जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

राजस्थान में 6 लाख कैंडिडेट्स को नौकरी का इंतजार लंबा होता जा रहा है। एग्जाम से लेकर इंटरव्यू तक अटक गए हैं। RAS समेत बड़ी भर्तियों का रास्ता साफ होता नहीं दिख रहा है। संकट के ये ऐसे बादल हैं, जो फाइलों में अटक के रह गए हैं।

पेपर लीक के बाद एक बार फिर से राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी-अजमेर) चर्चा में है। इस बार कारण आरपीएससी मेंबर की नियुक्ति का है। इन नियुक्तियों के चक्कर में प्रदेश की बड़ी भर्तियां तो अटकी ही हुई हैं।

दावा किया जा रहा है कि पहली बार आरपीएससी में ऐसा मौका आया है कि यहां 4 सदस्यों के पद खाली हैं और इसके लिए खुद आयोग के चेयरमैन संजय श्रोत्रिय ने राज्य सरकार को इन पदों को भरने के लिए लेटर लिखा है।

पढ़िए- कैसे इन 4 पदों पर नियुक्ति की वजह से अटकी भर्तियां…

अभी वर्तमान की स्थिति देखें तो चेयरमैन समेत 4 पद भरे हुए हैं। इनमें एक मेंबर बाबूलाल कटारा को सेकेंड ग्रेड अध्यापक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक प्रकरण में एसओजी द्वारा गिरफ्तार किया गया है। इसके बाद केवल 3 सदस्य ही कार्यरत हैं।

इनमें भी एक सदस्य जसवंत राठी गंभीर बीमारी गंभीर रूप से अस्वस्थ हैं। ऐसे में अभी केवल दो मेंबर एक्टिव है। ऐसे में आयोग के खुद के भी दूसरे काम अटके हुए हैं, क्योंकि ये सारे काम फुल बेंच (सभी सदस्यों) की अप्रूवल के बाद ही होते हैं।

चेयरमैन श्रोत्रिय ने पत्र लिखकर रिक्त चल रहे 4 सदस्यों के पद जल्द भरने की मांग की है। इधर, लेटर मिलते ही सरकार भी अलर्ट हो गई है। सूत्रों का कहना है कि यह पद जल्द ही भरे जाने हैं, क्योंकि इनकी वजह से पिछली भर्तियों के इंटरव्यू और मई-जून में होने वाली परीक्षाएं अटकी हुई हैं।

राजस्थान में दो आयोग और नियुक्ति के लिए नियम अलग-अलग

राज्य सूचना आयोग

  • सूचना आयोग में सदस्यों की नियुक्ति के लिए सरकार के प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से विज्ञापन जारी किया जाता है।
  • यदि कोई मेंबर के लिए अप्लाई करना चाहता है तो वह सीधे अप्लाई कर सकता है, लेकिन यदि कोई IAS-IPS इसमें आवेदन करना चाहते हैं तो सरकार से परमिशन लेनी पड़ती है।

राजस्थान लोक सेवा आयोग

  • इसके उलट इसमें सदस्य नियुक्ति के लिए न तो कोई गाइडलाइन है और न ही किसी तरह का स्पष्ट नियम।
  • आरपीएससी में राज्य सरकार जिसे भी चाहे सदस्य या चेयरमैन नियुक्त कर सकती है और इसके लिए विज्ञापन भी जारी नहीं होता। यह फैसला सीएम स्तर पर होता है।

आरपीएससी में ये हैं अभी एक्टिव मेंबर, तीन महीने के लिए भी बन चुके हैं चेयरमैन

वर्तमान में संगीता आर्य, मंजू शर्मा, जसवंत राठी और बाबूलाल कटारा सदस्य हैं। इनमें से संगीता और मंजू कॉलेज व्याख्याता रही हैं। संगीता पूर्व मुख्य सचिव निरंजन आर्य की पत्नी हैं और मंजू कवि कुमार विश्वास की पत्नी हैं। राठी पत्रकार रहे हैं।

एसओजी द्वारा गिरफ्तार किए गए सदस्य बाबूलाल कटारा सांख्यिकी सेवा के अधिकारी रहे हैं।

