जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
विधानसभा में 'राइट टू हेल्थ' बिल पर बहस के दौरान ओसियां से कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने चिरंजीवी योजना में प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी के मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा। दिव्या ने जोधपुर जिला प्रशासन को फेल बताते हुए अधिकारियों को निशाने पर लिया।दिव्या मदेरणा ने कहा कि आज हम 'राइट टू हेल्थ' की बात कर रहे हैं, दूसरी तरफ हमारी चिरंजीवी योजना की प्राइवेट अस्पताल धज्जियां उड़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री के क्षेत्र में चिरंजीवी योजना प्रशासन के फेल्योर की वजह से मुंह के बल गिरती है। दिव्या ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर के 890 अस्पताल चिरंजीवी योजना में रजिस्टर्ड हैं, लेकिन आपने जोधपुर में देखा होगा कैसे प्राइवेट अस्पताल ने पैसे वसूले। प्राइवेट अस्पताल वाले जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे मरीज के परिजनों से कन्सेंट साइन करवा लेते हैं कि उन्हें चिरंजीवी योजना का फायदा नहीं लेना। उस वक्त आदमी जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा होता है तो परिजन पैसा जमा करवा देते हैं। यह जोधपुर में हुआ और भी कई जगह हो रहा है। चिरंजीवी में इलाज कवर होते हुए भी पैसा वसूला जा रहा है।
'मंत्रीजी, सुन रहे हैं क्या?
दिव्या ने स्वास्थ्य मंत्री से कहा कि मंत्रीजी, सुन रहें हैं क्या? जोधपुर प्रकरण में विशेष रूप से कहना चाहती हूं। मुख्यमंत्री के क्षेत्र में चिरंजीवी योजना मुंह के बल गिर जाती है। कलेक्टर की, प्रशासन की विफलता से गिरती है।
दादागरी करने वाले अस्पतालों का इंपेनलमैंट कैंसिल कीजिए।
दिव्या ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री सदन में बयान दें तो ऐसे प्रशासनिक फैल्योर पर सख्त एक्शन लें। जोधपुर मेटर पर आप के कथित जवाब पर उस अफसर को सस्पेंड कीजिए। आपके जवाब में प्राइवेट अस्पताल का स्टेटमेंट लिखकर जांच के नाम पर भेजा है, वह सीएमएचओ की जांच नहीं है। सीएमएचओ अस्पताल का कथन जांच रिपोर्ट के नाम पर लिख रहा है तो हमारा प्रशासन क्या कर रहा है। दिव्या ने कहा कि एक उदाहरण सेट कीजिए, ऐसी दादागिरी करने वाले अस्पतालों का इंपेनलमेंट कैंसिल कीजिए, जैसा सीकर में सीकर कलेक्टर ने किया। अगर कलेक्टर नहीं करवा रहा तो आप कीजिए। सरकार का विधायक प्रशासन की वजह से मजबूर हो जाता है। दिव्या ने कहा कि हम गरीब की आवाज बनने सदन में आए हैं। चिरंजीवी योजना गरीब के लिए, आम आदमी के लिए लाने का हम दावा करते हैं। निराश्रित के लिए योजना है, तो क्या चिरंजीवी योजना का फायदा दिलाने हर बार विधायक को आना पड़ेगा। क्या हम संवेदनशील होकर काम नहीं कर सकते।

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