बंद होने की बात कहते हैं। जिले के सबसे बड़े अस्पताल में पीपीपी मोड पर सिटी स्कैन सेंटर संचालित है।

यहां आने वाले रोगियों की फ्री में सिटी स्कैन की जाती है, लेकिन 1 अप्रैल 2022 से सरकार द्वारा संचालित होने वाली कंपनी को भुगतान नहीं किया गया। एक साल का 41 लाख से अधिक भुगतान बकाया है। भुगतान नहीं आया तो कंपनी ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए और बाहर नोटिस चस्पा कर दिया, जिसमें लिखा हुआ है कि सरकार द्वारा फ्री सिटी स्कैन का पैसा नहीं दिए जाने के कारण सभी तरह की सिटी स्कैन जांचें बंद की जा रही हैं। अब पैसा दिए जाने पर ही रोगी की सिटी स्कैन जांच की जाएगी।

मरीजों की पीड़ा : फ्री सोचकर आया था, पता चला अब फीस लगेगी

नैनवां रोड निवासी किशनगोपाल ने बताया कि डॉक्टर ने सीने की सिटी स्कैन लिखी थी। शुरू से यही पता था कि अस्पताल में निशुल्क सिटी स्कैन होती है। यहां आने पर पता चला कि फ्री बंद हो गई है और 1100 रुपए देने पड़ेंगे। इतने रुपए तो मेरे पास उस समय नहीं थे। बाद में घर से पैसे मंगवाकर सिटी स्कैन करवाई।

गणेशपुरा के शिवप्रकाश ने बताया कि रिश्तेदार को यहां डॉक्टर को दिखाया तो उसने सोनोग्राफी व सिटी स्कैन दोनों लिखी। न तो सोनोग्राफी ही हो सकी और न ही सिटी स्कैन। बाजार में पता किया तो सिटी स्कैन के 1500 रुपए बताए। फिर यही सोचा कि कम से यहां 400 रुपए तो बचेंगे। जांच निशुल्क सोचकर आया था।

सेंटर प्रतिनिधि बोले

एक साल में 41 लाख के भुगतान नहीं होने पर फ्री सेवा बंद की गई

सिटी स्कैन सेंटर प्रतिनिधि यश सैनी, रोहित शर्मा ने बताया कि पिछले एक साल से भुगतान बकाया चल रहा है। कोरोनाकाल में भी निशुल्क सिटी स्कैन हुई थी। करीब 41 लाख रुपए बकाया चल रहे हैं। भुगतान के लिए 3 बार जिला अस्पताल प्रशासन को को-ऑर्डिनेटर के माध्यम से अवगत करवाया जा चुका है। भुगतान नहीं होने की स्थिति में फ्री सेवा बंद कर दी गई है। एचआर सिटी के 800 रुपए, सिर, पेट और अन्य सिटी स्कैन के लिए 1100 रुपए लिए जा रहे हैं।

इन सभी योजनाओं पर भी सीधा असर
मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना के कार्डधारियों को भी सिटी स्कैन की निशुल्क सुविधा नहीं मिल पा रही है। इसी तरह पेंशनधारी, दिव्यांग, सीनियर सिटीजन, खाद्य सुरक्षा योजना, बीपीएल कार्डधारी, अन्नपूर्णा योजना के पात्रों को भी यह सुविधा नहीं मिल रही है।

फ्री सिटी स्कैन दोबारा चालू करने की लोकसभा स्पीकर से मांग
सामाजिक कार्यकर्ता माधवप्रसाद विजयवर्गीय ने इस संबंध में लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखकर अवगत करवाया है। विजयवर्गीय ने कहा कि यहां पूरे जिले से राेगी आते हैं। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज करवाई है। सरकार ने मुख्यमंत्री चिरंजीवी बीमा योजना

सरकार को बजट देने के लिए लिखा है : पीएमओ
सरकार द्वारा भुगतान नहीं किए जाने से संचालक ने फ्री सिटी स्कैन बंद कर दी है। फ्री सेवा सुचारू रहे, इसके लिए सरकार को बजट देने के लिए लिखा है। बजट आते ही कंपनी को भुगतान कर दिया जाएगा। आधार और जन आधार कार्ड लिए जाने के मामले की जानकारी ली जाएगी। -डॉ. प्रभाकर विजय, पीएमओ