इससे पहले भी चेयरमैन के पद पर रिटायर्ड आईएएस दीपक उप्रेती, ललित के पंवार, सी. आर. चौधरी और रिटायर्ड आईपीएस भूपेंद्र यादव, हबीब खां गौरान आदि रह चुके हैं। एक बार पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने (2013-2018) के बीच अपने निर्वाचन क्षेत्र झालावाड़ के निवासी श्याम सुंदर शर्मा को चेयरमैन बनाया था, हालांकि उनकी नियुक्ति तीन महीनों के लिए ही हुई थी। लेकिन, 62 साल की उम्र होने की वजह से रिटायर होना पड़ा था।

सदस्यों की कमी के चलते चेयरमैन श्रोत्रिय के सामने कठिन चुनौती खड़ी हो गई है। सूत्रों के अनुसार अगस्त-2022 में आयोग ने प्रदेश की शीर्ष सेवा आरएएस (राजस्थान प्रशासनिक सेवा) का परिणाम घोषित कर दिया था। कुल 988 पदों के के लिए 2 हजार 174 कैंडिडेट को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। लेकिन, मेंबर का कोरम पूरा होने की वजह से ये इंटरव्यू आज दिन तक पूरे नहीं हो पाए।

इसी तरह फरवरी 2022 में 857 पदों पर पुलिस सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया था। इंटरव्यू के लिए ढाई हजार कैंडिडेट का सिलेक्शन हुआ। आयोजन ने इसका प्रोसेस भी शुरू कर दिया, लेकिन ये इंटरव्यू भी आरपीएससी के पूरे मेंबर नहीं होने की वजह से अटकी हुई है। वहीं, मेंबर की नियुक्ति में आरएएस भर्ती-2022, जिसमें करीब 1000 पदों पर भर्ती होनी है, वह भी सरकार और आरपीएससी के बीच अटकी हुई है।

2020 में मेंबर की नियुक्तियों पर झेलनी पड़ी थी आलोचना

साल 2020 में में प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी की सबसे ताकतवर सीट पर बतौर मुख्य सचिव नियुक्त थे निरंजन आर्य। निरंजन आर्य की पत्नी संगीता आर्य को 2008 में सोजत (पाली) से कांग्रेस का टिकट भी दिया गया था। हालांकि वे विधायक का चुनाव हार गई थीं। इसके बाद आर्य के मुख्य सचिव रहते उन्हें आयोग में सदस्य नियुक्त किया गया।

वहीं, कांग्रेस के अध्यक्ष रहे राहुल गांधी पर कविता व चुटकुलों के माध्यम से तंज कसने वाले कवि कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा को भी आयोग का सदस्य बनाया गया था। उन्हीं के साथ बाबू लाल कटारा और जसवंत राठी को भी सदस्य बनाया गया था। इन चारों की नियुक्ति के वक्त गहलोत सरकार को विपक्षी पार्टी भाजपा की खासी आलोचना झेलनी पड़ी थी।

सबसे बड़ी चुनौती: सदस्यों के माध्यम से आयोग व सरकार की छवि को सुधारना

आरपीएससी के सदस्यों और पेपर लीक मामलों में गहलोत सरकार लगातार आलोचना का सामना करना पड़ा। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डी. पी. जारोली को तो खुद सरकार को बर्खास्त करना पड़ा। और, अब आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा को एसओजी ने गिरफ्तार कर लिया। सरकार के मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा कह चुके थे कि पेपर लीक प्रकरण सरकार के सारे अच्छे कामों पर पानी फेर देगा।

इससे पहले माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (अजमेर) के चेयरमैन डॉ. डी. पी. जारोली को सरकार ने बर्खास्त तो कर दिया था, लेकिन 25 लाख अभ्यर्थियों की परीक्षा (26 सितंबर-2021) को निरस्त करके दुबारा करवाना पड़ा था। इसके बाद से आज दिन तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में सरकार की ओर से चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हो पाई है। ऐसे में गहलोत सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनाैती है कि इन नियुक्तियों और चुनाव से पहले होने वाली भर्तियों को बिना किसी विवाद के पूरा करवाना। सूत्रों के अनुसार सरकार की देरी का कारण ये भी है कि वे अब ऐसे पदों पर भरोसेमंद अधिकारियों और मेंबर की नियुक्ति करना चाह रही है।