करौली-विनोद कुमार जांगिड़।
करौली जिले की पंचायत समिति सपोटरा से भाजपा समर्थित निर्वाचित प्रधान कमली देवी को राज सरकार के द्वारा निलंबित किया गया है। जिसका कारण कर्तव्य के प्रति लापरवाही, संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करने में असफल और राज सरकार द्वारा जारी की गई राशि को नियमानुसार खर्च नहीं करना बताया गया है। बता दें, कि पंचायत समिति सपोटरा से भाजपा प्रत्याशी के रूप में निर्वाचित हुई प्रधान कमली देवी को बुधवार को राज्य सरकार के द्वारा आदेश जारी कर निलंबित करने की कार्यवाही की गई है।
जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी महावीर प्रसाद नायक ने जानकारी देते हुए बताया कि पंचायत समिति सपोटरा के प्रधान पद पर भाजपा प्रत्याशी के रूप में निर्वाचित हुई कमली देवी को उपायुक्त एवं शासन उप सचिव (जांच) ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग राजस्थान जयपुर के आदेश क्रमांक एफ.3  (25) परावि /जांच / करौली /22/46 दिनांक 4 जनवरी 2023 के द्वारा निलंबित करने के फलस्वरुप प्रधान पद का चार्ज उप प्रधान पंचायत समिति सपोटरा का पद समान श्रेणी का होने के कारण कमलेशी देवी उपप्रधान को तत्काल प्रभाव से प्रधान पंचायत समिति सपोटरा के पद का कार्यभार दिया गया है। कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व कमलेशी देवी को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। 4 जनवरी 2023 बुधवार को अचानक से प्रधान कमली देवी के निलंबित के आदेश जारी होने के तुरंत बाद देर शाम को बिना कोई देरी किए उपप्रधान कमलेशी देवी को प्रधान पद की शपथ ग्रहण करवाने और शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद कमलेशी देवी के द्वारा कार्यभार ग्रहण करने का घटनाक्रम देखने को मिला है। इतना ही नहीं निर्वाचित प्रधान कमली देवी के नाम को भी कार्यभार ग्रहण करने के तुरंत बाद मिटा दिया गया। इस प्रकार अचानक से सब कुछ बदलने से लोगों के द्वारा सपोटरा की राजनीति के लिए इसे बड़ा घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है। इधर कांग्रेस समर्थित उप प्रधान कमलेशी देवी के प्रधान पद की शपथ लेने के बाद कार्यभार ग्रहण करने के दौरान कांग्रेस समर्थकों में जबरदस्त खुशी का माहौल नजर आया और एक दूसरे को मिठाई खिलाते हुए नजर आए। अचानक से निलंबित करने पर प्रधान कमली देवी ने बताया कि मेरे ऊपर लगाए गए सारे आरोप मनगढ़ंत और निराधार है। जबकि मेरे द्वारा पूर्व में अनेकों बार साधारण सभा की मीटिंग करवाने के लिए पत्र लिखे जा चुके हैं।इतना ही नहीं मैंने अनेकों बार विकास अधिकारी से लेकर शासन सचिवालय तक और पंचायती राज मंत्री रमेश चंद मीणा और मंत्री राजेंद्र गुढा को अनेकों बार पत्र के माध्यम से अवगत करवाया है कि साधारण सभा की मीटिंग आयोजित करवाई जाए और विकास कार्यों को स्वीकृत करवाया जाए परंतु राजनीतिक द्वेषता के कारण ना तो विकास कार्यों की स्वीकृति करवाई ना ही साधारण सभा की मीटिंग होने दी और 1 साल के कार्यकाल में 1 दर्जन से अधिक विकास अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है। मुझे न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास है जीत सत्य की होगी।