चित्तौड़गढ़-गोपाल चतुर्वेदी।
चित्तौड़गढ़ जिले के गंगरार तहसील में संचालित हो रही मेवाड़ यूनिवर्सिटी अब छात्रों की आत्महत्या स्थली साबित हो रही है। जिसमें आज एक बार फिर से एक कश्मीरी छात्रा आफरीन फिरदोस ने यूनिवर्सिटी परिसर में संचालित हो रहे गर्ल्स हॉस्टल के कमरा नंबर 2 में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जिसका शव जिला राजकीय चिकित्सालय की मोर्चरी में रखवाया गया है। वही गंगरार थाना पुलिस घटना की सूचना मिलने पर मेवाड़ यूनिवर्सिटी पहुंची और पूरे मामले की जानकारी ली, वही छात्रा के परिजनों कि आने पर ही छात्रा का पोस्टमार्टम करवाया जाने की कार्रवाई होगी। जानकारी के अनुसार विगत कई वर्षों से चित्तौड़गढ़ जिले के गंगरार तहसील में मेवाड़ यूनिवर्सिटी संचालित की जा रही है। जिसमें प्रतिवर्ष तीन से चार छात्र-छात्राएं हॉस्टल परिसर में  आत्महत्या करते आ रहे हैं। वही यूनिवर्सिटी प्रशासन अपने रुतबे के दम पर पूरे मामले को रफा-दफा करता रहा है। आज फिर आत्महत्या करने के क्रम में बीआईआरटी रेडियोलॉजिस्ट की थर्ड सेमेस्टर में अध्ययनरत 21 वर्षीय एक कश्मीरी छात्रा आफरीन फिरदोस ने अल सवेरे मेवाड़ यूनिवर्सिटी परिसर में संचालित हो रहे गर्ल्स हॉस्टल के कमरा नंबर 2 में फांसी पर लटक कर आत्महत्या कर ली। जब इसकी जानकारी हॉस्टल वार्डन ने यूनिवर्सिटी प्रशासन के अधिकारियों को दी तो अधिकारियों ने गंगरार थाना पुलिस को इसकी सूचना दी और छात्रा के शव को जिला चिकित्सालय की मोर्चरी में रखवाया साथ ही छात्रा के परिजनों को भी इसकी सूचना दी गई है। जानकारी में सामने आया है कि इस यूनिवर्सिटी में विदेशी और देशी छात्र-छात्राओं को विभिन्न तरह के डिप्लोमा कोर्स करवाए जाते हैं और अपने रुतबे के दम पर यूनिवर्सिटी प्रशासन इस तरह की घटनाओं को दबाने में कामयाब होता रहा है। कुछ महीनों पूर्व भी एक कश्मीर छात्र ने हॉस्टल परिसर में ही आत्महत्या की थी और आज एक बार फिर से कश्मीरी छात्रा ने फांसी के फंदे पर लटककर अपनी जीवन लीला समाप्त की है। इससे पूर्व भी कई छात्र छात्राओं ने हॉस्टल परिसर में ही अलग अलग तरीके से अपनी जीवन लीला समाप्त की है। मेवाड़ यूनिवर्सिटी प्रशासन किसी न किसी तरह से इन मामलों को दबाने में कामयाब रहा है। लेकिन स्थानीय पुलिस भी आत्महत्या के कारणों का पता लगाने में अभी तक नाकाम साबित हुई है। अब यह एक सोचनीय प्रश्न है कि आखिर ऐसे क्या कारण है कि देशी और विदेशी छात्र छात्राओं के परिवार जन जो यहां पर मोटी फीस भरकर अपने बच्चों का भविष्य बनवाने के लिए इस यूनिवर्सिटी में दाखिला दिलाते है और कुछ ही साल के बाद वह अपने बच्चों को खो देते हैं। इसकी जांच करना आवश्यक है कि किन हालातों में छात्र-छात्राओं ने आत्महत्या की है।इस मामले में भी कहीं ना कहीं यूनिवर्सिटी प्रशासन मामले को दबाने की प्रक्रिया में जुट गया है। इस घटनाक्रम के बाद एक बार फिर से चर्चाओं का बाजार गर्म है कि यूनिवर्सिटी यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ ठोस कार्रवाई कब की जाएगी और कब उन छात्र-छात्राओं को न्याय मिलेगा जो अपना भविष्य बनाने के लिए आए थे लेकिन इस दुनिया को छोड़ कर चले गए हैं।