जोधपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

हाईकोर्ट ने बजरी माफिया द्वारा एसीपी जयप्रकाश अटल पर हमला करने के मामले पर प्रसंज्ञान लिया है। साथ ही प्रदेश मुख्य सचिव, गृह विभाग व खनन विभाग के प्रमुख सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर 1 जून तक जवाब मांगा है।

न्यायाधीश विजय विश्नोई व न्यायाधीश योगेंद्र कुमार पुरोहित की खंडपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश जोशी, अधिवक्ता संदीप विश्नोई व प्रांजुल मेहता को न्यायमित्र नियुक्त करते हुए मामले में सहायता करने एवं इससे जुड़ी सामग्री प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि जोधपुर में पुलिस अधिकारी को धमकाना और हमला कर गाड़ी को क्षतिग्रस्त करना गंभीर है। यह पहली घटना नहीं है। प्रदेश में खनन माफिया के कारनामे समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रहे हैं।

इनमें गैंगवार हो रही हैं, जिससे कई बार जघन्य अपराध व हत्या हो चुकी हैं। कई बार तो ग्रामीणों द्वारा शिकायत करने पर भी कार्रवाई नहीं होती। माफिया इतने प्रभावी कि कोई एक्शन नहीं लेता।

हाईकोर्ट ने कहा कि आम धारणा है कि राजस्थान की पुलिस या प्रशासन का इन बजरी और खनन माफियाओं पर कोई नियंत्रण नहीं है और न ही इन खनन माफियाओं पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार के पास दृढ़ इच्छाशक्ति है।

ये माफिया इतने प्रभावशाली हैं कि कोई भी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है। आम जनता इन माफियाओं से भयभीत और बेबस है। जबकि पुलिस और प्रशासन इन माफिया को रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रहा है।

'आज तक क्या कार्रवाई की? नियंत्रण की योजना बताएं"

कोर्ट ने अधिकारियों को जवाब तलब करते हुए कहा कि राज्य में आज तक खनन माफियाओं के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई और इस खतरे को नियंत्रित करने के लिए क्या कार्य योजना प्रस्तावित है उसे कोर्ट के समक्ष पेश करें।

कोर्ट ने कहा कि आमजन में इन खनन माफियाओं को भय व्याप्त हो गया है, जिसकी वजह से कोई शिकायत ही नहीं करना चाहता है। उनको पता है कि न तो पुलिस और न ही प्रशासन कोई कार्रवाई करेगा, क्योंकि ये प्रभावशाली लोग है जिनके खिलाफ एक्शन नहीं हो रहा है।