जोधपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में बीए प्रथम वर्ष की परीक्षा में हिस्ट्री की जगह हिंदी का पेपर खुल गया। इस बार भी विश्वविद्यालय अपनी गलती नहीं मानेगा। गलती का ठीकरा विश्वविद्यालय ने पेपर प्रकाशित करने वाली प्रेस पर फोड़ दिया है। दो साल में विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में लगातार चूक हो रही है, लेकिन रिकॉर्ड है कि कभी कोई अधिकारी जिम्मेदार नहीं होता।

सोमवार को बीए प्रथम वर्ष के हिस्ट्री की परीक्षा थी। परीक्षा शुरू हुई और थोड़ी देर में कुछ परीक्षा केंद्रों पर हड़कंप मच गया। उन्होंने देखा तो पेपर के पैकेट में से हिंदी विषय के पेपर निकल गए। उन्होंने इस संबंध में विश्वविद्यालय को जानकारी दी। शाम तक विश्वविद्यालय की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इस मामले में जब विश्वविद्यालय के परीक्षा समन्वयक प्रो. केआर गेनवा को पूछा तो उन्होंने कहा कि पेपर शुरू होने के बाद कुछ सेंटर्स से फोन आए थे। जानकारी मिली की बीए प्रथम वर्ष की परीक्षाओं में हिस्ट्री की जगह हिंदी का पेपर खुल गया। इस संबंध में कुलपति प्रो. केएल श्रीवास्तव को जानकारी दे दी गई है।

संभवतया हिंदी का पेपर रद्द होगा। इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने इस मामले में अपनी गलती को स्वीकार नहीं किया और कहा कि जिस प्रेस ने पेपर प्रकाशित किया, उसने हिस्ट्री के पैकेट में हिंदी के पेपर डाल दिए।

जिम्मेदार तो प्रिंटिंग प्रेस है...
परीक्षा समन्वयक प्रो. केआर गेनवा से बातचीत
प्रश्न: क्या पेपर गलत गया था?
उत्तर: जेएनवीयू की बीए प्रथम वर्ष की हिस्ट्री की परीक्षा थी और कई सेंटर्स से फोन आया कि पेपर हिंदी विषय के खुल गए हैं।
प्रश्न: आपने क्या कार्रवाई की?
उत्तर: हमने कुलपति महोदय को बता दिया है, उनके निर्देशानुसार कार्रवाई होगी।
प्रश्न: इस मामले में जिम्मेदार कौन हैं?
उत्तर: इसमें जिम्मेदार प्रिंटिंग प्रेस है। वहीं से गलती हुई है।

गलतियों का फ्लैशबैक और कार्रवाई
25 मई 2022: बीए सैकंड ईयर के हिस्ट्री प्रथम का पेपर था। शुरू होने के आधा घंटा पहले सोशल मीडिया पर आ गया। परीक्षा समन्वयक ने झूठा बताया, फिर स्वीकारा।कार्रवाई नहीं हुई।
26 मई 2022: बीए प्रथम वर्ष के हिस्ट्री प्रथम वर्ष का पेपर था, यह पेपर भी 2:42 बजे सोशल मीडिया पर आ गया। विश्वविद्यालय का लगातार दूसरे दिन पेपर आउट हुआ था, विश्वविद्यालय ने दोनों पेपर रद्द कर दिए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं।
21 अप्रैल 2022: बीए फाइनल के राजनीति विज्ञान का पहला पेपर था। पेपर 11 बजे शुरू होना था, लेकिन लोगों के मोबाइल पर हूबहू पेपर की फोटो करीब एक घंटे पहले ही आ गई। पेपर आउट करना स्वीकार किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं।

कमेटियां ऐसी जो जांच नहीं कर सकतीं
वर्ष 2002: पेपर सोशल मीडिया पर आउट हुआ तो इस संबंध में जांच के लिए कमेटी का गठन किया। कमेटी में एक भी आईटी से जुड़ा सदस्य नहीं था। यही कारण रहा कि कमेटी जांच में यह पता नहीं लगा पाई की आखिर पेपर कहां से आउट हुआ।
वर्ष 2023: जेएनवीयू की ओर से प्रो. आर के यादव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई। कमेटी ने रिपोर्ट दी कि पेपर आउट हुआ है। जब सोशल मीडिया पर पेपर परीक्षा से पहले आ गया तो क्लियर हो ही गया था, लेकिन इसके बाद भी पेपर रद्द नहीं किया।