चित्तौड़गढ़-गोपाल चतुर्वेदी।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गत माह 28 नवंबर को सभी सरकारी विद्यालयों कक्षा 1 से 8 तक की कक्षाओं में अध्ययनरत छात्र छात्राओं के लिए बाल गोपाल योजना का शुभारंभ किया था। जिसमें सप्ताह में दो बार बच्चों को दूध का वितरण किया जा रहा है। जिसमें आज मानपुरा सहित अन्य विद्यालय संस्था प्रधान इस योजना को लेकर ज्यादा उत्साहित दिखाई नहीं दिए और सवेरे 11.30  बजे तक इस योजना के अंतर्गत मिलने वाले दूध को तैयार नहीं किया गया, जिस पर शिक्षा अधिकारी की ओर से नाराजगी भी प्रकट की गई। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 28 नवंबर को पूरे प्रदेश में बाल गोपाल योजना का शुभारंभ किया। जिसमें कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को सप्ताह में दो बार मिल्क पाउडर से बने दूध वितरण किया जाना है, जिसमें आज शुक्रवार होने के चलते विद्यालयों में दूध का वितरण किया गया। इसी को लेकर  जिला मुख्यालय के समीप मानपुरा माध्यमिक विद्यालय सहित अन्य विद्यालयों में जानकारी ली तो पाया कि सवेरे 11:30 बजे तक बच्चों के लिए दूध बनकर तैयार नहीं हुआ है। वही कुछ संस्था प्रधानों को बाल गोपाल दूध योजना के नियम तक पता नहीं थे कि दूध कब बनाकर बच्चों में वितरित करना है। मानपुरा माध्यमिक विद्यालय के संस्था प्रधान शक्ति सिंह से जब इसके बारे में जानकारी प्राप्त की गई तो उन्होंने बताया कि लंच तक दूध का वितरण कर दिया जाएगा। जबकि नियमानुसार सभी संस्था प्रधानों को प्रार्थना के समय कक्षा एक से आठवीं तक के सभी बच्चों को दूध का वितरण करना आवश्यक है। जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक राजेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि पूरे जिले में करीब 1800 विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने स्वीकार किया कि अभी तक मुख्यमंत्री की इस महत्वकांक्षी बाल गोपाल योजनाओं मे कई जगहों पर बच्चों को दूध बनाकर समय पर उपलब्ध नहीं करवाने की शिकायतें मिल रही है। इसके लिए दूध वितरण दिवस के दिन विशेष टीमें बनाकर औचक निरीक्षण करवाया जाएगा और जो भी संस्था प्रधान इसमें दोषी पाया जाता है उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि इस योजनाओं को शुरू हुए डेढ़ महीने से अधिक का समय बीत चुका है। लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की यह महत्वकांक्षी बाल गोपाल योजना सरकारी विद्यालयों के संस्था प्रधानों की लापरवाही और  उदासीनता के चलते पूरी तरह से धरातल पर नहीं उतर पाई है। इस कारण विद्यालय में अध्ययनरत कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को समय पर दूध का वितरण नहीं हो पा रहा है। जिसके लिए जिला प्रशासन को और सख्ती के साथ इस योजनाओं को धरातल पर लाने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है।