जैसलमेर-मनीष व्यास।
जैसलमेर में पहली बार नारी शक्ति के बहु आयामी सशक्तिकरण, आर्थिक उत्थान एवं सामाजिक सुरक्षा को लेकर जिला कलक्टर टीना डाबी द्वारा शुभारंभ किया गया नवाचार ‘‘जैसाण शक्ति (लेडिज फस्ट)‘‘ जिले में रंग ला रहा है। महिला स्वास्थ्य को लेकर शुरू हुए नवाचार में जिला कलक्टर के निर्देशों पर जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में विशेष अभियान चलाया गया इसके तहत् बालिकाओं एवं महिलाओं को माहवारी चक्र के विषय पर जानकारी प्रदान की गयी। साथ ही विशेषतः ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ घूँघट प्रथा है, उन महिलाओं को जागरूक कर माहवारी सम्बन्धी समस्याओं पर निःसंकोच बात करने तथा निःशुल्क सेनेटरी नेपकिन प्राप्त कर उपयोग करने पर चर्चा की गयी।
जिला कलक्टर के निर्देशों की पालना में महिला स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने के लिए अभियान की शुरूआत महिला स्वास्थ्य को लेकर पूरे जिले में एक साथ एक ही दिवस में सभी आगंवाडी केन्द्रों पर की जाकर महिलाओ एवं किशोरी बालिकाओ को माहवारी स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के बारे में उनके साथ संवाद किया गया। एक दिवस में इस अभियान के तहत जिले की लगभग 19 हजार महिलाओ एवं बालिकाओ  को माहवारी तथ्य  माहवारी प्रबंधन के उत्पाद, माहवारी के दौरान इस्तेमाल किये जाने वाले सनातारी नैपकिन कहा से प्राप्त किये जा सकते है, माहवारी स्वछता से सेहत के बारे में  जानकारी, माहवारी के दौरान सामान्य शारीरिक सरल समस्याओ का समाधान के बारे में जानकारी के साथ आराम करने एवं पोष्टिक खाना खाने के बारे में जानकारी दी गयी। साथ ही राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना इंदिरा महिला शक्ति उड़ान योजना के बारे में भी जानकारी दी गयी।जैसलमेर आयुर्वेद विभाग की ओर से अनेक आंगनबाड़ी केंद्रों पर आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. हेमतोष पुरोहित, डॉ चम्पा सोलंकी, डॉ कविता मीणा और डॉ चारुलता बेगड़ ने आयुर्वेद के मतानुसार रजस्वला परिचर्या के बारे में किशोरी बालिकाओं व महिलाओं को पूर्ण रूप से जानकारी दी गई। उनके द्वारा बताया गया कि आयुर्वेद मतानुसार महावारी के 3 दिनों में रजस्वला परिचर्या को अपनाना महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए निश्चित ही लाभदायक सिद्ध होता है। लघु एवं रुक्ष आहार का सेवन करना, अपनी भूख से कम/थोड़ा-थोड़ा खाना, ज्यादा पैदल नहीं चलना , भारी काम नहीं करना, सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल नहीं करना, वाहन की सवारी जहां पर रास्ता उबड़-खाबड़ हो - ना करना, मन शांत रखना आदि आचरण करना चाहिए। चावल, जौ, गाय का दूध, गाय का घी, मीठे फल, डोरा मिश्री का सेवन करना एवं तीक्ष्ण, खट्टे, मिर्च मसालों व नमक का उपयोग ना करने से महिला को पूर्ण स्वास्थ्य लाभ मिलता है व महिलाओं में होने वाले हार्माेन इंबैलेंस में मासानुमासिक लाभ मिलता है। उपनिदेशक महिला अधिकारिता अशोक कुमार गोयल ने भी आंगनवाडी केन्द्रों पर आयोजित हुए इस कार्यक्रम का जायजा लिया।