बारां-हंसपाल यादव।
आमजन को जैसी आशंका थी वहीं हुआ। बारिश के कारण रावण दहन का कार्यक्रम फीका रहा। पुतलों ने आग नहीं पकड़ी। पहले की तरह आतिशी नजारें भी नहीं हो पाए। केवल रावण आंखें टिमटिमाता रहा। पुतले धुंआ-धुंआ होते रहे। दर्शकों में इसको लेकर कोतूहल बना रहा। भीड भी कम ही रही। लेकिन मौके पर सभी पहले अमंजस में थे। फिर उत्साहित नजर आए। सुबह से ही आसमान मे बादलों की आवाजाही बनी रही। हल्की बूंदाबांदी, दिन में हल्की बारिश फिर शाम को 6.30 बजे तेज बारिश से शहर तरबतर हो गया। इधर, दशहरा पर्व मनाने को लेकर की तैयारियों को बारिश ने धो दिया। निर्धारित समय पर रावण दहन नहीं हो सका। बारिश के कारण जहां हजारों की संख्या में लोग रावण दहन देखने पहुंचते थें, वहीं यह संख्या महज 300 से 400 लोगों में सिमट कर रह गई। रावणजी का चौक में शाम 5 बजे से लोगों की आवाजाही प्रारंभ हो जाती है। लेकिन मौसम खराब होने से या तो लोगों ने रावण दहन देखने का कार्यक्रम टाल दिया। या फिर बच्चो की जिद पूरी करने लिए कुछ समय के लिए पहुंचे। बारिश से दशहरा मैदान में पानी भर गया। टेंट, रावण, मेघनाथ व कुंभकर्ण के पुतले बारिश से भीग गए। जिससे नगर परिषद प्रशासन व आयोजन समिति असमंजस में रही। रात 7.30 बजे तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका।हालांकि 7 बजे बाद बारिश थम गई और आंशिक बूंदाबांदी जारी रही। इस दौरान झांकियां आदि भी पहुंचने में भी विलंब हो गया। इस दौरान रावण पूजन की रस्म की गई। लगभग 7.45 बजे झांकियों के पहुंचने पर रावण दहन की तैयारियां प्रारंभ की गई। लेकिन बारिश में भीगने के कारण पुतले आग नहीं पकड़ पाए और धुंआ होता रहा। इस दौरान बारिश थमने से दर्शकों की भीड़ उमड़ आई।
टिमटिमता रहा आंखें।
मंगलवार को रात को ही रावण, मेघनाथ व कुंभकर्ण के पुतले दहन स्थल पर खड़े करने का सिलसिला शुरू कर दिया था। बुधवार को शाम 4 बजे तक पुतलों में लाईटिंग आदि कर दी गई थी। जिससे अंधेरा होते ही रावण ने आंखे टिमटिमाना शुरू कर दिया था। बच्चों और बड़ों के लिए यह आकर्षण का केंद्र रही। रंगीन रोशनी में समूचा परिसर नहा उठा। भीगे मौसम मे यहां का नजारा और भी खूबसूरत हो गया।