झालावाड़-हरिमोहन चोडॉवत।
झालावाड़ जिले के झालरापाटन स्थित झालावाड़ बारां जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ डेयरी बंद होने की कगार पर आ गया है। झालावाड़ डेयरी करीब 17 करोड़ के घाटे में चल रही है। ऐसे में करोड़ों रुपयों की देनदारियों होने और दुग्ध उत्पादकों को भुगतान नहीं होने के चलते दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों ने दूध देना बंद कर दिया है। इसके चलते कई दूध उत्पादों का उत्पादन यहां बंद हो गया है। डेयरी प्रबंधन के अधिकारियों का कहना है कि डेयरी के बॉयलर में कुछ तकनीकी खराबी आ गई थी। जिसके चलते शटडाउन लेना पड़ा है। लेकिन सारा मामला करोड़ों रुपए के घाटे से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। गौरतलब है कि वर्ष 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने झालावाड़ एवं बारां जिले के दुग्ध उत्पादकों के हित में इस डेयरी की स्थापना करवाई थी तब से ही यह डेयरी यहां पर संचालित है। वर्ष 2010 में भी कुछ कारणवश इसे बंद कर दिया गया था। लेकिन बाद में दिसंबर 2015 में अतिरिक्त बजट देकर एवं मशीनरी दिला कर फिर से इसी शुरू करवाया गया। लेकिन लगातार कर्ज का भार बढ़ते जाने और दूध का उत्पादन कम होने के कारण लागत के मुकाबले आय कम बनी रही। जिसके चलते डेयरी फेडरेशन फिलहाल यहां से दूध का उत्पादन बंद करवा कर कोटा भेज रहा है।फिलहाल यहां पैकेजिंग व प्रोसेसिंग का काम पूरी तरह बंद चल रहा है। झालावाड डेयरी के खस्ताहाल होने व दूध उत्पादन बंद होने के बाद झालावाड़ बारां लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी रहे प्रमोद शर्मा ने यहां की व्यवस्थाओं का जायजा लिया और सारे मामले की रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी है। जहां से जल्द ही इसका संचालन सुचारू करने का आश्वासन मिला है ।
तो वहीं सारे मामले में झालावाड़ जिला कलेक्टर डॉ भारती दीक्षित ने बताया कि झालावाड़ डेयरी की काफी देनदारियों थी। जिसके कारण थी ये घाटे में थी और वर्तमान में इसके बॉयलर में भी तकनीकी खराबी आई जिसके चलते दूध उत्पादन बंद हुआ।अब इसी कारण से दूध कोटा भेजा जा रहा है और वहीं से पैकिंग और प्रोसेसिंग हो रही है प्रशासन प्रयास कर रहा है कि जल्द ही तकनीकी खराबी दुरुस्त करवाई जाए तो साथ ही इसकी देनदारियों निपटाने के लिए भी उचित स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। जिससे यह डेयरी वापस पटरी पर आ सके और दुग्ध उत्पादको का खोया हुआ विश्वास वापस लौटाया जा सके।

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