जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

एमआई राेड स्थित नवाब कल्लन बाग की 3377 स्क्वायर मीटर जमीन का मामला, अनुमानित मूल्य 125 कराेड़ रुपए

एमआई राेड स्थित नवाब कल्लन बाग की जमीन का विवाद बढ़ता ही जा रहा है। इस विवाद की शुरुआत विधानसभा के पास ज्योति नगर में विधायकों के लिए बन रहे मल्टी स्टोरी रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट निर्माण की नींव के साथ ही हो गई थी। एमएलए मल्टी स्टोरी निर्माण के लिए जेडीए से 550 करोड़ रुपए मांगे गए, इसके बदले सरकार ने जालूपुरा स्थित नवाब कल्लन बाग की 3377 स्क्वायर मीटर और थाने के सामने स्थित जमीन को नीलाम कर पैसों की वसूली करने के लिए कहा था। इसके लिए जेडीए 380 करोड़ रुपए हाउसिंग बोर्ड को दे चुका है और बाकी 170 करोड़ और देने हैं।

यहां पर एमएलए मल्टी स्टोरी का काम पूरा
होने की ओर है। इसके लिए अब जेडीए से बाकी पैसे मांगे तो जालूपुरा पर बने सभी क्वार्टरों को तोड़कर नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी। इसी बीच वक्फ बाेर्ड ने भी दावा किया है कि जमीन बाेर्ड की सम्पत्ति है। सुप्रीम काेर्ट ने 2012 में जमीन काे वक्फ बाेर्ड की सम्पत्ति हाेने का आदेश दिया था। बाेर्ड चेयरमैन डाॅ. खानु खान ने जेडीसी रवि जैन काे नीलामी प्रक्रिया राेकने के लिए पत्र लिखा है। जेडीए करीब 3377 स्क्वायर मीटर जमीन कीऑक्शन प्रक्रिया शुरू कर रखी है, लेकिन पूरा विवाद 33 बीघा से जुड़ा है। इसे लेकर मुस्लिम परिषद संस्थान और एआईएमआईएम के आह्वान पर जालुपूरा में विराेध जताया।

विवादों की जमीन : सर्वे कमिश्नर की रिपाेर्ट में जमीन वक्फ सम्पत्ति मानी गई, सुप्रीम काेर्ट ने भी बाेर्ड के हक में फैसला दे चुका
जमीन की कीमत करीब 125 कराेड़ आंकी गई
विधायकाें के लिए ज्याेति नगर में मल्टी स्टाेरी प्राेजेक्ट आने के बाद जालूपुरा स्थित पुराने सरकारी आवासाें काे ध्वस्त कर 80 फीट राेड चाैड़ा किया। अब जेडीए इस जमीन काे कॉमर्शियल और मिक्स यूज के लिए नीलाम कर रहा है। मुस्लिम परिषद संस्थान के यूनुस चोपदार का कहना है कि जेडीए न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर नीलामी कर रहा है। ऑक्शन में शामिल 3377 स्क्वायर मीटर जमीन की न्यूनतम बाेली 2 से 2.50 लाख रुपए स्क्वायर मीटर रखी है, इससे इसकी अनुमानित कीमत करीब 100 से 125 कराेड़ रुपए है।

राजपरिवार ने गिफ्ट की थी 25 बीघा जमीन
वक्फ बोर्ड के अनुसार एमआई राेड स्थित करीब 25 बीघा जमीन जयपुर राजपरिवार ने नवाब कल्लन काे गिफ्ट की थी। इसके अलावा 8 बीघा जमीन नवाब ने खरीदी। नवाब ने बाद में यह जमीन वक्फ को दे दी। 1954 में वक्फ एक्ट लागू हाेने के बाद तत्कालीन सर्वे कमिश्नर ने 9 जुलाई, 1962 में पेश एक रिपाेर्ट में इसे वक्फ की संपत्ति माना।

नवाब के पाेते की बहू हादी बेगम ने इस रिपाेर्ट के खिलाफ हाईकाेर्ट में याचिका लगाई। इस पर काेर्ट ने कमिश्नर की रिपाेर्ट खारिज कर केवल 1 बीघा 17 बिस्वा जमीन काे ही वक्फ संपत्ति माना। साल 1980 में वक्फ बाेर्ड ने इसके खिलाफ सुप्रीम काेर्ट में अपील की और जहां गजट नाेटिफिकेशन, सर्वे रिपाेर्ट काे सही मानते हुए फैसला बाेर्ड के हक में फैसला दिया। बाद में हादी बेगम ने भी काेर्ट में शपथ देकर इसे वक्फ संपत्ति माना। सुप्रीम काेर्ट के खिलाफ मुख्तार हसन व अन्य ने नवाब कल्लन का वारिसान बताते हुए एडीजे काेर्ट में दावा किया लेकिन 2013 में इसे खारिज कर दिया। फिलहाल अपील हाईकाेर्ट में पेंडिंग है।