जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान हाईकोर्ट ने विधवा पुत्रवधु को भी विधवा पुत्री के समान ही निर्भर की श्रेणी में मानते हुए अनुकंपा नियुक्ति का अधिकारी माना है। जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश सुशीला देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुनील समदरिया ने बताया कि याचिकाकर्ता की सास पीडब्ल्यूडी में कुली के पद पर कार्यरत थी। 2007 में काम करते हुए उसकी मृत्यु हो गई थी। इस पर उसके बेटे और याचिकाकर्ता के पति ने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। इस पर कोई फैसला होता इससे पहले ही 2008 में याचिकाकर्ता के पति की भी मृत्यु हो गई। इस पर याचिकाकर्ता ने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन किया लेकिन विभाग ने 19 मार्च,2009 के पत्र से याची को निर्भर की श्रेणी में मानने से इंकार करते हुए अनुकम्पा नियुक्ति देने से इंकार कर दिया। जबकि नियमों में निर्भर सदस्य का हवाला है ना कि परिवार का। याची और उसका दिवंगत पति अपने तीन बच्चों के साथ आर्थिक रूप से अपनी दिवंगत सास पर ही निर्भर थी। ऐसे में याची नियमों के अनुसार निर्भरता की श्रेणी में आती है और अनुकम्पा नियुक्ति की हकदार है।कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा है कि विधवा पुत्री के समान ही विधवा पुत्रवधु भी अनुकम्पा नियुक्ति की हकदार है। कोर्ट विभाग के 19 मार्च,2009 के पत्र को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता की अनुकम्पा नियुक्ति पर 30 दिन विचार करने और सभी लाभ देने के आदेश दिए हैं।