खर्राटे मानव जीवन की एक उत्कृष्टता को प्रभावित करते हैं। भर्राती आवाज घर के अन्य सदस्यों में भय पैदा करती है, नींद नहीं आने देती है। वैसे तो हर इंसान जीवन में यदाकदा खर्राटे लेता रहता है पर कुछ लोगों में यह समस्या गंभीर हो जाती है। कुछ लोगों में तेज आवाज खर्राटे के बाद एक सन्नाटा सा छा जाता है जिसमें सांस पूरी तरह से रुक सी जाती है। ऐसे लोगों को किसी अनुभवी चिकित्सक की राय लेनी चाहिए क्योंकि इन्ही रुकावट वाली स्वास हीनता हो गई है जिसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया कहा जाता है। यह रोग की श्रेणी है और जीवन को खतरे में डाल सकती है।

    खर्राटे आने के कारणों में से एक तो सीधा कमर के बल सोना है। शराब का अत्यधिक सेवन, नींद की कमी और नाक की कई बीमारियां खर्राटों के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। मुंह की बनावट भी एक कारण हो सकता है। कारण कोई भी हो पर खर्राटों से निवारण हर कोई चाहता है फिर चाहे वह भुक्तभोगी हो या उसके परिवार के सदस्य। कुछ लोगों का मानना है कि यदि मुख पर सोते समय कोई टेप लगा दी जाए तो खर्राटे या तो बंध हो जायेंगे या फिर बहुत कम। यह कदम किन्ही लोगों का व्यक्तिगत अनुभव हो सकता है पर चिकित्सा विज्ञान में इस तरह का कोई सुझाव अभी तक स्वीकृत नहीं हुआ है। लंबे समय तक टेप लगा कर रखने से मुख के चारों तरफ त्वचा को नुकसान हो सकता है।

    जहां तक सांस लेने की बात है तो नाक द्वारा लिया स्वास ही स्वास्थकर होता है। नाक हवा से एलर्जी करने वाले कणों को शरीर के अंदर प्रविष्ट होने से रोकता है, हवा को नम बनाता है। नाक से स्वास लेने से रक्तचाप कम होता है क्योंकि यह क्रिया हमारी घबराहट और बेचैनी को कम करती है, मुख का सूखापन नहीं होने से मन भी प्रसन्न रहता है। खर्राटे आने का एक बड़ा कारण मुख से स्वास लेना होता है।

    अभी तक खर्राटों का निश्चित इलाज विकसित नहीं हुआ है पर फिर भी कुछ कदम सहायक हो सकते हैं। एक तो कमर या पेट के बल नहीं सोना चाहिए। सदा करवट के बल ही सोना चाहिए और उसमें भी बाईं करवट नीचे की तरफ रख कर सोना बेहतर होता है। दूसरे, अपने नाक की जांच अच्छी तरह करवानी चाहिए ताकि दोनों नासिका नलियों में कोई रुकावट न हो। तीसरे, अत्यधिक शारीरिक वजन भी खर्राटों का एक बड़ा कारण होता है। आखिर में, रात का खाना हल्का होना चाहिए, शराब का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए और सोने से पहले नाक को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए।