केंद्र सरकार की नेशनल माेनेटाइजेशन पाइपलाइन (एनएमपी) के तहत रेलवे की संपत्ति भी प्राइवेट सेक्टर काे लीज पर दी जाएगी। इसके लिए 400 रेलवे स्टेशनों, 1400 किमी ट्रैक, 90 पैसेंजर ट्रेनों, रेलवे के 15 स्टेडियम और कॉलोनियों के साथ ही कोंकण और पहाड़ी रेलवे की पहचान की गई है। रेलवे की ऐसी संपत्ति भी लीज पर दी जाएगी जो फिलहाल किसी उपयोग में नहीं आ रही है।

आगामी 4 साल में रेलवे की संपत्तियों की लीज से 1 लाख 52 हजार 496 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य है। हालांकि मोदी सरकार के इस फैसले का रेलवे यूनियनों ने विरोध शुरू कर दिया है। ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन का कहना है कि रेलवे काे किसी भी हाल में निजी हाथाें में नहीं जाने दिया जाएगा। पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 6 लाख करोड़ रुपए की एनएम पी योजना जारी की थी, जिसमें रेलवे की संपत्ति के 26% योगदान की बात कही थी।

इसके लिए चिन्हित की गई प्रमुख रेल संपत्तियों में कोंकण रेलवे का 741 किलोमीटर लंबा हिस्सा, चयनित रेलवे कॉलोनियां, रेलवे के स्‍वामित्‍व वाले 265 माल गोदाम और चार पहाड़ी रेल भी शामिल हैं। इसके अलावा रेलवे, बिजली से लेकर सड़क जैसे अलग-अलग बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में संपत्तियों का माेनेटाइजेशन किया जाएगा।

रेल देश की जीवन रेखा है। निजी हाथों में नहीं जाने देंगे। इसके विरोध में आम जनता को जागरूक कर जन आंदोलन करेंगे। -मुकेश गालव, सहायक महामंत्री, एआईआरएफ

रेलवे में कब क्या बिकेगा

  • वर्ष 2022 से 2025 के बीच 400 रेलवे स्टेशन से सरकार 76250 करोड़ रुपए जुटाएगी।
  • वर्ष 2022 में 40, वर्ष 2023 में 120, वर्ष 2024 में 120 और वर्ष 2025 में 120 रेलवे स्टेशन लीज पर दिए जाएंगे।
  • वर्ष 2023 में 30, 2024 में 30 और वर्ष 2025 में 30 ट्रेन निजी हाथाें में जाएंगी। इससे 21642 करोड़ रुपए जुटाए जाएंगे।
  • वर्ष 2023 से 25 के बीच 1400 किमी लंबा रेलवे ट्रैक निजी हाथाें में जाएगा। इससे 18700 रुपए आएंगे।
  • कोंकण रेलवे का 741 किमी लंबा ट्रैक व अन्य संपत्ति लीज पर दी जाएगी इससे सरकार 7281 करोड़ रुपए प्राप्त कर सकेगी।
  • वर्ष 2023 से 25 के बीच रेलवे के 265 गुड्स शेड लीज पर दिए जाएंगे। इससे सरकार को 5565 करोड़ रुपए मिलेंगे। वर्ष 2023 में 75, वर्ष 2024 में 100, वर्ष 2025 में 90 गुड्स शेड बिकेंगे।
  • 15 रेलवे स्टेडियम भी बेचे जाएंगे। इसमें से वर्ष 2022 में 3, वर्ष 2023 में 5, वर्ष 2024 में 5 और 2025 में 2 स्टेडियम साैंपे जाएंगे।

निजीकरण से किराया समेत अन्य शुल्क बढ़ने की संभावना

  • रेलवे की संपत्ति निजी हाथों में जाने से आम जनता पर सीधा असर पड़ेगा। पैसेंजर ट्रेन निजी हाथों में देने से यात्रा महंगी हो जाएगी।
  • रेलवे स्टेशन के बाहरी क्षेत्र की पार्किंग और महंगी हो जाएगी। प्रीमियम रेट वसूली जाएगी। घंटों के आधार पर पार्किंग की रेट वसूली जाएगी।
  • रेलवे का वेटिंग रूम अभी निशुल्क है। भविष्य में प्रति घंटे किराया वसूला जा सकेगा।
  • रिटायरिंग रूम में रुकना भी महंगा हो जाएगा।
  • रिफ्रेशमेंट स्टॉल पर अभी रेलवे निगरानी रखता है, जिससे अधिक रेट की वसूली नहीं की जा सकती। लेकिन भविष्य में महंगा सामान मिल सकता है।