जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से आयोजित सहायक जनसम्पर्क अधिकारी सीधी भर्ती परीक्षा 2021 में पदों की संख्या बढ़ाने की मांग तेज होने लगी है। साथ ही कई अभियार्थी प्रश्नों की समस्या को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने गहलोत सरकार और कर्मचारी चयन बोर्ड से जबाब तलब किया है। बदहाल फिलहाल एपीआरओ भर्ती परीक्षा अटकती हुई नजर आ रही है। हालांकि कर्मचारी चयन बोर्ड बिना कोई टेंशन के सफल अभियार्थियो के डाक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन करने का कार्य भी कर रहा है।
दरअसल सरकार की ओर से करीब 9 साल बाद निकाली गई इस भर्ती में पदों की संख्या 76 रखी गई थी। पदों की संख्या 150 करवाने की मांग को लेकर अब अभ्यर्थियों ने शासन से लेकर प्रशासन तक न्याय की गुहार लगाई। यहा तक की खुद जनसपंर्क मंत्री अशोक चांदना और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी न्याय की गुहार लगाई। लेकिन मीडिया फ्रेंडली माने जाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी बेरोजगार पत्रकारों की एक ना सुनी। दूसरी तरफ सुनने मे यह भी आ रहा है कि बुधवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सघर्षरत बेरोजगार पत्रकारों की समस्या के लिए जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों से चर्चा करते हुए पदो को बढाने और हाल ही मे हुई भर्ती मे ही पदो को जोड़ते हुए दुबारा से रिजल्ट जारी करने का मन बना लिया था। लेकिन मुख्यमंत्री जी को बार बार निचे झुकाने वाले उनके खासमखास एक आदमी ने ही टेक्नीकल इश्यू बताते हुए मुख्यमंत्री का मन बदल दिया। इससे साफ हो गया है कि यह एपीआरओ भर्ती कोर्ट मे तो अटकेगी ही। साथ ही जो पत्रकार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना मीडिया फ्रेंडली समझते हैं उनके मन मे भी दरार डालने जैसी बात निकल कर आ गई है। बरहाल मुख्यमंत्री को सोच समझकर बेरोजगार पत्रकारों के लिए अपने दिमाग से काम करते हुए कोई निश्चित ही और जल्द ही उचित कदम उठाना चाहिए।
अभियर्थियों ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा।
सरकार के नही सुनने के बाद और कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा कराये गये  इग्जाम मे विवादित प्रश्न आने के बाद अभियार्थियो ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका के अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने एपीआरओ के 76 पदों पर गत 24 नवंबर को भर्ती निकाली थी। जिसकी लिखित परीक्षा गत 24 अप्रैल को आयोजित की गई। वहीं बोर्ड की ओर से मॉडल उत्तर कुंजी जारी कर अभ्यर्थियों से आपत्तियां मांगी। जिस पर याचिकाकर्ता ने आधा दर्जन सवालों के जवाबों पर अपनी आपत्ति पेश की। लेकिन बोर्ड ने आपत्ति का सही ढंग से निस्तारण नहीं किया और याचिकाकर्ता के जवाबों को गलत माना। जिसके चलते याचिकाकर्ता चयन से वंचित रह गया। याचिका में मान्यता प्राप्त पुस्तकों का हवाला देते हुए कहा गया कि बोर्ड ने कुछ सवालों के जवाब गलत जांचे हैं। ऐसे में विवादित प्रश्नों की जांच के लिए विषय विशेषज्ञों की कमेटी बनाई जाए और पेपर सेटर को ब्लैकलिस्ट किया जाए।याचिका में यह भी गुहार की गई है कि बोर्ड की ओर से जारी परिणाम को रद्द कर कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर नए सिरे से परिणाम जारी किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
यह है पूरा मामला।
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से आयोजित सहायक जनसम्पर्क अधिकारी सीधी भर्ती परीक्षा 2021 में पदों की संख्या बढ़ाने की मांग तेज होने लगी है। सरकार की ओर से करीब 9 साल बाद निकाली गई इस भर्ती में पदों की संख्या 76 रखी गई है।पदों की संख्या 150 करवाने की मांग को लेकर अब अभ्यर्थियों ने सरकार से मांग तेज कर दी है। मांग को लेकर शासन से प्रशासन तक बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने पद बढ़ाने की मांग की।

9 साल बाद निकाली गई है भर्ती।
साल 2013 के बाद करीब 9 साल के लम्बे इंतजार के बाद सरकार की ओर से सहायक जनसम्पर्क अधिकारी भर्ती निकाली गई है। सरकार की ओर से पदों की संख्या 76 रखी गई है। ऐसे में लंबे इंतजार के बाद निकाली गई इस भर्ती में पदों की संख्या को ऊंट के मुंह में जीरा करार दिया जा रहा है। 76 पदों पर निकाली गई इस भर्ती में बोर्ड को करीब 6 हजार से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए थे और परीक्षा में 4 हजार 118 अभ्यर्थी शामिल हुए थे।

150 पदों पर भर्ती निकालने की मांग 
वहीं भर्ती परीक्षा में शामिल हुए अभ्यर्थियों का कहना है कि 9 साल के बाद निकाली गई इस भर्ती में पदों की संख्या बहुत कम रखी गई है, क्योंकि 9 साल से इस भर्ती का इंतजार कर रहे 4 हजार से ज्यादा बेरोजगार परीक्षा में शामिल हुए। सरकार की ओर से अरबों रुपये की योजनाएं चलाई जा रही है, लेकिन इन योजनाओं का प्रचार प्रसार व्यापक स्तर पर नहीं हो पा रहा है। पदों की संख्या कम होने के पीछे कारण है की जब पद सृजित हुए थे उसके बाद से ही पदों का वर्गीकरण नहीं हुआ है, जबकि योजनाओं में व्यापार प्रसार ही हो रहा है, इसलिए सरकार पदों की संख्या को बढ़ाकर 150 करें।

मंत्री अशोक चांदना की भी नही चली।
पदों की संख्या बढ़ाने की मांग कर रहे अभ्यर्थियों ने जनसंपर्क विभाग के मंत्री अशोक चांदना से भी मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा और अपनी समस्याओं को और मांगों को उनके सामने रखा। इस पर मंत्री अशोक चांदना ने संबधित विभाग के प्रमुख शासन सचिव को टिप्पणी लिखते हुए तुरंत पद बढ़ाने के लिए पत्र भी लिखा। लेकिन वहा से भी कोई रेस्पॉन्स नही मिला। साथ ही कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा 25 मई और 26 मई को अब सलेक्ट अभियार्थियो के डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का कार्य भी शुरू कर दिया है और इधर विभाग ने अभी तक पद बढ़ाने का कोई रिस्पांस नहीं दिया है तो इससे साफ जाहिर होता है कि पत्रकारों की समस्याओं और मांगों के निस्तारण में मंत्री अशोक चांदना की कुछ नहीं चल पाई।